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August 25, 2025 1:44 am

अमेरिका को जलाने के लिए क्या-क्या कर रहा भारत…..’जयशंकर मॉस्को जा रहे, चीनी विदेश मंत्री नई दिल्ली आ रहे….

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अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ पर लगातार भारत को धमकियां दे रहे हैंट्रंप की कोशिश भारत को झुकाने पर हैलेकिन मोदी सरकार सीना तानकर अमेरिका के सामने खड़ी हैसरकार का कहना है कि उसके लिए राष्ट्रहित पहले हैवो जो भी फैसला लेगी देश के हित को ध्यान में रखते हुए लेगीट्रंप को बयानों से तो मैसेज दिया ही जा रहा हैसाथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा कुछ किया जा रहा है जिससे उन्हें सीधा संदेश जाए.

काम कर रहा है जो कहीं से भी अमेरिका बिल्कुल नहीं चाहता हैअगर कहें कि भारत ट्रंप को चिढ़ा रहा है तो गलत नहीं होगादरअसलहिंदुस्तान रूस के साथ अपनी दोस्ती को और मजबूत कर रहा है तो वहीं चीन के साथ संबंधों को बेहतर कर रहा हैट्रंप यही नहीं चाहते.

अच्छे बैक्टीरिया का बढ़ना भी हो सकता है नुक़सानदायक……’रोज़ दही खाना ख़तरनाक……

रूस और भारत की मजबूत होती दोस्ती

ट्रंप भारत को रूस से दूर करना चाहते हैं. वो जितना ये कर रहे भारत उतना मॉस्को के और करीब जा रहा है. इसी सिलसिले में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल के बाद अब विदेश मंत्री एस जयशंकर रूस के दौरे पर जा रहे हैंउनकी ये यात्रा अगले हफ्ते होगीरूस की सरकार के मुताबिक, 21 अगस्त को जयशंकर की रूसी विदेश मंत्री से मुलाकात होगीदोनों देशों के मंत्रियों की इस बैठक के कुछ ही दिन बाद राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन भारत आएंगे.

पुतिन का नई दिल्ली दौरा सितंबर में होगापुतिन के भारत दौरे की बात डोभाल की यात्रा के दौरान सामने आई थीनेताओं के आने-जाने के अलावा भारत रूस से तेल खरीदना जारी रखा हैट्रंप को ये रास नहीं आ रहा है और यही वजह है कि वो भारत पर टैरिफ को बढ़ाते जा रहे हैंरूस भी भारत के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा हैतेल विवाद पर रूस का कहना है कि भारत को देशहित में फैसला लेने का अधिकार है.

चीन से भी बेहतर हो रहे संबंध

रूस से दोस्ती को और मजबूत करके भारत ट्रंप को मैसेज तो दे ही रहा है साथ ही चीन से अपने संबंधों को सुधार रहा हैऐसा नहीं है कि भारत ही हाथ बढ़ा रहा हैचीन भी खुलकर साथ खड़ा हैउसके विदेश मंत्री वांग यी 18 अगस्त को नई दिल्ली आ सकते हैंजहां उनकी मुलाकात अजीत डोभाल से हो सकती हैऑपरेशन सिंदूर के बाद चीन के किसी नेता का ये पहला भारत दौरा होगावांग यी का ये दौरा अगस्त के आखिर में होने वाले SCO समिट से पहले हो रहा है.

सितंबर को चीन में होने वाले इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगेपीएम मोदी 7 साल बाद चीन के दौरे पर जाएंगेइससे पहले 2018 में वह चीन गए थेतब भी SCO समिट में हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थेवांग यी के आने और पीएम मोदी के जाने से पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंहNSA अजीत डोभाल और विदेश मंत्री एस जयशंकर का भी चीन दौरा हो चुका है.

राजनाथ सिंह जून के आखिर में SCO समिट में हिस्सा लेने के लिए चीन गए थे तो जयशंकर जुलाई में पड़ोसी मुल्क गए थेडोभाल भी जून की शुरुआत में चीन के दौरे पर गए थे. रूस और चीन के साथ बातचीत इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि बीजिंग रूस-भारत-चीन त्रिपक्षीय बैठक के लिए दबाव बना रहा हैहालांकि दिल्ली ने अभी तक इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.

ट्रंप की और कौन सी बात नहीं मान रहा भारत

टैरिफ पर झुक नहीं रहा- ट्रंप चाहते हैं कि भारत उनकी सारी बात मान ले. रूस से तेल खरीदना बंद कर दे. डेयरी और फार्म सेक्टर को अमेरिका के लिए खोल दे. लेकिन भारत अड़ा हुआ है. यही वजह है कि ट्रंप टैरिफ को बढ़ाते जा रहे हैं. पहले 25 परसेंट किए थे. बाद में 50 परसेंट कर दिए.

सीजफायर पर ट्रंप को क्रेडिट नहीं दे रहा- डोनाल्ड ट्रंप भारत-पाकिस्तान के बीच शांति कराने का श्रेय अब तक कई बार ले चुके हैं. उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस और अलग-अलग मंचों से कई बार कहा कि भारत-पाकिस्तान के बीच उन्होंने सीजफायर कराया, नहीं तो लड़ाई परमाणु वाली हो जाती है. पाकिस्तान तो ट्रंप की बात मान लिया. उसने कहा भी कि ट्रंप ने उसकी जान बचा दी, लेकिन भारत ने अब तक एक बार भी सीजफायर का श्रेय ट्रंप को नहीं दिया.

यही बात ट्रंप मान नहीं पा रहे हैं. ट्रंप सोच रहे हैं कि आखिर कैसे भारत उनको श्रेय नहीं दे रहा है. जिस मजबूती के साथ हिंदुस्तान ट्रंप के सामने डटा हुआ है, वो अमेरिका और पूरी दुनिया के लिए एक बड़ा संदेश है.

नोबेल के लिए ट्रंप को नॉमिनेट नहीं कर रहा-

डोनाल्ड ट्रंप की ख्वाहिश नोबेल पुरस्कार की हैवह शांति का नोबेल पुरस्कार चाहते हैंइजराइल-ईरान लड़ाईअजरबैजान-आर्मेनिया जंग और भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध को खत्म करके वह खुद को इसका दावेदार बता रहे हैंपाकिस्तान और कई अन्य मुल्क तो उनको नॉमिनेट भी कर चुके हैंलेकिन भारत से उनको भाव ही नहीं मिल रहा है.

 

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