दिल्ली आबकारी नीति घोटाले में सुप्रीम कोर्ट ने अब केंद्रीय एजेंसियों की जांच की निष्पक्षता पर ही सवाल उठा दिया है. जी हां, SC ने इससे जुड़े भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में भारत राष्ट्र समिति (BRS) नेता के. कविता को राहत देते हुए जमानत दे दी है. इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने जो टिप्पणी की, वह चर्चा में है. सुप्रीम कोर्ट ने एजेंसियों से पूछा कि क्या वे ‘चुनिंदा कार्रवाई’ के लिए स्वतंत्र हैं?
न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने कहा कि कविता की हिरासत की अब जरूरत नहीं है क्योंकि वह पांच महीने से ज्यादा समय से हिरासत में हैं और इन मामलों में उनके खिलाफ सीबीआई और ईडी की जांच पूरी हो गई है. दोनों केंद्रीय एजेंसियों को उनकी जांच की ‘निष्पक्षता’ को लेकर तीखी आलोचना का सामना करना पड़ा.
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SC ने क्यों कहा, स्थिति देखकर दुख हुआ
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि यह स्थिति देखकर दुख हुआ. न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने इस मामले में एक गवाह का जिक्र करते हुए कहा, ‘आप किसी को भी चुन लेंगे?’ पीठ ने केंद्रीय एजेंसियों को फटकार लगाते हुए कहा, ‘अभियोजन पक्ष को निष्पक्ष होना चाहिए. आप चुन-चुनकर कार्रवाई नहीं ले सकते. क्या यह निष्पक्षता है? जो व्यक्ति खुद को दोषी ठहराता है, उसे गवाह बना दिया गया है. कल आप किसी को भी अपनी मर्जी से आरोपी बना कर हिरासत में ले लेंगे और किसी को भी अपनी मर्जी से छोड़ देंगे? बहुत ही उचित और तर्कसंगत विवेक!’
उच्चतम न्यायालय की यह पीठ कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन मामलों में जमानत की अनुरोध करने वाली कविता की याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी. कविता की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने यह कहते हुए जमानत देने का अनुरोध किया कि उनकी मुवक्किल के खिलाफ दोनों एजेंसियों की जांच पूरी हो गई है. रोहतगी ने कहा कि वह ईडी के धन शोधन मामले में पांच महीने से और सीबीआई के मामले में चार महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं. उन्होंने दोनों मामलों में सह आरोपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के नेता मनीष सिसोदिया को जमानत देने के उच्चतम न्यायालय के नौ अगस्त के फैसले का भी हवाला दिया.
जांच एजेंसियों की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू ने दावा किया कि कविता ने अपना मोबाइल फोन ‘फॉर्मेट’/नष्ट किया था और उनका आचरण सबूतों से छेड़छाड़ करने वाला था. रोहतगी ने इस आरोप को ‘फर्जी’ बताया.
493 गवाह, 50 हजार पृष्ठ
पीठ ने कहा कि चूंकि दोनों मामलों में 493 गवाहों की जांच की जानी है और 50,000 पृष्ठों के दस्तावेजों पर विचार किया जाना है, इसलिए निकट भविष्य में मुकदमे के समाप्त होने की कोई संभावना नहीं है. पीठ ने कविता को जमानत देने का निर्देश देते हुए कहा, ‘अपीलकर्ता (कविता) को प्रत्येक मामले में 10-10 लाख रुपये की मुचलका राशि पर तत्काल जमानत पर रिहा करने का निर्देश दिया जाता है.’
शीर्ष अदालत ने उन्हें जमानत दिए जाने से इनकार करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के एक जुलाई के आदेश को रद्द कर दिया. बाद में, दिल्ली की एक अदालत ने कविता के लिए रिहाई का वारंट जारी कर दिया, जिससे जेल से उनकी रिहाई का रास्ता साफ हो गया. कुछ देर बाद कविता तिहाड़ जेल से बाहर आईं.
इससे पहले दिल्ली उच्च न्यायालय ने दोनों मामलों में कविता की जमानत याचिकाएं खारिज करते हुए कहा था कि वह प्रथम दृष्टया दिल्ली आबकारी नीति 2021-22 (जो अब रद्द की जा चुकी है) को तैयार करने और लागू करने से संबंधित आपराधिक साजिश में मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक हैं.
उच्चतम न्यायालय ने कविता को अपना पासपोर्ट निचली अदालत में जमा करने का निर्देश देते हुए कहा कि वह सबूतों से छेड़छाड़ या गवाहों को प्रभावित करने का कोई प्रयास नहीं करेंगी. न्यायालय ने कविता को निर्देश दिया कि वह नियमित रूप से निचली अदालत की कार्यवाही में उपस्थित रहेंगी और मुकदमे का शीघ्र निपटारा सुनिश्चित करने में सहयोग करेंगी.
ईडी ने कविता (46) को 15 मार्च को हैदराबाद में उनके बंजारा हिल्स स्थित घर से गिरफ्तार किया था. सीबीआई ने कथित घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में 11 अप्रैल को उन्हें गिरफ्तार किया था. तेलंगाना के पूर्व मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव की बेटी कविता पर ‘साउथ ग्रुप’ का हिस्सा होने का आरोप लगाया गया है, जो व्यापारियों और राजनेताओं का एक कथित गिरोह है. इस गिरोह ने कथित तौर पर शराब लाइसेंस के बदले दिल्ली की सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत दी थी. कविता इन आरोपों को लगातार खारिज कर रही हैं.