भारतीय स्टेट बैंक (State Bank of India) ने हाल ही में अपने ग्राहकों को एक बड़ा झटका दिया है। बैंक ने अपनी मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) में वृद्धि का ऐलान किया है। इससे सीधे तौर पर उन लोगों पर असर पड़ेगा जिन्होंने होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan) या अन्य प्रकार के कर्ज लिए हैं। इस बढ़ोतरी के बाद ग्राहकों को हर महीने चुकाने वाली EMI में इजाफा करना होगा।
यह फैसला सिर्फ नए लोन लेने वालों पर ही नहीं बल्कि पुराने लोन धारकों पर भी लागू होगा। इसका मतलब है कि लाखों कर्जदारों की जेब पर अतिरिक्त भार पड़ेगा। आइए विस्तार से जानते हैं कि एसबीआई के इस कदम का क्या मतलब है और यह कर्जदारों को कैसे प्रभावित करेगा।]
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SBI ने MCLR क्यों बढ़ाई?
मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड्स बेस्ड लेंडिंग रेट (MCLR) वह दर होती है जिससे बैंक अपने ग्राहकों को लोन प्रदान करता है। यह दर इस बात पर निर्भर करती है कि बैंक को फंड जुटाने में कितनी लागत आ रही है।
हाल के महीनों में बैंकिंग प्रणाली में जमा दरों (Deposit Rates) में वृद्धि हुई है। इस वजह से बैंकों को अधिक ब्याज दर पर धन जुटाना पड़ रहा है। यही कारण है कि भारतीय स्टेट बैंक ने अपनी MCLR दरों को 0.05% तक बढ़ाने का फैसला किया है।
बैंक के चेयरमैन सी.एस. शेट्टी ने बताया कि एसबीआई के कुल ऋणों का लगभग 42% हिस्सा MCLR से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस वृद्धि का असर व्यापक होगा।
किस-किस अवधि की MCLR में हुआ बदलाव?
एसबीआई ने विभिन्न अवधियों के लिए MCLR में संशोधन किया है।
- तीन महीने की MCLR: इसमें वृद्धि की गई है।
- छह महीने की MCLR: इसे भी बढ़ाया गया है।
- एक दिन, एक महीने, दो साल और तीन साल की MCLR: इनमें कोई बदलाव नहीं किया गया है।
इस बदलाव का सबसे ज्यादा असर एक साल की MCLR दर पर होगा, क्योंकि इसी दर से होम लोन (Home Loan), कार लोन (Car Loan) और पर्सनल लोन (Personal Loan) जैसे कर्जों की ब्याज दरें निर्धारित की जाती हैं।
कुछ ही महीनों में दूसरी बार बढ़ी MCLR
यह पहली बार नहीं है जब एसबीआई ने MCLR में वृद्धि की है। अगस्त में भी बैंक ने अपनी दरों में संशोधन किया था। उस समय तीन साल की अवधि के लिए MCLR को 9.10% और दो साल की अवधि के लिए 9.05% कर दिया गया था।
अब, कुछ ही महीनों के भीतर, बैंक ने दोबारा MCLR में इजाफा किया है। हालांकि, इस बार यह वृद्धि मामूली है, लेकिन इसका असर ग्राहकों की EMI पर साफ दिखाई देगा।
कर्जदारों पर बढ़ेगा बोझ
इस बढ़ोतरी के कारण कर्जदारों पर निम्नलिखित प्रभाव पड़ेंगे:
- EMI में वृद्धि: जो ग्राहक पहले ही होम लोन या कार लोन ले चुके हैं, उन्हें अब हर महीने ज्यादा EMI चुकानी पड़ेगी।
- नए लोन महंगे होंगे: जो लोग नए लोन लेने की योजना बना रहे हैं, उन्हें अधिक ब्याज दर पर लोन मिलेगा।
- पुराने लोन धारक भी प्रभावित होंगे: MCLR से जुड़े पुराने लोन धारकों पर भी यह दरें लागू होंगी।
एमसीएलआर बढ़ने से ग्राहकों को क्या करना चाहिए?
- फिक्स्ड रेट लोन पर विचार करें: यदि आप भविष्य में ब्याज दरों में वृद्धि से बचना चाहते हैं, तो फिक्स्ड रेट लोन लेना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
- लोन रीसेट का समय जानें: MCLR आधारित लोन की ब्याज दरें एक निश्चित अवधि में रीसेट होती हैं। अपने लोन की रीसेट अवधि के बारे में जानकारी रखें।
- EMI कैलकुलेशन करें: EMI में होने वाले संभावित इजाफे की गणना करके अपनी वित्तीय योजना बनाएं।