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September 8, 2024 9:53 am

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जानें नियम: भारत में किसी शख्स की नागरिकता किस आधार पर रद्द हो सकती है…….

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भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने संसद में विपक्ष नेता (LoP) राहुल गांधी की नागरिकता को रद्द करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने अब इस मामले को जनहित याचिकाओं से निपटने वाली रोस्टर बेंच को भेज दिया है. याचिक में अदालत से अनुरोध किया गया है कि वह राहुल गांधी की नागरिकता रद्द करने के लिए गृह मंत्रालय को निर्देश दे. आइए जानते हैं कि किस आधार पर कोई अपनी भारतीय नागरिकता खो सकता है.

भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने 2019 में गृह मंत्रालय को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि बैकऑप्स लिमिटेड नाम की एक यूनाइटेड किंगडम की कंपनी में राहुल गांधी निदेशक और सचिव थे. उस कंपनी की ओर से 2005 और 2006 में दाखिल वार्षिक रिटर्न में गांधी ने अपनी राष्ट्रीयता ब्रिटिश बताई थी.

याचिका में किस आधार पर नागरिकता रद्द करने की मांग है?

सुब्रमण्यम स्वामी की शिकायत पर गृह मंत्रालय ने अप्रैल 2019 में राहुल के खिलाफ एक नोटिस जारी किया था. राहुल को ब्रिटिश नागरिक होने के आरोपों पर 15 दिन के अंदर जवाब देने को कहा गया था. सुब्रमण्यम का कहना है कि 5 साल बीत जाने के बाद भी गृह मंत्रालय की ओर से अभी भी यह स्पष्ट नहीं है कि इस पर क्या निर्णय लिया गया है. याचिका में सुब्रमण्यम का कहना है कि संविधान के अनुच्छेद 9 और भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 के तहत राहुल गांधी की भारतीय नागरिकता रद्द हो जानी चाहिए.

संविधान के अनुच्छेद 9 में कहा गया है कि यदि किसी व्यक्ति ने किसी दूसरे देश की नागरिकता अपनी इच्छा से ले ली है तो वह अनुच्छेद 5 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं होगा. उसे अनुच्छेद 6 या अनुच्छेद 8 के आधार पर भारत का नागरिक नहीं समझा जाएगा. अनुच्छेद 5 के अनुसार, भारत में जन्मा या जिसके माता-पिता में से कोई भारतीय है, वो शख्स भारतीय नागरिक होगा.

भारतीय नागरिकता अधिनियम, 1955 में भारतीय नागरिकता प्राप्त करने की शर्तें और प्रक्रिया का जिक्र है. इसमें बताया गया है कि भारतीय नागरिकता जन्म, वंश, पंजीकरण और नेचुरलाइजेशन (प्राकृतिककरण) द्वारा हासिल की जा सकती है.

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किन-किन मामलों में रद्द हो सकती है नागरिकता?

सिटिजनशिप एक्ट 1955 में नागरिकता हासिल करने के साथ-साथ रद्द होने का भी प्रोसेस बताया गया है. इसके अनुसार तीन तरह से भारतीय नागरिक, चाहे वह संविधान के प्रारंभ में नागरिक हो या उसके बाद का नागरिक हो, अपनी नागरिकता खो सकता है. यह हैं – त्याग, समाप्ति और अभाव.

सिटिजनशिप एक्ट के सेक्शन 8 के तहत कोई भारतीय नागरिक अपनी नागरिकता खुद से त्याग सकता है. इस सिलसिले में घोषणा करके और इसे पंजीकृत करवाकर वो अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ सकता है. जब कोई पुरुष अपनी नागरिकता छोड़ देता है, तो उसका प्रत्येक नाबालिग बच्चा भारतीय नागरिक नहीं रहता है. हालांकि, अगर ऐसा बच्चा 18 साल का होने के एक साल के भीतर भारतीय नागरिकता फिर से पाने के लिए आवेदन करता है, तो उसे नागरिकता मिल जाएगी.

यदि भारत का कोई नागरिक अपनी इच्छा से किसी दूसरे देश की नागरिकता प्राप्त कर लेता है, तो वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा. सिटिजनशिप एक्ट के सेक्शन 9 के तहत उसकी नागरिकता रद्द कर दी जाएगी. यदि कोई सवाल उठता है कि क्या, कब या कैसे किसी व्यक्ति ने दूसरे देश की नागरिकता हासिल की है, तो इसका फैसला नियमों द्वारा निर्धारित उचित अथॉरिटी करेगी.

किसी भारतीय की नागरिकता को रद्द करने की पावर केंद्र सरकार के पास भी होती है. अगर कोई नेचुरलाइजेशन, रजिस्ट्रेशन, डोमिसाइल और निवास से भारत का नागरिक बना है, तो केंद्र सरकार आदेश पारित करके उसकी नागरिकता खत्म कर सकता है यदि –

  • नागरिक ने भारत के संविधान के प्रति निष्ठा नहीं दिखाई.
  • नागरिक ने धोखाधड़ी, गलत प्रतिनिधित्व या किसी भौतिक तथ्य को छिपाकर नागरिकता प्राप्त की है.
  • युद्ध के दौरान नागरिक ने दुश्मन के साथ गैरकानूनी तरीके से व्यापार या संचार किया है;
  • नागरिक, पंजीकरण होने के पांच साल के भीतर, किसी भी देश में दो साल के लिए कैद हो
  • नागरिक सामान्यतः लगातार सात सालों से भारत से बाहर रह रहा हो.
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