तुर्किए ने भारत के साथ हुए संघर्ष में पाकिस्तान की हर तरीके से मदद की थी. चाहें वह कूटनीतिक तौर पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का बचाव करना हो या उसको सैन्य मदद देना हो. इसके बाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दुआन को भाई-भाई कहते नहीं थक रहे हैं. अब पाकिस्तान ने भी तुर्किए का ये कर्ज उतार दिया है.
पाकिस्तानी और तुर्किए खुफिया एजेंसियों के सहयोग से दाएश के चीफ ऑपरेटिव ओजगुर अल्तुन को गिरफ्तार किया गया, जो तुर्किए की कानून प्रवर्तन एजेंसियों के लिए सबसे बड़ा वांटिड था. तुर्किए के राष्ट्रीय खुफिया संगठन (MIT) और पाकिस्तान की ISI ने एक संयुक्त अभियान में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर ओजगुर अल्तुन को पकड़ा है.
तुर्किए के लिए खतरा दाएश
तुर्किए मीडिया के मुताबिक अल्तुन, जिसे ‘अबू यासिर अल तुर्की’ के नाम से भी जाना जाता है, दाएश का एक प्रमुख कार्यकर्ता है और वह समूह का मीडिया प्रवक्ता भी कहा गया था. दाएश ने तुर्किए के खिलाफ कई हमलों को अंजाम दिया है. इस गिरफ्तारी को दोनों देशों की खुफिया सेवाओं के बीच सहयोग का पहला हाई-प्रोफाइल और सार्वजनिक प्रदर्शन की तरह देखा जा रहा है.
दाएश तुर्किए के लिए आतंकवाद का दूसरा सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है, जिसे कई आतंकवादी समूहों से सुरक्षा जोखिम का सामना करना पड़ता है और 2013 में इसे आतंकवादी समूह घोषित करने वाले पहले देशों में से एक था.
भारत के लिए चिंता
इस घटना से साफ हो गया है कि तुर्किए और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी एक साथ मिलकर काम कर रही हैं. साथ इनके तार भारत के करीबी दोस्त अफगानिस्तान तक फैले हैं. ऐसे में ये भारत के खिलाफ भी साथ मिलकर साजिश रच सकते हैं.
पिछले साल पकड़े दाएश से जुड़े 32 संदिग्ध
पिछले साल दिसंबर में तुर्किए सुरक्षा एजेंसियों ने दाएश के साथ कथित संबंधों के लिए 32 संदिग्धों को हिरासत में लिया, जो चर्चों और आराधनालयों के साथ-साथ इराकी दूतावास पर हमले की योजना बना रहे थे. दाएश तुर्किए के अलावा इराक सीरिया के लिए भी खतरा बना हुआ है.
