ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान चारों खाने चित हो गया है. पहले पाकिस्तान ने भारत के आतंकियों के खिलाफ किए गए ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत पर हमला करने की हिमाकत की, फिर जब भारत ने 4 दिनों तक लगातार मार लगाई तो वह अमेरिका के पास पहुंच गया. अमेरिका के दखल के बाद दोनों देशों में सीजफायर हो गया है, लेकिन पाकिस्तान का दुख उसके दूसरे बॉर्डर तक भी फैला हुआ है.
पाकिस्तान के काबुल में विशेष दूत मोहम्मद सादिक खान देश की पश्चिमी सीमा पर शांति सुनिश्चित करने के लिए तालिबान के पास पहुंचा. कभी उनकी बात को तालिबान सीरियस न लें इसलिए पाकिस्तान ने इस बार चीन का सहारा लिया है. इस मुलाकात के दौरान चीन के दूत भी वहां मौजूद थे. काबुल को चीन अपने खास प्रोजेक्ट बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) में शामिल कर रहा है, ताकि उसका क्षेत्रीय संपर्क बढ़ा सके.
किनको इसका ज्यादा खतरा……..’माइग्रेन के शुरुआती लक्षण क्या हैं…….
पश्चिमी सीमा से पाकिस्तान को खतरां
तहरीक के तालिबान की पकड़ पाकिस्तान पश्चिमी सीमा पर बेहद मजबूत है. पाकिस्तान पक्ष का कहना है कि TTP के आतंकियों को अफगान से समर्थन और पनाह मिलते है. ये आतंकी पाकिस्तान में हमला करते हैं और अफगानिस्तान भाग जाते हैं.
अब पाकिस्तान चीन का साथ लेकर पश्चिमी सीमा को सुरक्षित कर रहा है. रविवार को तीनों देशों के दूतों की त्रिपक्षीय बैठक हुई, जिसमें चीन और पाकिस्तान के दूतों ने अफगान तालिबान सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हिस्सा लिया. काबुल के गृह मंत्रालय में हुई इस बैठक में गृह मंत्री खलीफा सिराजुद्दीन हक्कानी, चीन के विशेष दूत यू शियाओयोंग और पाकिस्तान के विशेष दूत मुहम्मद सादिक अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ शामिल हुए.
अफगान सरकार ने दिया आश्वासन
बैठक के दौरान हक्कानी ने क्षेत्रीय संबंधों को मजबूत करने के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि काबुल के नजरिए से आर्थिक और राजनीतिक संबंधों के साथ-साथ क्षेत्रीय समझ को भी आपसी सम्मान और रचनात्मक भागीदारी के जरिए ही आगे बढ़ाया जा सकता है. साथ ही उन्होंने पाकिस्तान को आश्वासन दिया की वह क्षेत्र को और आतंकियों से सुरक्षित बनाएंगे.
