देश में प्रोविडेंट फंड (PF) से जुड़े नियमों में जल्द बड़ा बदलाव हो सकता है. केंद्र सरकार पीएफ में योगदान को लेकर अभी जो अपर लिमिट है, उसमें बदलाव कर सकती है. खुद केंद्रीय श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया ने इस बात की जानकारी दी है कि सरकार इसकी समीक्षा कर रही है.
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया का कहना है कि सरकार की कोशिश है कि कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) और कर्मचारी पेंशन स्कीम (EPS) की अपर लिमिट को हटा दिया जाए.
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जमा कर पाएंगे पहले से ज्यादा पैसा
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ईपीएफओ के 92 प्रतिशत सब्सक्राइबर्स को एक कंसोलिडेटेड अमाउंट का भुगतान किया जाता है. इसलिए सरकार की इच्छा है कि वह ईपीएफओ में जमा करने की अपर लिमिट को आसान बना दे, ताकि लोग ईपीएफओ में ज्यादा सेविंग कर पाएं.
केंद्रीय मंत्री मनसुख मंडाविया मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरे होने के मौके पर संवाददाताओं के सवालों का जवाब दे रहे थे. जुलाई 2024 में भी केंद्रीय श्रम मंत्रालय की ओर से एक प्रस्ताव तैयार किया गया था. तब ये खबर थी कि सरकार पीएफ कंट्रीब्यूशन की अपर लिमिट को 15,000 रुपए प्रति महीना से बढ़ाकर 25,000 रुपए प्रति महीना कर सकती है.
अभी क्या है PF में पैसा जमा करने की लिमिट?
मौजूदा समय में अभी हर कर्मचारी अधिकतम 15,000 रुपए का कंट्रीब्यूशन ही अपने पीएफ खाते में जमा कर सकता है. सरकार ने ये लिमिट 1 सितंबर 2014 को बढ़ाई थी. उससे पहले साल 2001 से 2014 तक पीएफ जमा करने की अधिकतम सीमा 6,500 रुपए प्रति महीना थी. पीएफ के नियमानुसार किसी कर्मचारी की बेसिक पे, हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) और अन्य अलाउंस को मिलाकर उसका 12 प्रतिशत पीएफ में जमा होता है.
इसमें कर्मचारी का कंट्रीब्यूशन सीधे पीएफ खाते में जाता है, जबकि इतनी ही राशि कंपनी या एम्प्लॉयर को भी जमा करनी होती है, हालांकि इसका 8.33 प्रतिशत उसके पेंशन खाते में जाता है, बाकी 3.67 प्रतिशत ही कर्मचारी के पीएफ खाते में जमा होता है.