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August 25, 2025 7:13 pm

ईरान के खामेनेई की नींद तो इन ट्रक वालों ने उड़ाई……’इजराइल का हमला तो दूर की बात……

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ईरान में इन दिनों ट्रकों के पहिए थमे हुए हैं और सड़कें खाली हैं. देश के इतिहास की सबसे बड़ी लेबर हड़तालों में से एक मानी जा रही इस हड़ताल ने ना सिर्फ ट्रांसपोर्ट ठप किया है, बल्कि ईरान की अर्थव्यवस्था के कई हिस्सों को हिला दिया है. ट्रक चालकों का कहना है कि अब और नहीं सहा जा सकता. न महंगा डीजल, न सड़क की हालत, और न ही सरकार की नीतियां.

इस हड़ताल की शुरुआत 22 मई को ईरान के दक्षिणी पोर्ट शहर बंदर अब्बास से हुई. सिर्फ दो दिन के भीतर यह आंदोलन 135 से ज्यादा शहरों और कस्बों तक फैल गया. जिन प्रांतों में इसका सबसे ज्यादा असर पड़ा है, उनमें शामिल हैं केरमनशाह, खुज़ेस्तान, तेहरान, यज़्द, केरमान और इस्फहान.

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ट्रक ड्राइवर क्यों हैं नाराज?

ट्रक चालकों की नाराजगी कई मुद्दों पर है. इसमें डीजल का कोटा और रेट, बीमा और टोल टैक्स का बोझ, सड़क की हालत और सुरक्षा, मालभाड़ा तय करने के तरीके शामिल हैं. असल में विवाद की जड़ में है नई डीजल प्राइसिंग पॉलिसी, जिसके तहत तय कोटे से ज़्यादा डीज़ल लेने पर कीमतें कई गुना बढ़ जाएंगी.

डीजल पर क्यों है इतना बवाल?

अभी ट्रक ड्राइवरों को 3,000 रियाल प्रति लीटर की सब्सिडी वाली दर पर डीजल मिलता है, जो GPS और बिल के आधार पर तय होता है. लेकिन सरकार 21 जून से नई तीन-स्तरीय योजना लागू करना चाहती है, जिसमें तय कोटे से ज्यादा डीजल पर 2.5 लाख रियाल प्रति लीटर (मार्केट रेट) वसूला जाएगा. सरकार कह रही है इससे स्मगलिंग रुकेगी, जबकि चालकों का कहना है कि कोटा ही काफी नहीं है और इससे उनकी रोज़ी-रोटी खतरे में पड़ जाएगी.

हड़ताल कौन चला रहा है?

इस आंदोलन को Alliance of Iran Truckers and Truck Drivers Unions (AITTD) नाम की एक अर्ध-गोपनीय संस्था चला रही है. यही यूनियन 2018 की हड़ताल में भी एक्टिव थी. AITTD टेलीग्राम के ज़रिए संगठन चला रही है, जबकि सरकार-मान्यता प्राप्त यूनियनें इसे समर्थन नहीं दे रहीं. सरकार ने एक तरफ डीजल पॉलिसी की समीक्षा का वादा किया है और जो ड्राइवर हड़ताल में नहीं हैं, उन्हें बोनस देने की बात कही है. दूसरी तरफ, कई जगहों पर गिरफ्तारियां हुई हैं, क्लैश हुए हैं और कुर्दिस्तान प्रांत में तो पेपर स्प्रे तक इस्तेमाल किया गया.

हड़ताल का असल क्या हुआ?

इस हड़ताल का असर तुरंत दिखा. कृषि और इंडस्ट्रियल माल की डिलीवरी में देरी हुई, स्टील, पेट्रोकेमिकल और ऑटो सेक्टर पर असर हुआ, सप्लाई चेन बुरी तरह बाधित और ट्रक चालकों की अहमियत अब पूरे देश को महसूस हो रही है. ईरान में 8090% घरेलू माल ट्रकों से ही जाता है. साल 2023 में करीब 505 मिलियन टन माल सड़क से पहुंचाया गया. हर दिन 11,000 से ज्यादा ट्रक अंतरराष्ट्रीय बॉर्डर क्रॉस करते हैं. देश में 3.65 लाख ट्रक एक्टिव हैं, जिनमें से ज़्यादातर प्राइवेट ओनर हैं. इसी बिखरे हुए सिस्टम की वजह से आंदोलन जल्दी फैल जाता है और सरकार के लिए काबू पाना मुश्किल हो जाता है.

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