ईरान-इजराइल जंग के बीच इजिप्ट ने भारत के दुश्मन तुर्की को तगड़ा झटका दे दिया है. विदेश मंत्री बद्र अब्देलती ने मंगलवार को ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची और मिडिल ईस्ट में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के साथ बातचीत की है. मिस्र की यह पहल तुर्किए के लिए झटका इसलिए मानी जा रही है, क्योंकि तुर्की लगातार ईरान के खिलाफ हो रहे इजराइल के हमलों के बीच खुद को मध्यस्थ बनाने की पेशकश कर रहा था.
तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन ईरान-इजराइल युद्ध को खत्म कराने के लिए कई देशों से बातचीत कर चुके थे. उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अलावा कुवैत, ओमान और सूडान समेत मिडिल ईस्ट के कई देशों के प्रमुखों से बातचीत की थी. इसके अलावा तुर्की के विदेश मंत्री ने ब्रिटेन और रूस के अपने समकक्षों से साथ बातचीत कर इस युद्ध को खत्म करने की पेशकश की थी. हालांकि तुर्की केवल तैयारी में ही लगा रहा और मिस्र ने दोनों देशों के बीच सीजफायर को लेकर बड़ी पहल कर दी.
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मिस्र के विदेश मंत्री ने क्या कहा?
मिस्र के विदेश मंत्री बद्र अब्देलती ने बताया कि ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची और मिडिल ईस्ट में अमेरिका के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ के साथ अलग-अलग फोन कॉल में तनाव कम करने के साथ कूटनीतिक समाधान खोजने का आग्रह किया है.उन्होंने राजनीतिक बातचीत के माध्यम से ही इस संकट को नियंत्रित करने की जरूरत पर बल दिया और कहा कि इस तरह की दुश्मनी से क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा हो सकती है, जिसमें दूरगानी परिणाम होंगे.
हिंसा बढ़ी तो सभी को होगा नुकसान
मिस्र के विदेश मंत्री ने कहा कि अगर तत्काल युद्ध विराम नहीं होता है तो हालात बेकाबू होंगे.हिंसा से मिडिल ईस्ट अजराकता की ओर बढ़ेगा, इससे सभी पक्षों को नुकसान होगा. ऐसे में सैन्य कार्रवाई नहीं बल्कि बातचीत ही बेहतर विकल्प है, यही एक मात्र स्थायी रास्ता भी है. अब्देलती की ये टिप्पणी, इजराइल और ईरान के बीच बढ़ती जंग के बीच आई है.
तुर्की लगातार कर रहा था कोशिश
तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन लगातार अलग-अलग राष्ट्राध्यक्षों से बातचीत कर ईरान और इजराइल विवाद सुलझाने की वकालत कर रहे थे. तुर्किए सरकार ने अमेरिका, रूस, कुवैत, ओमान, सूडान, ब्रिटेन समेत अन्य देशों से बात भी की थी. इससे पहले तुर्की रूस और यूक्रेन युद्ध के दौरान भी मध्यस्थता कर चुका है.
क्यों मध्यस्थता में लगे थे एर्दोगन
दरअसल ईरान इजराइल जंग में मध्यस्थता की भूमिका निभाकर एर्दोगन अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं. इसका खुलासा हाल ही में खामेनेई के प्रमुख सलाहकर अली अकबर वेलायती ने किया था. उन्होंने बताया था कि तुर्की जंगेजूर कॉरिडोर बनाना चाहता है.ये कॉरिडोर अर्मेनिया के स्यूनिक प्रांत के रास्ते अजरबैजाब को तुर्की से जोड़ता. इससे ईरान की रणनीतिक पहुंच को नुकसान होता इसीलिए इसीलिए प्रोजेक्ट को रोक दिया गया था. माना जा रहा है कि एर्दोगन ईरान से दोस्ती बढ़ाकर इसी प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना चाहते हैं.
