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July 9, 2025 2:07 pm

बीच जंग में अमेरिकी एयरफोर्स अपने यहां बुलाया……’ईरान के साथ कौन सा गेम खेल रहा तुर्किए…….

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तुर्की दोगलेपन में पाकिस्तान से आगे निकलता दिख रहा है. जैसे एक तरफ पाकिस्तान ईरान के साथ खड़े होने की बात करता है और दूसरी तरफ सेना प्रमुख आसिम मुनीर ट्रंप से मुलाकात कर लेते हैं, ऐसा ही कुछ तुर्की के मुद्दे पर देखने मिल रहा है. तुर्की इस समय मुस्लिम देशों के संगठन OIC के समिट की मेजबानी कर रहा है, जिसमें सबसे बड़ा मुद्दा ईरान इजराइल युद्ध और फिलिस्तीन होने वाला है. लेकिन इजराइल के दोस्त के साथ भी तुर्की युद्ध अभ्यास करने जा रहा है.

अमेरिकी रक्षा विभाग की मीडिया सेवा ने कहा कि अमेरिका 23 जून से 4 जुलाई तक तुर्की द्वारा आयोजित बहुराष्ट्रीय वायु सेना अभ्यास में नाटो सहयोगियों के साथ शामिल होगा. इटली के एवियानो एयरबेस पर तैनात US 31वें फाइटर विंग के लड़ाकू जेट ‘एनाटोलियन ईगल 25’ ड्रिल में हिस्सा लेंगे, जो मध्य तुर्की शहर कोन्या में तीसरे मुख्य जेट बेस पर आयोजित किया जाएगा.

तो इस तरह खुद को करें मोटिवेट…….’सोचने के बाद भी नहीं कर पा रहे हैं योग……

अमेरिका पहले से मध्य पूर्व में अपने मौजूदगी बढ़ा रहा है और ईरान पर हमला करने की तैयारी कर रहा है. ऐसे में तुर्की का अमेरिका सेना को अपनी जमीन पर युद्ध अभ्यास के लिए बुलाना ईरान के लिए चिंता का सबब बन सकता है. क्योंकि अमेरिका को इसका फायदा ईरान पर हमले करने के लिए मिल सकता है.

अमेरिका को मिलेगा फायदा

इस ड्रिल में अमेरिका ही नहीं बल्कि कई देशों की वायु सेनाएं हिस्सा ले रही हैं, इस ड्रिल का मकसद यथार्थवादी परिस्थितियों में संयुक्त युद्ध प्रशिक्षण के जरिए से परिचालन समन्वय में सुधार करना है. 31वें फाइटर विंग के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल टैड डी. क्लार्क ने कहा कि अभ्यास ‘असल उच्च-स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करते हैं और सहयोगी बलों की एक साथ काम करने की क्षमता को मजबूत करते हैं.

यह अभ्यास ऐसे समय में हो रहा है जब मध्य पूर्व में अस्थिरता बनी हुई है, इजराइल-ईरान संघर्ष अपने दूसरे हफ्ते में है और पड़ोसी क्षेत्रों में इसके फैलाने का डर बना हुआ है.

सीरिया को भी पीछे हटा रहा तुर्की

इस समय इजराइल वायु सेना सीरिया का एयरस्पेस इस्तेमाल कर ईरान पर हमले कर रही है. सीरिया में तुर्की समर्थित अल शरा की सरकार है. खबरों के मुताबिक तुर्की ने सीरिया को निर्देश दिए हैं कि वह इजराइल ईरान युद्ध से दूर रहे. ऐसे में तुर्की राष्ट्रपति एर्दोगान पर सवाल उठ रहे हैं कि वह सच में मुसलमानों के नेता बनना चाहते हैं या बस अपना काम निकाल रहे हैं.

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