प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में आज रविवार को दिल्ली में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों की बैठक होने जा रही है. एक दिवसीय बैठक में ऑपरेशन सिंदूर, जातिगत जनगणना और मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा होने को लेकर चर्चा किए जाने की संभावना है. सुशासन के मुद्दे पर भी ध्यान केंद्रित किया जा सकता है.
बैठक में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, त्रिपुरा के मुख्यमंत्री माणिक साहा, मेघालय के मुख्यमंत्री कॉनराड संगमा के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के साथ-साथ दोनों उपमुख्यमंत्री अरुण साव और विजय शर्मा शामिल होने के लिए पहुंच गए हैं. आंध्र प्रदेश के उपमुख्यमंत्री पवन कल्याण भी बैठक के लिए आ गए हैं. बिहार के सीएम नीतीश कुमार भी अपने उपमुख्यमंत्री के साथ बैठक में शामिल हो रहे हैं.
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इस अहम बैठक में कई केंद्रीय मंत्री भी शामिल हो रहे हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और जेपी नड्डा भी शामिल होने के लिए पहुंच गए हैं.
ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी पर प्रस्ताव
भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सुशासन विभाग के प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे ने जारी बयान में बताया कि बैठक में ऑपरेशन सिंदूर की कामयाबी के लिए सशस्त्र बलों और पीएम मोदी को बधाई देने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया जाएगा. साथ ही अगली जनगणना में जातिगत गणना कराने के केंद्र सरकार के फैसले की भी सराहना की जाएगी.
दिल्ली में बुलाई गई बैठक में पीएम मोदी के अलावा केंद्रीय मंत्रियों राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह और बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा शामिल हो रहे हैं. इनके अलावा बीजेपी और उसके सहयोगी दलों की ओर से शासित राज्यों के करीब 20 मुख्यमंत्री और 18 उपमुख्यमंत्री शामिल होंगे.
मोदी सरकार 3.0 के पहले कार्यकाल पर जश्न
सहस्रबुद्धे ने बताया, इस सम्मेलन में विचार-विमर्श का एक अहम हिस्सा अलग-अलग एनडीए शासित राज्य सरकारों द्वारा अपनाई गई सर्वोत्तम प्रथाओं पर केंद्रित होगा. साथ ही संबंधित राज्यों के मुख्यमंत्री भी अपनी-अपनी योजनाओं पर प्रस्तुतियां देंगे.
अगले महीने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला साल पूरा हो रहा है. मोदी सरकार का कुल मिलाकर यह लगातार 11वां साल है और एनडीए इसे बड़े स्तर पर मनाने की तैयारी कर रही है. इसके अलावा जून में होने वाले अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के एक दशक जैसे आगामी कार्यक्रमों पर भी विचार-विमर्श किया जा सकता है.
