बिहार की राजनीति के केंद्र में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बीते 19 वर्षों से बने हुए हैं. नीतीश कुमार राजनीति के चाणक्य भी कहे जाते हैं तो सूबे की सियासत के सिरमौर भी बीते दो दशक से बने हुए हैं…ऐसा राजनीति के जानकार बताते हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की राजनीतिक यात्रा कई संघर्षों और उतार-चढ़ाव से गुजरी है और ऐसे में उनसे जुड़े कुछ संस्मरण भी हैं, जो बिहार के कई वरिष्ठ पत्रकारों की जेहन में जिंदा हैं. इन्हीं में से एक वाकया देश के जाने-माने वरिष्ठ पत्रकार सुरेश सुरेंद्र किशोर ने बताया है. बात उस दौर की है जब पटना के डाक बंगला रोड में एक प्रसिद्ध पटना कॉफी हाउस हुआ करता था. 1970 के दशक में पटना के डाक बंगला चौराहा पर भारत सरकार के उपक्रम के तौर पर यह कार्यालय खुला था.
इस कॉफी हाउस का महत्व इतना अधिक था कि यहां साहित्य जगत के बड़े-बड़े दिग्गज-जैसे फणीश्वर नाथ रेणु, नागार्जुन जैसी हस्तियां भी कई बार पहुंच जाती थीं. वरिष्ठ पत्रकार सुरेंद्र किशोर भी समाजवादी विचारधारा से प्रभावित रहे हैं और उस दौर में वह कर्पूरी ठाकुर के काफी करीबी भी थे. वह उनके प्राइवेट सेक्रेटरी भी रहे थे. जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने यह दावा कर दिया था कि बिहार मुख्यमंत्री वह जरूर बनेंगे- BY HOOK OR CROOK (बाय हुक ओर क्रुक-यानी किसी भी तरह) बिहार के वर्तमान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से जुड़ी यह कहानी दिलचस्प है.
सुरेंद्र किशोर बताते हैं कि, बात उन दिनों की है जब इसी कॉफी हाउस में नीतीश कुमार भी छात्र नेता के तौर पर आया करते थे. 1974 के छात्र आंदोलन के बाद इमरजेंसी के दौरान वह तेजी से उभरे थे. लेकिन, इसके बाद वर्ष 1977 में हुए विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार की हार हो गई थी और इस वजह से वह थोड़े परेशान थे. सुरेंद्र किशोर बताते हैं कि इसी परेशानी के बीच नीतीश कुमार उनके सामने पटना कॉफी हाउस में बैठे हुए थे. इसी बीच टेबल पर वेटर ने कॉफी रख दी.दोनों ही काफी पी रहे थे और इसी दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर पर चर्चा छिड़ गई. चर्चा हो रही थी कि जिस उम्मीद से वह मुख्यमंत्री बने थे वह पूरी नहीं हो पा रही थी. जब सुरेंद्र किशोर ने इसी चर्चा के दौरान सवाल किया कि क्या बिहार को एक अच्छा मुख्यमंत्री नहीं मिलने वाला है? इस बात को सुनकर- नीतीश कुमार ने अचानक सामने की टेबल पर मुक्का मारा और बोले, सुरेंद्र जी एक दिन मैं बनूंगा बिहार का मुख्यमंत्री, BY HOOK OR CROOK और मैं बिहार में सब ठीक कर दूंगा.
यह कहानी उस दौर की है जब नीतीश कुमार विधायक भी नहीं बन पाए थे. जाहिर तौर पर अपने इरादे के पक्के और दृढता के साथ धैर्य से संघर्ष करते हुए आगे बढ़े नीतीश कुमार हमें वर्तमान में बिहार के मख्यमंत्री के तौर पर बीते 19 (बीच कुछ महीने जीतन राम मांझी सीएम रहे थे) वर्षो से दिख रहे हैं.दरअसल, नीतीश कुमार बाद के दौर में सियासी संघर्ष किया और वह बिहार की सियासत के सिरमौर बन गए और गठबंधन की राजनीति के मास्टर भी. बीते करीब दो दशक से वह बिहार के मुख्यमंत्री हैं और बिहार में बदलाव की कई पहल कर उन्होंने इतिहास रच दिया है.
नीतीश कुमार ने बिहार का मुख्यमंत्री रहते हुए कई क्रांतिकारी निर्णय लिये हैं. पंचायतों में महिला आरक्षण, पुलिस बल में महिला आरक्षण, लड़कियों को पोशाक और साइकिल योजना. बाद में इसी योजना का लड़कों के लिए भी विस्तार, सत्ता का विकेंद्रीकरण, शराबबंदी जैसा साहसिक फैसला, बिहार में इंफ्रास्ट्रक्चर के तौर पर एक तरह की क्रांति, कृषि विकास में बिहार का उच्चतम ग्रोथ रेट जैसी तमाम उपलब्धियां मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खाते से जुड़ी हैं. वह 74 वर्ष के हो चुके हैं, लेकिन आगामी 5 वर्षों तक एक बार फिर वह बिहार की सेवा के लिए तत्पर हैं.
