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June 22, 2025 5:52 pm

जो विदेश में देश के लिए ढूंढते हैं जासूस…….’कैसे बनते हैं केस ऑफिसर…….

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पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा. भारत से सीधे लड़ाई में हर बार मुंह की खाने के बाद अब वह जासूसी पर उतर आया है. खास बात ये है कि इस बार पाकिस्तान जासूसी के लिए आम नागरिकों को यूज कर रहा है. पहलगाम हमले के बाद से अब तक भारत में 10 जासूस पकड़े जा चुके हैं, इनमें सबसे चर्चित नाम ज्योति मल्होत्रा का है जो पाक उच्चायुक्त के अधिकारी दानिश के संपर्क में थी. अब जांच एजेंसियां उन केस असफरों को तलाशने में जुटी हैं, जो भारत के लोगों को ही अपनी देश की जासूसी करने के लिए रिक्रूट कर रहे हैं.

दरअसल दूसरों देशों में अपने देश के लिए जासूस ढूंढने वालों को केस अफसर कहते हैं. दुनिया भर में CIA, RAW, MOSAD, ISI समेत जितनी भी जांच एजेंसियां हैं वह अपने एजेंटों को दूसरे देश में प्लांट करते हैं. इनमें कुछ एजेंटों का काम अपने देश के लिए जासूस ढूंढना होता है, इंटरनेशनल जासूसी की दुनिया में इन्हें ही केस अफसर कहा जाता है.

भारत में केस अफसर दो तरह के होते हैं

भारत में केस अफसर दो तरह के होते हैं, एक घरेलू और दूसरे अंतरराष्ट्रीय. घरेलू केस अफसर पुलिस, सीबीआई, NIA जैसी जांच एजेंसियों के उन अधिकारियों को कहा जाता है जो किसी भी केस को संभाल रहे होते हैं. इनका काम भारतीय कानून व्यवस्था के तहत काम करना होता है.

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RAW के केस ऑफिसर

RAW के गोपनीय अधिकारियों को भी केस ऑफिसर्स कहा जाता है, जो पूरी तरह गोपनीय तरीके से इंटरनेशनल लेवल पर काम करते हैं. इनका प्रमुख काम विदेशों में देश के लिए जासूसों की पहचान करना, उन्हें रिक्रूट करना और अपने तरीके से जानकारियां जुटाना होता है.यह विदेशी खुफिया जानकारी को इकट्ठा करते हैं और इनपुट के आधार पर यह तय करते हैं कि संबंधित देश में उनके देश के विरुद्ध किस तरह की साजिश रची जा रही है.

कैसे रिक्रूट किए जाते हैं जासूस

एक्सपर्ट के मुताबिक कोई भी जांच एजेंसी विदेशों में जासूस करने के लिए पहले ऐसे लोगों की पहचान करती है जो अपने देश की जासूसी करने के लिए तैयार हो जाएं, उन्हें पैसों का लालच दिया जाता है, या फिर दबाव बनाया जाता है.उन्हें प्रशिक्षण देने के बाद उनसे नियमित रिपोर्ट ली जाती है. यह पूरी प्रक्रिया पूरी तरह गोपनीय होती है.

कैसे बनते हैं केस ऑफिसर

केस ऑफिसर की कोई भर्ती नहीं होती, बल्कि RAW यानी रिसर्च एनालिसिस विंग के ही अधिकारियों को ही यह जिम्मेदारी दी जाती है. खास बात ये है कि रॉ के लिए भी कोई सीधी भर्ती नहीं होती. इस प्रतिष्ठित विंग में आईएएस, आईपीएस लिए जाते हैं. आईबी के भी अफसरों को रॉ में काम करने का मौका मिलता है. इसके अलावा सेना, नेवी और एयरफोर्स के अच्छे अधिकारियों को भी डिपुटेशन पर रॉ में काम करने का मौका मिलता है. खासतौर से मिलिट्री इंटेलीजेंस के अधिकारी इसके लिए पात्र माने जाते हैं, हालांकि रॉ में सिलेक्शन से पहले उन्हें कड़ी चयन प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है.

रॉ में जाने के लिए ये खूबियां होना जरूरी
  • रॉ में काम करने के लिए आईएएस-आईपीए, आईबी या मिलिट्री में काम करने का अनुभव जरूरी है.
  • तेज दिमाग वालों को ही इसमें तरजीह दी जाती है, जो गोपनीयता का पालन करें.
  • डिसीजन मेकिंग सबसे जरूरी है, रॉ में सिलेक्शन से पहले हर कैंडिडेट को इसके लिए कई टेस्ट से गुजरना पड़ता है.
  • बैंकग्राउंड क्लीयर होना चाहिए, इसके लिए कई चरणों में वेरिफिकेशन किया जाता है.
  • भाषाओं का ज्ञान जरूरी, अगर विदेशी भाषाओं का ज्ञान है तो इसे प्लस प्वाइंट माना जाता है.
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