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September 8, 2024 8:11 am

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7 बार फेल हुआ स्टार्टअप,आठवीं बार में खड़ी हुई 6,900 करोड़ की कंपनी………’मेगा एंपायर- ट्रैफिक जाम से परेशान होकर शुरू किया Rapido

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स्टार्टअप के लिए छोड़ी सॉफ्टवेयर डेवलपर की जॉब

आईआईटी खड़गपुर से पढ़ाई पूरी करने के बाद पवन की जॉब सैमसंग कंपनी में लग गई। सैमसंग में पवन ने सॉफ्टवेयर डेवलपर का काम किया। इसके बाद पवन जॉब करने साउथ कोरिया चले गए। वहीं काम के दौरान ही उन्हें खुद का बिजनेस करने का आइडिया आया।

फिर क्या, पवन जॉब छोड़कर वापस इंडिया आ गए। वह स्टार्टअप के नए आइडिया तलाशते रहे और एक्सपेरिमेंट करते रहे। इसी दौरान उन्होंने अपने स्कूल के दोस्त अरविंद संका के साथ मिलकर ‘द कैरियर’ (theKarrier) नाम से स्टार्टअप की शुरुआत की। ‘द कैरियर’ स्टार्टअप में वे मिनी ट्रक से इंटरसिटी लॉजिस्टिक्स सर्विस देते थे।

हालांकि उनका यह स्टार्टअप जल्द ही फेल हो गया। मिनी ट्रक चलाने के लिए ज्यादा पैसों की जरूरत थी। इस वजह से स्टार्टअप बंद करना पड़ा।

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रैपिडो से पहले सात स्टार्टअप फेल

रैपिडो पवन का आठवां स्टार्टअप है। इससे पहले उनके सात स्टार्टअप फेल हो चुके हैं। जब पवन साउथ कोरिया से जॉब छोड़कर भारत लौटे, तो उन्हें लोगों के तानों का सामना करना पड़ा। एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया था कि बार-बार फेल हो रहे स्टार्टअप के बाद रिश्तेदार और पड़ोसी कहते थे तुम इंडिया में कुछ नहीं कर पाओगे। विदेश की अच्छी-खासी नौकरी छोड़ना बेवकूफी के सिवाय कुछ भी नहीं है।

बिना जॉब के अब मुश्किलें आने लगीं, सेविंग खत्म हो रही थी। स्टार्टअप लगातार फेल हो रहे थे। इस बीच बेंगलुरु जैसे शहर में स्टार्टअप के सिलसिले में बार-बार एक जगह से दूसरी जगह जाना बहुत खर्चीला हो गया। ऐसी स्थिति में पवन को कम किराए और सड़क जाम से बचने के लिए कोई उपाय चाहिए था। कुछ कंपनियां उस समय भी टैक्सी सर्विसेज की फील्ड में काम कर रही थीं। हालांकि वो मुंबई-दिल्ली तक ही सीमित थीं और उनका किराया भी ज्यादा था।

यहीं से उन्हें छोटे शहरों के लिए कम किराए में राइड सर्विस शुरू करने का आइडिया आया। 2015 में पवन ने ऋषिकेश एसआर और अरविंद संका के साथ मिलकर रैपिडो की शुरुआत की। रैपिडो को सबसे पहले 2015 में बेंगलुरु में लॉन्च किया गया था, जिसकी टैगलाइन रखी गई- राइड सोलो।

तीनों फाउंडर खुद कैप्टन बनकर देते थे राइड्स

कंपनी शुरू करने के बाद पहले तीन महीने फाउंडर्स अरविंद संका, पवन गुंटुपल्ली और एसआर ऋषिकेश खुद ही ‘कैप्टन’ बनकर राइड देते थे। उसके बाद प्रयोग के तौर पर 15 से 20 ऐसे लोगों को ‘कैप्टन’ बनाकर कमाने का मौका दिया, जिनके पास खुद की बाइक थी। यह प्रयोग काम कर गया, लोगों को रैपिडो की सर्विस पसंद आई। कई लोगों को भी रोजगार और एक्स्ट्रा कमाई करने का ऑप्शन मिला। बाद में कस्टमर डिमांड के चलते कंपनी ने ऑटो रिक्शा की सुविधा देनी भी शुरू कर दी।

75 इन्वेस्टर्स ने किया रिजेक्ट

एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि रैपिडो ने मार्केट में अपना दायरा बढ़ाने कि कोशिशें कीं तो कंपनी को बड़े इन्वेस्टर्स नहीं मिल रहे थे। इन्वेस्टर्स का मानना था कि ओला-उबर की कैब सर्विस के सामने बाइक सर्विस नहीं टिक पाएगी। अप्रैल 2016 में हीरो मोटोकॉर्प के सीईओ पवन मुंजाल ने रैपिडो में इन्वेस्ट किया। उन्होंने इसे भारत के कल्चर के हिसाब से बनाने का सुझाव दिया। कंपनी ने टियर-2 और टियर-3 शहरों पर अपना फोकस बढ़ाया। ऐसा करने पर कंपनी के वैल्यूएशन में इजाफा हुआ।

आज देश के कोने-कोने की लगभग 55 बाइक टैक्सी कंपनियों में रैपिडो पहले स्थान पर है। बेंगलुरु शहर से शुरू होकर आज रैपिडो 1,50,000 से ज्यादा बाइक टैक्सियों के साथ दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, चेन्नई और कोलकाता सहित देश के 100 से ज्यादा शहरों में सर्विस दे रही है।

8 प्रतिशत से अधिक महिला कैप्टन

पवन गुंटुपल्ली एक इंटरव्यू में बताते है कि कोविड के दौरान उन्हें एक महिला की चिट्ठी आई। कोविड में उनके पति की मौत हो गई थी, तब घर चलाने के लिए वह रैपिडो से जुड़ीं। रैपिडो से जुड़ने वाली पहली महिला कैप्टन का नाम के. स्नेहा था। वह अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद पांच साल पहले बेंगलुरु आई थीं। बेंगलुरु आने के बाद उनके एक दोस्त ने ही उन्हें रैपिडो एप के बारे में बताया था। आज साउथ इंडिया के बाद असम में महिला रैपिडो कैप्टन की संख्या ज्यादा है।

रैपिडो का बिजनेस मॉडल

रैपिडो का बिजनेस मॉडल मुख्य रूप से B2C (बिजनेस-टू-कस्टमर मॉडल) है। इसका मतलब है कि कंपनी खुद एक बिजनेस यूनिट के रूप में अपने कस्टमर को सीधे सर्विस देती है। रैपिडो का बिजनेस मॉडल कमीशन बेस्ड है। कंपनी कैप्टन और कस्टमर के बीच पुल का काम करके पैसे कमाती है। कंपनी कुल किराए का 20% कमीशन के तौर पर लेती है।

रैपिडो यूनिकॉर्न क्लब में शामिल

कंपनी ने इस साल जुलाई में अपने आखिरी सीरीज ई फंडिंग राउंड में वेस्ट ब्रिज कैपिटल से लगभग 1000 करोड़ रुपए जुटाए। इसी के साथ रैपिडो यूनिकॉर्न क्लब में शामिल हो गई। पोर्टर (Porter) लॉजिस्टिक्स सर्विस देने वाली कम्पनी और परफियोस (Perfios) बेंगलुरु स्थित फिनटेक कंपनी के साथ रैपिडो इस साल यूनिकॉर्न बनने वाली तीसरी कंपनी है।

रैपिडो ने लड़ी कानूनी लड़ाई

रैपिडो का सफर आसान नहीं रहा। इसे खुद को मार्केट में बनाए रखने के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी। कंपनी के मार्केट में आने के बाद मोटर एक्ट का बड़ा संकट आ खड़ा हुआ। नियमों के मुताबिक, सफेद प्लेट वाले वाहनों का इस्तेमाल कॉमर्शियल वाहन के तौर पर नहीं किया जा सकता।

मोटर एक्ट का पालन न होने पर 2019 में तमिलनाडु में कंपनी के वाहनों को जब्त किया जाने लगा। इसके लिए कंपनी ने कानूनी लड़ाई लड़ी। कुछ समय पहले तमिलनाडु की सरकार ने एपल इंडिया और गूगल को पत्र लिखकर अपने प्ले स्टोर से रैपिडो को हटाने की मांग की थी। दिल्ली और महाराष्ट्र दोनों राज्यों में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध लगाया गया। दिल्ली ने इलेक्ट्रिक बाइक टैक्सी को मंजूरी दी।

विवादों में रहने के कारण

रैपिडो सेफ्टी को लेकर भी अक्सर विवादों में रहती है। कुछ रैपिडो कैप्टन सुनसान रहने वाले रास्तों को चुनते है। बेंगलुरु में एक लड़की अथिरा रात को रैपिडो राइड लेती है। रैपिडो कैप्टन ने बाइक सुनसान रास्ते की ओर मोड़ ली। कैप्टन चलती बाइक पर मास्टरबेशन करने लगा। अथिरा घबरा गई और अपनी लोकेशन से पहले ही उतर गई। इसके बाद भी कैप्टन अथिरा को वॉट्सएप मैसेज करता रहा। इस तरह की कई शिकायत रैपिडो कैप्टन को लेकर आती हैं। वहीं कुछ कैप्टन राइड कैंसिल करके डायरेक्ट चलने का सुझाव भी देते हैं।

रिव्यू के लिए घूमते रैपिडो पर

तमाम विवादों के बावजूद कंपनी 497 करोड़ रुपए के रेवेन्यू के साथ ग्रो कर रही है। इसकी वजह शायद यह है कि पवन गुंटुपल्ली आज भी दिन में करीब दो से तीन राइड बुक करते हैं। कैप्टन से अनजान बनकर बात करते हैं और रैपिडो का रिव्यू लेते हैं। ऐसा कर वह कैप्टन की समस्या समझने की कोशिश करते हैं ताकि उन्हें सॉल्व कर कंपनी की ग्रोथ बढ़ाई जा सके।

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