कई प्राकृतिक आपदाओं और आंतरिक समस्याओं झेलने वाले देशों के साथ अक्सर ऐसा होता है कि देशवासियों का भरोसा सरकार के ऊपर से उठ जाता है और वो कानून हाथ में लेकर अपने फायदे के लिए काम करने लगते हैं. इस चक्कर में देश पूरी तरह चरमरा जाता है. ऐसा ही कुछ कैरिबियन देश हैती में भी हुआ. आज आलम ये है कि इस देश में कई गैंग्स (Haiti gang violence) विकसित हो गई हैं, जो एक दूसरे की जान लेने के पीछे पड़ी हुई हैं. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक आलाम ये है कि इस देश में अब चारों ओर हिंसा जैसा माहौल है, ऐसा लगता है जैसे हर घर से गोलियां चल रही हैं. हिंसा की वजह से लोगों की लाशें रोड पर पड़ी मिल जाती हैं, जो वहीं सड़ने लगती हैं.
डेली स्टार न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार हैती (Haiti violence) में रोड पर लोगों की लाशें सड़ रही हैं. हिंसा की वजह से लोग अपनों का अंतिम संस्कार तक नहीं कर पा रहे हैं. इस वजह से कुत्ते और सुअर जैसे जीव इन लाशों को खा रहे हैं. यूनाइटेड नेशन्स के अनुसार साल के पहले ही 3 महीनों के अंदर 2500 लोग या तो मारे जा चुके हैं या फिर घायल हैं. डेली स्टार की अप्रैल की रिपोर्ट के मुताबिक देश को 90 फीसदी गैंग्स मिलकर चला रही हैं.
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पुलिस-गैंग्स्टर्स की लड़ाई में बेकसूरों की मौत
एलए टाइम्स ने भी इस बात को रिपोर्ट किया कि कई इलाके इतने ज्यादा खतरनाक हो चुके हैं कि लोग बाहर जाने में भी डर रहे हैं. इसलिए वो अंतिम संस्कार नहीं कर पा रहे हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि हैती की नेशनल पुलिस के जिन जवानों को गैंग्स्टर्स ने मौत के घाट उतार दिया, उन लोगों की लाश तक नहीं मिल पा रही है. कई लोगों की मौत हिंसा के दौरान गलती से लगने वाली गोली से हो जा रही है.
कब्रिस्तान तक को कर दिया बंद
देश की राजधानी पोर्ट ऑ प्रिंस में सोलिनो नाम के इलाके में हिंसा की वजह से जॉन रूसेलेट जोसफ की मौत हुई. उनका परिवार खुशकिस्मत था कि उन्हें उनकी लाश मिल पाई. उनके एक कजिन भाई ने बताया कि वो घर जाने के लिए सड़क पार कर रहा था, जब एक गोली आकर उसे लग गई. इस तरह की मौतों की वजह से वहां के कम्यूनिटी लीडर हैं, उन्होंने सोलिनो इलाके के बॉर्डर को सील कर दिया है. लॉस एंजेलिस टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार अंतिम संस्कारों में वाद्य यंत्र बजाने वाले एक म्यूजिशियन निसी नाडिर ने कहा कि गैंग्स ने कब्रिस्तानों को भी ब्लॉक कर दिया है, ऐसी कई जगहें हैं जहां कोई जा ही नहीं सकता. यूनाइटेड नेशन्स के अनुसार 3 लाख से ज्यादा लोग, जिनमें काफी बच्चे हैं, अपने घरों को छोड़कर भागने को मजबूर हो गए हैं.