पाकिस्तान से दोस्ती के चक्कर में तुर्किए ने बड़ी गलती कर दी है. इंस्ताबुल की बैठक में तुर्किए ने तालिबान को खड़ी-खोटी सुना दी है. वो भी इस्लाम से जुड़े मुद्दों को लेकर. कहा जा रहा है कि तुर्किए की इस हरकत से तालिबान नाराज हो सकता है. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा नुकसान पाकिस्तान को ही होगा.
तालिबान को तुर्किए की खड़ी-खोटी
इंस्ताबुल में एक बैठक के दौरान तुर्किए ने कहा कि अफगानिस्तान में आतंकवादी पल रहे हैं, जो ठीक नहीं है. दिलचस्प बात है कि तुर्किए ने यही आरोप पाकिस्तान पर नहीं लगाया. तुर्किए ने तालिबान शासन से तुरंत इसे खत्म करने की अपील की.
तुर्किए ने यह भी कहा कि अफगानिस्तान को हिंसा छोड़ एक ऐसी सरकार का गठन करना चाहिए, जो लोकतांत्रिक हो. तुर्किए ने महिलाओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार पर भी तालिबान की निंदा की.
इंस्ताबुल ने तालिबान के खिलाफ ऐसे वक्त में सख्त टिप्पणी की है, जब पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ अंकारा के दौरे पर हैं.
तालिबान के रिएक्शन का इंतजार
अब इस पूरे मामले में तालिबान के रिएक्शन का इंतजार हो रहा है. तालिबान के अखुंजदा वर्तमान में अफगानिस्तान के सुप्रीम लीडर हैं. अखुंजदा ने हाल ही में एक बयान के जरिए कहा था कि तालिबान के शासन में सबकुछ ठीक चल रहा है.
अखुंजदा के मुताबिक तालिबान इस्लामी शासन लाने के लिए कृत संकल्पित है और उसी दिशा में मुल्क अग्रसर है. तालिबान को 2021 में अफगानिस्तान में सत्ता की कुर्सी मिली थी.
दुनियाभर में तालिबान की चर्चा कट्टर शासन की वजह से होती रही है. यही वजह है कि 4 साल बीत जाने के बाद भी अब तक किसी भी देश ने तालिबान को मान्यता नहीं दी है.
हालांकि, पाकिस्तान तालिबान से दोस्ती बढ़ाने के लिए ठोस प्रयासों में जुटा है. इसके लिए पाकिस्तान चीन को साध रहा है. अब जिस तरीके से तुर्किए ने तालिबान की आलोचना की है, उससे पाकिस्तान की आगे की राह और भी मुश्किल हो गई है.
