7 जुलाई की सुबह 5:30 बजे। मुंबई का वर्ली इलाका। तेज रफ्तार BMW कार ने स्कूटी सवार कपल को टक्कर मारी। टक्कर इतनी तेज थी कि महिला कार के बोनट पर जा गिरी। कार में बैठे मिहिर शाह ने भागने की कोशिश में महिला को कुचल दिया और डेड बॉडी को 1.5 किलोमीटर तक घसी.
पुलिस ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि घटना के बाद बचने के लिए मिहिर ने न सिर्फ गर्लफ्रेंड को 40 कॉल किए बल्कि पहचान छुपाने के लिए अपनी दाढ़ी और बाल कटवा लिए। उन पर 1 जुलाई से लागू नए क्रिमिनल कानून के तहत केस दर्ज किया गया है, जिसमें हिट एंड रन पर दोगुनी सजा का प्रावधान है।
शनिवार, 6 जुलाई की रात करीब 11 बजे मिहिर अपने 2 दोस्तों के साथ जुहू स्थित तापस बार पहुंचा। यहां मिहिर ने अपने दोनों दोस्तों के साथ शराब पार्टी की। TOI की रिपोर्ट के मुताबिक मिहिर और उनके दोस्तों ने बार में व्हिस्की के 12 बड़े पैग पिए।
पब मैनेजमेंट ने आरोप लगाया है कि मिहिर शाह ने उन्हें जो पहचान पत्र दिखाया, जिसमें उसकी उम्र 27 साल थी। उसके साथ तीन दोस्त भी आए थे, जिनकी उम्र 30 साल से अधिक थी। पुलिस का दावा है कि ऑफिशियल रिकॉर्ड के अनुसार मिहिर 24 साल का है, जबकि शराब पीने की न्यूनतम कानूनी उम्र 25 वर्ष है।
जुहू के वाइस ग्लोबल तापस बार का CCTV फुटेज। इसमें मिहिर शाह अपने दोस्तों के साथ दिख रहा है।
रात के करीब 1.30 बजे मिहिर और उसके दोस्त बार से बाहर निकले। अपने दोस्तों को बोरीवली में उनके घर छोड़ने के बाद मिहिर ने सुबह करीब 3.30 बजे ड्राइवर से मरीन ड्राइव चलने के लिए कहा। पुलिस के मुताबिक मरीन ड्राइव से लौटते समय वर्ली में मिहिर खुद गाड़ी ड्राइव करने लगा।
सुबह करीब 5:30 बजे अटरिया मॉल के पास तेज रफ्तार BMW ने स्कूटी सवार कपल को टक्कर मार दी। कोलीवाड़ा इलाके में रहने वाले मछुआरे प्रदीप नखवा ससून डॉक से मछली खरीदकर लौट रहे थे। स्कूटी पर उनके साथ उनकी पत्नी कावेरी नखवा भी बैठी थी। टक्कर इतनी जोरदार थी कि स्कूटी पलट गई और दोनों पति-पत्नी कार के बोनट पर गिर गए। पति खुद को बचाने की कोशिश में बोनट से तुरंत कूद गया, लेकिन पत्नी उठ नहीं सकी। घायल महिला को मुंबई सेंट्रल स्थित नायर अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।
पुलिस के मुताबिक, CCTV फुटेज में यह दिखा कि घटना के बाद मिहिर शाह ने कावेरी नखवा की डेड ब़ॉडी को करीब 1.5 किलोमीटर तक घसीटने के बाद कार रोकी थी। इसके बाद मिहिर ने अपने ड्राइवर के साथ सीट बदल ली। ड्राइवर ने स्टेयरिंग संभालने के बाद कार बैक गियर में पीछे की तरफ चलाई और सड़क पर गिरी कावेरी को कुचल दिया। इसके बाद दोनों वहां से भाग गए।
ड्राइवर राजर्षि बिदावत कार को ड्राइव करते हुए बांद्रा के कला नगर पहुंचा। यहां उसने कार की विंडशील्ड पर लगे शिवसेना का स्टीकर हटाया, झंडा और नंबर प्लेट भी उतार दी।
इसके बाद मिहिर ऑटो से मुंबई के गोरेगांव में रहने वाली अपनी गर्लफ्रेंड के घर पहुंचा। बांद्रा से गोरेगांव जाने के दौरान उसने अपनी गर्लफ्रेंड को 40 बार कॉल किया। गर्लफ्रेंड के घर मिहिर ने करीब 2 घंटे तक आराम किया। इसके बाद मिहिर की बहन आई और उसे लेकर बोरीवली स्थित घर पहुंची।
बोरीवली से मिहिर अपनी मां मीना, दो बहनें पूजा और किंजल, दोस्त अवदीप के साथ शाहपुर के एक रिसॉर्ट के लिए रवाना हुआ, जो मुंबई से लगभग 70 किलोमीटर दूर है। इधर, पुलिस लोकेशन ट्रेस कर मिहिर का पता लगाने की कोशिश करती रही।
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पुलिस ने CCTV फुटेज के आधार पर पता लगाया कि ये गाड़ी राजेश शाह नाम के शख्स की है। राजेश शिवसेना (शिंदे) गुट के नेता हैं। जब पुलिस उनके घर पहुंची तो घर पर ताला लगा था।
इसके बाद मुंबई पुलिस ने मिहिर शाह की गिरफ्तारी के लिए तेजी दिखाई। पुलिस उसके परिवार, गर्लफ्रेंड और करीबी दोस्तों के फोन लगातार ट्रैक कर रही थी। हालांकि, फोन स्विच ऑफ होने की वजह से उसके बारे में कुछ भी पता नहीं चल पा रहा था। इस मामले को तूल पकड़ते देख मुंबई पुलिस ने मिहिर को गिरफ्तार करने के लिए 11 टीमें बनाई।
क्राइम ब्रांच को भी इस मुहिम में शामिल किया गया। मिहिर शाह के खिलाफ एक लुक आउट सर्कुलर (LOC) भी जारी किया गया। इसी बीच 8 जुलाई की रात मिहिर अपने दोस्त अवदीप के घर विरार आया। अवदीप ने 15 मिनट के लिए अपना फोन चालू किया।
इससे पुलिस को उसकी लोकेशन मिल गई। इस तरह घटना के तीसरे दिन मिहिर शाह और उसका दोस्त अवदीप गिरफ्तार हो गया। उसे 16 जुलाई तक पुलिस कस्टडी में भेजा गया है। पुलिस ने रिजॉर्ट से उसकी मां और बहनों को भी हिरासत में लिया है।
मिहिर शाह के खिलाफ पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 यानी गैर इरादतन हत्या, धारा 281 यानी रैश ड्राइविंग, धारा-125 B यानी गंभीर चोट पहुंचाना, 238 यानी अपराध के सबूतों को गायब करना, धारा 184 (खतरनाक तरीके से गाड़ी चलाना), 134 A यानी घायल को अस्पताल नहीं ले जाना, 134 B यानी पुलिस को जानकारी नहीं देना और एक्सीडेंट से जुड़ी धारा 187 में केस दर्ज किया है।
सुप्रीम कोर्ट के वकील और ‘न्यू क्रिमिनल लॉ’ किताब के लेखक विराग गुप्ता के मुताबिक, IPC के पुराने कानून की धारा-304 की जगह नए BNS कानून में धारा-105 शामिल की गई है। इसमें गैर-इरातदन हत्या के आरोप में अधिकतम आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
अगर कोई लापरवाही से वाहन चलाकर किसी व्यक्ति की मौत का कारण बनता है। ऐसे एक्सीडेंट से हुई मौतों के मामलों में IPC में धारा-304A थी, जिसकी जगह नए BNS कानून में धारा-106 शामिल की गई है। धारा-106 (1) के तहत अधिकतम 5 साल की सजा और जुर्माना लगाया जा सकता है।
नए कानून के मुताबिक आरोपी व्यक्ति एक्सीडेंट करने के बाद पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचित किए बगैर वारदात स्थल से भाग जाए तो उसके खिलाफ धारा-106 (2) के तहत मामला दर्ज हो सकता है। इसमें दोगुनी यानी 10 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।
विराग गुप्ता के मुताबिक दिसंबर 2023 में संसद से आपराधिक कानूनों को मंजूरी मिली थी। धारा-106 (1) और धारा-106 (2) दोनों ही मामलों में 3 साल से ज्यादा की सजा होने के कारण इसे गैर-जमानती अपराध माना गया।
ऐसे मामलों में पहले की तरह थाने से जमानत नहीं मिलेगी। लेकिन, घटनास्थल से भागने पर सजा दोगुनी होने को कठोर मानते हुए ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल कर दी थी। उसके बाद सरकार ने इस कानून पर दोबारा से विचार करने का आश्वासन दिया था।
1 जुलाई से नए कानून लागू होने के बाद नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो यानी NCRB के संकलन एप में धारा-106 (2) को लाल रंग से डिस्प्ले किया जा रहा है। इसके मुताबिक BNS कानून की इस धारा को 1 जुलाई से लागू नहीं किया गया।
इस बारे में सभी राज्यों की पुलिस को सही से जानकारी नहीं है। यही वजह है कि महाराष्ट्र के नागपुर में 106 (2) के तहत केस भी दर्ज हुआ है। इसके बारे में केंद्रीय गृह मंत्रालय को नोटिफिकेशन जारी कर पुलिस विभाग को साफ-साफ जानकारी देने की जरूरत है। नए कानून के मुताबिक मोटर व्हीकल एक्ट की धारा-134 में भी केंद्रीय और राज्यों के स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है।
मुंबई पुलिस ने भी इस मामले में फिलहाल धारा-106 (2) नहीं लगाई है।
विराग बताते हैं कि इसके लिए सबसे पहले ये समझना होगा कि कोई कानून लागू किस तरह से होता है। दरअसल, संसद से कानून पारित होने के बाद राष्ट्रपति की मंजूरी मिलती है। उसके बाद सरकार नोटिफिकेशन के जरिए कानून को लागू करने की तारीख तय करती है।
नए आपराधिक कानून दिसंबर 2023 में बने थे और फिर उन्हें 1 जुलाई 2024 से लागू करने के लिए 24 फरवरी को अधिसूचना जारी की गई थी। सरकार अगर किसी धारा को लागू करने पर रोक लगाना चाहती है तो उसके लिए नोटिफिकेशन में साफ तौर पर इसकी जानकारी देना जरूरी है। सरकार अगर ऐसा नहीं करती है तो नए कानून की सभी धाराएं 1 जुलाई से लागू हो जाएंगी।
हालांकि, केंद्र सरकार ने पिछले दिनों कई कानून में नोटिफिकेशन जारी कर उसके कुछ हिस्से पर रोक लगाए हैं। इसका एक उदाहरण कुछ इस तरह से हैं…
- नए टेली कम्यूनिकेशन कानून को भी पिछली संसद से मंजूरी मिली थी, जिसे 26 जून से लागू किया गया है। इस कानून में कुल 62 धारायें हैं। इनमें से कई धाराओं को अभी लागू नहीं किया गया है। इसी तरह से डेटा सुरक्षा का कानून भी लागू नहीं हुआ क्योंकि उसके नियम नहीं बने।
- इसी तरह केंद्र सरकार संसद या अध्यादेश के जरिए नए कानून में संशोधन नहीं करती है तो नोटिफिकेशन जारी कर कानून के किसी खास हिस्से पर रोक लगा सकती है।
- धारा-106 (2) पर किसी प्रशासनिक आदेश या ऐप में निर्देशों की बजाए सरकारी नोटिफिकेशन जारी कर पूरे देश में एक समान रोक लगाना जरूरी है।
- राजेश शाह के खिलाफ धारा-105 की बात यदि गलत मानी गई तो अदालत में उनके खिलाफ मुकदमा कमजोर हो जायेगा।
- मिहिर शाह के पिता राजेश शाह के खिलाफ भी पुलिस ने BNS कानून की धारा-105 के तहत मामला दर्ज कर लिया था। बचाव पक्ष के अनुसार राजेश ना तो गाड़ी चला रहे थे और ना ही मौके-ए-वारदात में थे। इसलिए उनके खिलाफ धारा-105 यानी गैर-इरादतन हत्या करने का मामला नहीं बनता। लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मिहिर शाह के भागने के बाद उसके पिता राजेश शाह गाड़ी को छिपाने की फिराक में थे।बचाव पक्ष की दलीलों के आधार पर जज ने चेतावनी देते हुए राजेश शाह को 15,000 रुपए के बॉन्ड पर जमानत दे दी। आपराधिक मामलों में सभी आरोपियों के खिलाफ एक जैसी धाराओं में मनगढंत तरीके से FIR दर्ज करने से पूरा मामला कमजोर हो जाता है। कई बार अकर्मण्यता की वजह से और कई बार जानबूझकर पुलिस वाले ऐसी गलती करते हैं, जिसका फायदा आरोपियों को अदालत में मिलता है।