Explore

Search

May 20, 2025 2:19 am

लेटेस्ट न्यूज़

क्या हैं उनके नाम और काम, WITT में PM ने बताया……’मोदी सरकार ने कितने मंत्रालयों को बदला……

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

इसमें पहले दिन पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुलकर कई मुद्दों पर बात की. उन्होंने कहा कि केंद्र में बनने वाली पहले की सरकारें मंत्रालयों में ज्यादा से ज्यादा मंत्री बनाने पर जोर देती थीं. उनकी सरकार आने के बाद कई मंत्रालयों को मर्ज किया गया.

आइए जान लेते हैं कि मोदी सरकार ने कितने मंत्रालयों को बदला और मर्ज किया. पहले उनका क्या नाम था और अब क्या है? कितना बदला उनका काम?

Homemade Face Pack: जानिए घर पर कैसे बनाएं……..’गर्मियों में चेहरे को कूल-कूल और ग्लोइंग रखेंगे ये 5 फैस पैक…….

2016 में पहली बार मोदी सरकार ने मर्ज किए मंत्रालय

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में केंद्र में साल 2014 में पहली बार सरकार बनी थी. इसके बाद सात जनवरी 2016 को ओवरसीज इंडिया अफेयर्स नामक मंत्रालय को विदेश मंत्रालय में मर्ज कर दिया गया. इस मंत्रालय का गठन मई 2004 में किया गया था. हालांकि, संचार और सूचना तकनीकी मंत्रालय को पांच जुलाई 2016 को मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिकेशंस में बांट दिया गया. संचार और सूचना तकनीकी मंत्रालय का गठन अगस्त 1947 में किया गया था.

इन मंत्रालयों को भी मर्ज किया गया

इसी तरह से ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन मिनिस्ट्री और वाटर रिसोर्सेज, रिवर डेवलपमेंट एंड गंगा रेजुवेनेशन मिनिस्ट्री को 30 मई 2019 को मर्ज कर दिया गया. इन दोनों को मिलाकर मिनिस्ट्री ऑफ जल शक्ति का गठन किया गया. मिनिस्ट्री ऑफ ड्रिंकिंग वाटर एंड सैनिटेशन का गठन साल 2011 में किया गया था. वहीं, रिवर डेवलपमेंट एंड गंगा रेजुवेनेशन मिनिस्ट्री का गठन साल 1985 में किया गया था.

इसके अलावा मिनिस्ट्री ऑफ अरबन डेवलपमेंट और मिनिस्ट्री ऑफ अरबन डेवलपमेंट एंड पावर्टी एलेविएशन को सात जुलाई 2017 को मर्ज कर एक नया मंत्रालय बनाया गया. इसका नाम मिनिस्ट्री ऑफ हाउसिंग एंड अरबन अफेयर्स है.

साल 1951 में ही हो गई थी शुरुआत

मोदी सरकार ने पहली बार मंत्रालयों को मर्ज करने की शुरुआत की हो, ऐसा नहीं है. देश की आजादी के बाद से ही केंद्र सरकारें अपनी जरूरत के हिसाब से नए मंत्रालयों का गठन और पुरानों को मर्ज करती रही हैं. साल 1947 में बनाए गए कृषि मंत्रालय और खाद्य मंत्रालय को साल 1951 में मर्ज कर एक नया मंत्रालय मिनिस्ट्री ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर का गठन किया गया था.

विभाग जुड़े और बना नया मंत्रालय

हालांकि, साल 1956 में ही एक बार फिर से फूड एंड एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री को दो अलग-अलग मंत्रालयों में विभाजित कर दिया गया था. वैसे दोनों मंत्रालय अधिक समय तक नहीं रहे और अगले ही साल 1957 में फिर से इन्हें एक कर मिनिस्ट्री ऑफ फूड एंड एग्रीकल्चर बना दिया गया. आगे भी इस मंत्रालय में बार-बार बदलाव होता रहा और नए-नए विभागों को मर्ज कर या अलग कर नए-नए नाम से मंत्रालय बनाए जाते रहे. जैसे कि फूड एंड एग्रीकल्चर मिनिस्ट्री को साल 1966 में मिनिस्ट्री ऑफ कम्युनिटी डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन के साथ मर्ज कर दिया गया और एक नया मंत्रालय मिनिस्ट्री ऑफ फूड, एग्रीकल्चर, कम्युनिटी डेवलपमेंट एंड कोऑपरेशन बनाया गया. चारों विभागों के साथ साल 1971 में इस मंत्रालय को एक बार फिर से कृषि मंत्रालय नाम दिया गया.

कम बनाने पड़ते हैं मंत्री

आमतौर पर अलग-अलग मंत्रालय होने पर हर मंत्रालय के कैबिनेट या फिर राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) को उनका जिम्मा सौंपा जाता है. हालांकि, जब कई विभागों को मिलाकर एक मंत्रालय बनाया जाता है तो उसका पूरा जिम्मा एक ही कैबिनेट या राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के कंधों पर होता है. काम अधिक होने पर कैबिनेट मंत्रियों की सहायता के लिए राज्य मंत्री नियुक्ति किए जाते हैं. कैबिनेट मंत्री अपनी सुविधा के अनुसार इन राज्य मंत्रियों में विभागों का बंटवारा कर देते हैं. कैबिनेट और राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार जहां सीधे प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करते हैं, वहीं राज्य मंत्री अपने विभाग के कैबिनेट मंत्री को रिपोर्ट करते हैं और उन्हीं की अगुवाई में कामकाज करते हैं.

कामकाज में ऐसे आया है बदलाव

जब कोई मंत्रालय किसी दूसरे मंत्रालय में मर्ज किया जाता है तो उसका सारा कामकाज भी मर्ज हो जाता है. हालांकि, संबंधित विभाग का अस्तित्व बना रहता है. मुख्य रूप से एक ही कैबिनेट या राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार होता है. बाकी के विभागों का जिम्मा राज्य मंत्रियों को दे दिया जाता है, जो कैबिनेट मंत्री की देखरेख में काम करते हैं. इससे संसाधन भी कम लगते हैं.

उदाहरण के लिए ओवरसीज इंडिया अफेयर्स मंत्रालय अब विदेश मंत्रालय में मर्ज किया जा चुका है. अब विदेश मामलों से जुड़े किसी भी मुद्दे का निस्तारण विदेश मंत्रालय के पास है और लोगों को इस बात की चिंता करने की जरूरत नहीं कि उन्हें ओवरसीज इंडिया अफेयर्स मिनिस्ट्री के पास जाना है कि फॉरेन मिनिस्ट्री के पास. इसी तरह से पानी और सैनिटेशन से जुड़े सारे कामकाज अब एक ही मंत्रालय के अधीन हैं और इनके संसाधनों के विकास के लिए अलग-अलग मंत्रालयों की अनुमति की जरूरत नहीं पड़ती है. इससे कम संसाधनों में अधिक काम होता है. समय की भी बचत होती है, क्योंकि किसी प्रस्ताव को अलग-अलग मंत्रालयों से बार-बार पास कराने की जरूरत खत्म हो चुकी है.

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर