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January 20, 2025 1:51 am

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अवध ओझा ने खोले राज………’PM मोदी के जबरा फैन, BJP की जगह AAP को क्यों चुना…….

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शिक्षक से राजनेता बने अवध ओझा को मोटिवेशनल स्पीकर के तौर भी जाना जाता है। उनके कई ऐसे वीडियो हैं जिसमें वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक जबरा फैन की तरह तारीफ करते दिख रहे है। हालांकि, जब उन्होंने राजनीति में कदम रखा तो दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पार्टी आम आदमी पार्टी (AAP) को चुना। उनसे जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की जगह आम आदमी पार्टी के चयन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने खुलकर इसका जवाब दिया।

एनडीटीवी को दिए एक इंटरव्यू के दौरान अवध ओझा ने ‘आप’ के शिक्षा मॉडल की जमकर तारीफ की और राजनीति में आने के फैसले पर खुलकर बात की। उन्होंने आप में शामिल की वजहें बताते हुए कहा कि आम आदमी पार्टी की शिक्षा के प्रति प्रतिबद्धता ने उन्हें प्रभावित किया। उन्होंने कहा, “जिस पार्टी ने दिल्ली को एक एजुकेशनल लैबोरेट्री बना दिया हो, जिसकी तारीफ विदेशों में भी हो रही हो और जिसने मुझे इतने सम्मान और प्रेम के साथ शामिल होने का निमंत्रण दिया तो मुझे इसमें शामिल होना ही था।”

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भाजपा में क्यों नहीं शामिल हुए अवध ओझा?

अवध ओझा से पूछा गया कि केजरीवाल और सिसोदिया जैसे लोग भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जा चुके हैं तब आपने भाजपा को क्यों नहीं चुना, आप में ही क्यों शामिल हुए? इसके जवाब में उन्होंने कहा, “जेल में तो नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी भी रहे हैं। इतिहास नेताओं के जेल जाने के उदाहरणों से भरा पड़ा है। जब तक अदालत किसी व्यक्ति को दोषी साबित नहीं करती, तब तक हम उसे अपराधी नहीं मान सकते हैं।” उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में किसी पर भी आरोप लगाना आसान है, लेकिन न्यायालय का फैसला ही अंतिम होता है।

शिक्षक से नेता बनने पर क्या बोले?

राजनीति में आने के सवाल पर अवध ओझा ने कहा, “डॉ. राममनोहर लोहिया और डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का मानना था कि देश के बेहतरीन दिमागों को या तो शिक्षक बनना चाहिए या राजनीति में आना चाहिए। डॉ. बी.आर. अंबेडकर इसका सबसे बड़ा उदाहरण हैं। उनके पास कई विकल्प थे, लेकिन उन्होंने देश की सेवा के लिए राजनीति चुनी।”

अवध ओझा जैसे लोकप्रिय शिक्षाविद का आम आदमी पार्टी में शामिल होना पार्टी के लिए बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है। उनकी छवि और सोशल मीडिया पर उनकी लोकप्रियता पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने में मदद कर सकती है। अब सभी की निगाहें इस बात पर हैं कि क्या अवध ओझा चुनाव लड़ेंगे और शिक्षा के प्रति उनके विजन का दिल्ली चुनाव पर क्या असर पड़ेगा।

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