मार्च 22, शुक्रवार
“ईश्वरीय श्लोकों के अत्यधिक पाठ और दिन-रात किए गए विपुल पुण्य कर्मों पर अहंकार न करो क्योंकि संकटों में सहायक और स्वयंजीवी ईश्वर के सभी पवित्र ग्रंथों का उदासीनता से पाठ करने की अपेक्षा आनंद और प्रफुल्लता से मात्र एक श्लोक का पाठ करना ही किसी व्यक्ति के लिए अच्छा है। पवित्र श्लोकों का उतना ही पाठ करो कि तुम थकान का अनुभव न करने लगो।”
———– बहाउल्लाह
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Author: Sanjeevni Today
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