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June 22, 2025 5:00 pm

सीजफायर पर इंडिया गठबंधन के दलों के सुर अलग-अलग मोदी सरकार को घेरने में फिर अकेले पड़ी कांग्रेस!

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ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारतीय सेना की कार्रवाई में पाकिस्तान को मुंह की खानी पड़ी है. पाकिस्तान से युद्ध विराम का ऐलान होने के बाद से ही कांग्रेस ने मोदी सरकार के खिलाफ आक्रामक तेवर अपना लिया है. नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने मोदी सरकार से सर्वदलीय बैठक और संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. भारत और पाकिस्तान के सीजफायर का ऐलान अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के करने को लेकर कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने में जुटी है.

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आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने कांग्रेस के सुर में सुर मिलाते हुए मोदी सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. कांग्रेस और आरजेडी एक साथ खड़े नजर आ रहे हैं, लेकिन एनसीपी (एस) के प्रमुख शरद पवार से लेकर जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती पूरी तरह से मोदी सरकार के स्टैंड के साथ खड़ी है. सपा और टीएमसी वेट एंड वॉच के मूड में है. इस तरह सीजफायर पर इंडिया गठबंधन पूरी तरह बिखरा हुआ नजर आ रहा है और कांग्रेस मोदी सरकार को घेरने में अलग-थलग पड़ गई है.

मोदी सरकार को घेरने में जुटी कांग्रेस

पहलगाम आतंकी हमला और इसके बाद ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर कांग्रेस पूरी तरह मोदी सरकार के साथ खड़ी नजर आ रही थी, लेकिन पाकिस्तान के साथ युद्धविराम की घोषणा के बाद से कांग्रेस का रुख बदल गया है. पाकिस्तान से सीजफायर के बाद से कांग्रेस की तरफ से राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे सहित तमाम बड़े नेता संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं. कांग्रेस सीजफायर के फैसले में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दावे पर सवाल उठा रहे हैं.

केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कांग्रेस का सवाल भी यही है, क्या अमेरिका जो कह रहा है वो सही है? कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व का कहना है कि सरकार ने अमेरिका की मदद से सीजफायर का ऐलान करके तीसरे राष्ट्र की मध्यस्थता का रास्ता खोल दिया है. कांग्रेस नेताओं ने अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के उस बयान की व्यख्या करने को कहा, जिसमें उन्होंने भारत और पाकिस्तान को ‘तटस्थ स्थल पर व्यापक मुद्दे पर वार्ता शुरू करने’ पर सहमत हो गए हैं. इसे लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश कहा कि अगर भारत-पाकिस्तान के बीच कूटनीतिक चैनल फिर से खोले जा रहे हैं, तो हमने क्या शर्तें रखी हैं और हमें क्या मिला है?

सीजफायर पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर कांग्रेस ने पूरी तरह से मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है. कांग्रेस संसद में सरकार से युद्धविराम की पूरी जानकारी साझा करने और देश को विश्वास में लेने की मांग कर रही है. कांग्रेस यह जानना चाहती है कि क्या भारत को पाकिस्तान से आतंकवाद के ढांचे को ध्वस्त करने को लेकर कोई ‘ठोस आश्वासन’ मिला है, जिसने इस युद्धविराम का रास्ता साफ किया. इसके अलावा अमेरिका के दखल के पीछे क्या मकसद है. इस तरह कांग्रेस की स्ट्रैटेजी ऑपरेशन सिंदूर के श्रेय को मोदी सरकार को देने के बजाय कठघरे में खड़े करने की है.

कांग्रेस के साथ खड़ी सिर्फ आरजेडी

कांग्रेस के साथ सिर्फ आरजेडी ही खड़ी नजर आ रही है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सीजफायर के मुद्दे पर चर्चा के लिए सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग की है. तेजस्वी ने कहा की सेना के शौर्य पर पूरे देश को गर्व है और सेना के शौर्य पर बात होनी चाहिए. तेजस्वी यादव ने कहा सभी पार्टियां विशेष सत्र के दौरान अपनी-अपनी बात बेहतर तरीके से रख सकती हैं. तेजस्वी यादव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो बात कही हम लोग भी उसके साथ हैं. देश की सुरक्षा सबसे ऊपर होनी भी चाहिए.

आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे देश के प्रधानमंत्री हैं. पूरे देश की सोच पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक जैसी थी. ‘ऑपरेशन सिंदूर’ जब शुरू हुआ, तो सारे देशवासियों की सोच एक जैसी थी. ऐसे में हमने सीजफायर करने का निर्णय लिया, तो उसकी जानकारी अमेरिका के राष्ट्रपित ट्रंप कैसे दे सकते हैं. उन्होंने कहा कि विशेष सत्र बुलाने की मांग इसलिए जरूरी है कि ताकि पूरी दुनिया को एक स्वर में संदेश दिया जाए कि हमारे राजनीतिक मतभेद हो सकते हैं, लेकिन देश की एकता, अखंडता और संप्रभुता पर कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष टिप्पणी करेगा, तो देश इसे स्वीकार नहीं करेगा.

मोदी सरकार के साथ खड़े शरद पवार

कांग्रेस और आरजेडी सीजफायर पर मोदी सरकार से संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन एनसीपी (एस) के प्रमुख शरद पवार का स्टैंड अलग है. शरद पवार ने दो टूक लहजे में कहा है कि यह एक संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है. संसद में इस तरह के गंभीर मुद्दे पर चर्चा संभव नहीं है. ऐसी स्थिति में राष्ट्रीय हित के लिए जानकारी को गोपनीय रखना जरूरी है, विशेष सत्र बुलाने के बजाय बेहतर होगा कि हम सब एक साथ सर्वदलीय बैठक करेंगे.

संसद सत्र बुलाने की मांग पर शरद पवार का रुख विपक्षी पार्टियों की उस मांग को झटका कहा जा रहा है, जिसके तहत संसद का विशेष सत्र बुलाए जाने की मांग की जा रही है. शरद पवार विशेष सत्र की जगह ऑल पार्टी मीटिंग बुलाने के पक्ष में है. इस तरह मोदी सरकार के सुर में सुर मिलाते हुए शरद पवार नजर आ रहे हैं. शरद पवार ही नहीं पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती भी मोदी सरकार के स्टैंड के साथ खड़ी दिख रही है.

महबूबा-उमर अब्दुल्ला भी सरकार के साथ

महबूबा मुफ्ती ने विपक्षी दलों से राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने और नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के शांतिपूर्ण तरीके तलाशने के प्रयासों का समर्थन करने की अपील की, खासकर सीजफायर की पहल के मद्देनजर. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार को शांतिपूर्ण तरीके तलाशने के लिए राजनीतिक रूप से निशाने पर नहीं लिया जाना चाहिए. विपक्ष को राजनीति से ऊपर उठना चाहिए और शांति और स्थिरता के लिए वास्तविक प्रयासों का समर्थन करना चाहिए. महबूबा ने कहा कि जैसे पहलगाम घटना के बाद सभी विपक्षी दल एक सुर में खड़े नजर आ रहे थे, उसी तरह राष्ट्र हित की रक्षा करने वाली शांति प्रक्रिया पर राष्ट्रीय सहमति बनाने की जरूरत है.

जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भारत पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर का स्वागत किया था. उन्होंने कहा कि मैं भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम बहाली की घोषणा का तहे दिल से स्वागत करता हूं. उन्होंने कहा कि देर आए दुरुस्त आए, लेकिन अगर यह संघर्ष विराम दो या तीन दिन पहले हो जाता, तो शायद जो रक्तपात हमने देखा और जो बहुमूल्य जानें हमने गंवाईं, वे सुरक्षित होतीं. इस तरह से उन्होंने सीजफायर को लेकर किसी तरह का कोई सवाल नहीं खड़ा किया और न ही संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग उठाई है.

वेट एंड वॉच के मूड में ममता-अखिलेश

पाकिस्तान से सीजफायर पर शरद पवार से लेकर महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला मोदी सरकार के साथ खड़े हैं तो कांग्रेस और राजद विरोध में खड़ी नजर आ रही हैं. ऐसे में टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव की पार्टी पूरी तरह से चुप हैं. दोनों ही पार्टियां वेट एंड वॉच के मूड में नजर रही हैं. शरद पवार का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा जैसे गंभीर मसलों पर चर्चा के लिए संसद सही जगह नहीं है.

सपा और टीएमसी का कहना है कि वे ऐसी चीजों के खिलाफ तो नहीं हैं, लेकिन अभी सही वक्त नहीं लगता. दोनों दल वेट-एंड-वॉच की नीति अपनाते हुए आगे बढ़ रहे हैं, क्योंकि, पश्चिम बंगाल में 2026 और उत्तर प्रदेश में 2027 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. ऐसे में टीएमसी के एक सांसद ने एक अंग्रेजी अखबार से बातचीत में कहा कि सैद्धांतिक तौर पर हमें संसद के स्पेशल सेशन से कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन हमें अगले साल होने वाले चुनाव की फिक्र है. बंगाल में बीजेपी से टीएमसी का सीधा मुकाबला होगा और कांग्रेस अलग से लड़ेगी.

वहीं, सपा के एक नेता का कहना है कि पहले जब ऐसी डिमांड हुई थी, तो समर्थन किया गया था, लेकिन इस बार कांग्रेस ने कोई संपर्क नहीं किया. सपा शुरू से ही ऑपरेशन सिंदूर पर सेना के शौर्य की तरीफ कर रही है. सीजफायर के मुद्दे पर पूरी तरह से अखिलेश यादव ने चुप्पी अख्तियार कर रखी है. हालांकि, सपा के राज्यसभा सांसद रामजीलाल सुमन ने जरूर कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच सैन्य कार्रवाई की समाप्ति अमेरिकी दबाव में सहमति बनी है. उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार की अलोचना की थी, लेकिन विशेष सत्र बुलाने के सवाल को टाल गए.

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