भारतीय मैदानों में चौके-छक्कों के शोर के बीच एक कहानी पनप रही थी. आईपीएल के मैचों के बीच इस कहानी पर क्रिकेट फैंस का ध्यान नहीं था. कहानी थोड़ा बाहर आई जब भारत के इंग्लैंड दौरे के लिए टीम सेलेक्शन की सुगबुगाहट शुरू हुई. इस कहानी के दो बड़े किरदार थे- रोहित शर्मा और विराट कोहली. इसके अलावा कहानी के और भी कई किरदार थे- चीफ सेलेक्टर अजीत अगरकर, हेड कोच गौतम गंभीर और बीसीसीआई के एक पूर्व आला अधिकारी. इस कहानी में सबसे बड़ा सवाल ये था कि क्या इंग्लैंड दौरे के लिए रोहित शर्मा और विराट कोहली की टीम में जगह बनती है? आईपीएल में दोनों अपनी-अपनी टीम को प्लेऑफ में पहुंचाने में जुटे हुए थे. क्रिकेट के गलियारों में इस सवाल पर ज्यादा चर्चा नहीं थी. दोनों नाम बड़े थे तो माना जा रहा था कि ये जो चाहेंगे वैसा ही होगा. लेकिन कहानी बहुत तेजी से बदल रही थी. अंदर-अंदर बहुत कुछ चल रहा था. सूरते हाल कुछ ऐसा था कि एक तरफ विराट कोहली और रोहित शर्मा थे और दूसरी तरफ हेड कोच, चीफ सेलेक्टर और एक पूर्व आला अधिकारी.
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सूत्रों के मुताबिक आखिरकार हेड कोच और चीफ सेलेक्टर के बीच ये कठिन फैसला हो गया कि अब इंग्लैंड दौरे के लिए टीम में रोहित शर्मा और विराट कोहली की जगह नहीं बनती है. सवाल ये था कि इस फैसले को किस तरह ‘कम्यूनिकेट’ किया जाए? T20 वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी की खिताबी कामयाबी रोहित और विराट के पक्ष में जा सकती थी. लेकिन चीफ सेलेक्टर और हेड कोच वनडे फॉर्मेट की फॉर्म को टेस्ट की फॉर्म से जोड़ने के पक्ष में नहीं थे.
बोर्ड के पूर्व अधिकारी ने निभाया अहम रोल
बताया जा रहा है कि चीफ सेलेक्टर और हेड कोच के सरदर्द को बीसीसीआई के एक पूर्व अधिकारी ने दूर किया. उन्होंने इन दोनों खिलाड़ियों से बात करने की जिम्मेदारी खुद पर ली. इसके बाद उन्होंने ही रोहित शर्मा और विराट कोहली को ये जानकारी दी कि भारतीय क्रिकेट अब इन दोनों खिलाड़ियों से आगे बढ़ने का फैसला कर चुका है. इसके बाद संन्यास का ऐलान कैसे करना है, कब करना है इस तरह की औपचारिकताओं पर फैसला रोहित शर्मा और विराट कोहली को करना था. दोनों के पास ‘लीगेसी’ थी लेकिन मौजूदा फॉर्म नहीं था.
इस बीच एक कार्यक्रम में गौतम गंभीर से इंग्लैंड दौरे के लिए टीम में रोहित शर्मा और विराट कोहली के सेलेक्शन पर सवाल पूछा गया. जिसके जवाब में उन्होंने कहाकि टीम चयन उनका काम नहीं है. वो सिर्फ प्लेइंग-11 के चयन में अपनी बात रखते हैं. हालांकि इस कार्यक्रम में उन्होंने एक बात बहुत जोर देकर कही थी कि अगर खिलाड़ी का प्रदर्शन अच्छा है तो उसका चयन होना चाहिए. इस बात को उन्होंने दोहराया भी. रोहित और विराट की कहानी यहीं फंस रही थी क्योंकि लंबे फॉर्मेट में दोनों का बल्ला अच्छे खासे समय से कम ही चल रहा था. न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पिछली टेस्ट सीरीज में इन दोनों के प्रदर्शन और सीरीज के नतीजों ने इनके संन्यास को लेकर माहौल को गर्मा भी दिया. एक नैरेटिव ये बना कि चैंपियंस ट्रॉफी में जीत के बाद इन दोनों खिलाड़ियों को क्रिकेट को अलविदा कह देना चाहिए था.
टेस्ट में नहीं चल रहा था विराट-रोहित का बल्ला
ऑस्ट्रेलिया दौरे में इन दोनों बल्लेबाज़ों की हालत अच्छी नहीं थी. रोहित शर्मा को तो आखिरी मैच में खुद को बाहर बिठाना पड़ा था. एक कप्तान का टीम के प्लेइंग-11 से बाहर बैठना ही बड़ा संकेत था. सीरीज में रोहित शर्मा का सर्वश्रेष्ठ स्कोर 10 रन था. इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ तीन टेस्ट मैच की सीरीज में उन्होंने कुल 91 रन बनाए थे. इसमें 52 रन की एक पारी भी थी. लगभग एक दशक के बाद ऑस्ट्रेलिया ने बॉर्डर गावस्कर ट्रॉफी पर कब्जा किया था. वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के फाइनल में लगातार तीसरी बार जगह बनाने का सपना टूट चुका था. रोहित शर्मा आईपीएल में 20 ओवर के मैच में इम्पैक्ट खिलाड़ी के तौर पर खेल रहे थे. ये बात उनके खिलाफ गई. अब विराट कोहली की बात करते हैं. विराट कोहली ने ऑस्ट्रेलिया दौरे की शुरूआत शानदार अंदाज में शतक लगाकर की थी. पर्थ के मुश्किल विकेट पर उन्होंने नॉट आउट 100 रन बनाए थे. लेकिन अगले चार टेस्ट मैच में वो कुल 85 रन बना पाए थे.
इससे पहले न्यूजीलैंड के खिलाफ सीरीज में भी वो नाकाम थे. एक अर्धशतक को छोड़ दिया जाए तो तीन टेस्ट मैच की सीरीज में उन्होंने कुल 93 रन बनाए थे. ये वही सीरीज है जिसमें भारतीय टीम को 90 साल से ज्यादा के टेस्ट क्रिकेट के अपने इतिहास में पहली बार घर में कोई टीम 3-0 से हराकर गई थी. दरअसल, पिछले पांच साल में उनके टेस्ट औसत में बड़ी गिरावट आई थी. उनके खाते में पिछले पांच साल में सिर्फ 1990 रन थे. उनकी औसत 46 रन से घटकर 32 पर आ गई थी. इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज के साथ ही वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का नया चक्र शुरू हो रहा है. रोहित और विराट की जगह जिन खिलाड़ियों को उसके लिए चुना जाएगा उन्हें इस नए चक्र के हिसाब से आजमाया जाएगा.
सेलेक्टर्स और कोच को करीब दो साल का समय मिलेगा. इस पूरी कहानी में दो अहम पक्ष हैं. पहला ये कि इन दोनों की गैरमौजूदगी में चीफ सेलेक्टर और हेड कोच पर भी जबरदस्त दबाव रहेगा क्योंकि मन-मुताबिक नतीजे ना आने पर सवाल उनसे भी पूछे जाएंगे. दूसरा पक्ष वो सवाल है जो करोड़ों क्रिकेट फैंस के मन में है- विराट कोहली और रोहित शर्मा जैसे खिलाड़ियों को संन्यास का ऐलान मैदान में खेलकर करना चाहिए या फिर सोशल मीडिया के जरिए?
