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September 8, 2024 9:35 am

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Rajasthan News: सीवर तक में नहीं उतरा; 15 दिन से खुला था मेनहोल……..’जयपुर के नाले में डूबा मासूम पीयूष इकलौता बेटा था, 3 घंटे बाद पहुंचा था बचाव दल……

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पीयूष…यानी अमृत। परिवार के लिए 12 साल का पीयूष अमृत ही था। लेकिन नगर पालिका की जानलेवा लापरवाही ने बगरू के आचार्य परिवार से ये अमृत हमेशा के लिए छीन लिया।

1 अगस्त की सुबह छीपों के मोहल्ले में रहने वाला पीयूष दोस्तों के साथ सड़क पर चल रहा था। इस दौरान उसका पैर फिसला। वह नाले में जा गिरा। जहां ये हादसा हुआ, वहां से उसका घर महज 100 मीटर की दूरी पर था। 8 घंटे चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद नाले से करीब 500 मीटर की दूरी पर पीयूष का शव बरामद किया गया।

बगरू पहुंची और पीड़ित परिवार से मिली। मां रोते हुए पीयूष का नाम लेकर उसे पुकार रही हैं। 70 साल की दादी हर किसी से एक ही बात कहती है- मेरे पोते को सही सलामत ला दो। रो-रोकर दोनों बहनों की आंखें सूज गई हैं। इन आंखों में एक ही सवाल हैं- अब राखी किसे बांधेंगी।

नाले में गिरने की सुनते ही नंगे पैर दौड़ा परिवार

‘मेरी आंखों के सामने ही तो था, न जाने कब बारिश में घर से निकल पड़ा…।’ इतना कहते कहते पीयूष की मां संगीता फूट-फूट कर रोने लगती हैं। घर की महिलाएं उन्हें चुप कराने की जितना कोशिश करती हैं, वे उतनी ही रुआंसी होकर बेटे को पुकारती हैं।

पीयूष की बहन खुशी और चिंकी ने बताया- ‘हम लोगों ने उसे सुबह ही मना किया था कि बारिश तेज और सब जगह पानी भरा हुआ है। बाहर मत जाना। हम घर में भरे पानी को निकाल रहे थे। इस बीच पता नहीं, वह कब और किसके साथ बाहर निकल गया।’

इतना बताते-बताते दोनों बहनों की आंखें भर आई। फिर खुशी बोली- ‘थोड़ी देर बाद मोहल्ले के कुछ बच्चों ने आकर बताया कि पीयूष नाले में गिर गया है। ये सुनते ही हम नंगे पैर बाहर भागे। वहां पहुंचे तो देखा कि गांव के कुछ लोग उसे नाले में तलाश कर रहे थे। बहुत ढूंढा, लेकिन उसका कुछ पता नहीं चला।’

परिवार की मदद के लिए जुटाए 3.5 लाख

सबसे छोटा होने के कारण पीयूष दादी का लाडला था। पीयूष के साथ हुए हादसे के बाद से 70 वर्षीय पाना देवी बेसुध हैं।  देखते ही उसके गले लगकर रोने लगी। हाथ जोड़कर पोते को सही सलामल लाने की गुहार लगाई। उन्हें ढांढस बंधाया। गुरुवार देर रात तक परिवार की औरतों को पीयूष की मौत की खबर नहीं दी गई थी।

पीयूष के पिता ओम प्रकाश स्कूल वैन चलाते हैं। बमुश्किल परिवार का गुजर बसर चलाने लायक कमा पाते हैं। बेटे को खूब पढ़ाने लिखाने का सपना देखा था। पढ़ाई में होनहार पीयूष भी अपने दोस्तों और मोहल्ले के लोगों से कहता कि पढ़ लिखकर बड़ा पुलिस अफसर बनूंगा। नगर पालिका की जानलेवा लापरवाही ने परिवार के सारे सपने और खुशियां छीन लीं। गांव वालों ने परिवार की मदद के लिए 3.5 लाख रुपए जुटाए हैं।

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आरोप- सूचना के डेढ़ घंटे बाद पहुंची टीम

इलाके के लोगों ने आरोप लगाया कि सूचना देने के बावजूद रेस्क्यू टीम डेढ़ घंटे देरी से पहुंची। पीयूष के ताऊ भगवान सहाय ने बताया कि पूरा गांव इकठ्ठा हो गया था, लेकिन बचाव टीम दोपहर में आई। गांव के लोग ही उतरे थे बचाव दल तो नाले में भी नहीं उतरा।

सुबह 8.30 बजे पीयूष नाले में गिरा था। 8 घंटे बाद नाले से 500 मीटर दूर उसका शव मिला। लोगों ने आरोप लगाया कि इस नाले की सालों से सफाई नहीं हुई है।

पार्षद नितिन भारद्वाज ने बताया कि नाले का मेनहोल और फेरो कवर 15 दिन से टूटा हुआ था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। कमोबेश यही हाल मोहल्ले में नाले के ऊपर बने सभी मेनहोल का है।

मोहल्ले के लोगों ने बताया कि नगरपालिका चेयरमैन बालूराम मीणा खुद दो बार आकर टूटा हुआ मेनहोल और नाला देखकर गए, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की।

बचाने की कोशिश करने वाले लोकेश ने बताया- ‘मैंने पीयूष को मना किया था कि इस तरफ मत आना, लेकिन वह नहीं माना और नाले में गिर गया। मैंने पीयूष को बचाने की कोशिश की, लेकिन उसकी ही पकड़ में आई और देखते ही देखते मेरी आंखों के सामने वाले नाले में बह गया।’

इधर मामले में पालिका चेयरमैन बालूराम मीणा का कहना है कि यह 15 साल पुराना नाला है, जिसे जेडीए ने बनाया था। जब हादसा हुआ उससे एक दिन पहले मैं खुद मौके पर जाकर आया था, फेरो कवर लगा हुआ था। किसी लोडिंग ट्रैक्टर के निकलने से फेरो कवर टूट गया और बारिश के पानी में वह नजर नहीं आया। जिसकी वजह से हादसा हुआ।

5 साल का बच्चा गिर गया था खुले मेनहोल में

2016 में 14 जुलाई को मुरलीपुरा के रोड नंबर 2 पर सुबह स्कूल जाते समय 5 साल का प्रिंस खुले मेनहोल में गिर गया था। बिहार के मोतिहारी जिले के रहने वाले दंपती जादोलाल चौधरी और बबीता के बेटे प्रिंस का अगले दिन ही जन्मदिन था। रोड नंबर दो के नाले में बहा प्रिंस रोड नंबर 6 के नाले के आगे सड़क पर मिला था।

अस्पताल पहुंचने तक उसकी सांसें थम गई थीं। हादसे के वक्त प्रिंस के मम्मी-पापा मार्केट गए हुए थे। घर पर बड़ा भाई आदित्य ही था। भाई के गिरने की खबर मिलते ही वह उस तरफ दौड़ा, लेकिन चाहकर भी कुछ कर न सका। आदित्य आज भी उस सड़क पर जाने से डरता है।

प्रिंस की मां बबीता बोलीं- उसे दुनिया से गए 8 साल हो गए, लेकिन आज भी उसके आसपास होने का एहसास मेरे दिल में होता है। पिता जादोलाल सब्ज़ी का ठेला लगाते हैं। परिवार को आजतक मुआवजे का एक रुपया नहीं मिला। मामला अब भी कोर्ट में है।

नाले में बह गई थी कार

आयुष गर्ग 2016 में अपने बड़े भाई को कोचिंग छोड़कर घर लौट रहा था। आयुष जिस कार में सवार था, वह पानी के तेज बहाव में करतारपुरा नाले के अंदर गिर गई। जैसे तैसे कार का दरवाजा खोलकर आयुष कार के बोनट पर आ कर बैठ गया। नाले के किनारे चाय की थड़ी लगाने वाले प्रत्यक्षदर्शी जितेन्द्र नाथ ने बताया कि वह इतना घबरा गया था कि उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या करें?

हमने उसे कहा भी की वह किनारे उगी पीपल की जड़ पकड़ ले, हम उसे रस्सी फेंककर खींच लेंगे, लेकिन वह बिलकुल जड़वत हो गया था। अचानक कार पलटी और वह नीचे नाले में गिर गया। 7 दिन बाद गुर्जर की थड़ी के पास नाले के मुहाने से आयुष का शव मिला। आज आयुष का बड़ा भाई विनायक गर्ग विदेश में सैटल है। बहन दीक्षा की शादी हो गई है। मां उषा और पिता श्यामलाल गर्ग की आंखें आज भी उस हादसे का याद कर नम हो जाती हैं।

प्राकृतिक आपदा तो ही मुआवजा

प्राकृतिक आपदा में मुआवजे की प्रक्रिया समझने के लिए भास्कर टीम ने अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट जयपुर शहर (दक्षिण) शैफाली कुशवाहा से बात की। कुशवाहा ने बताया कि प्राकृतिक आपदा में जान गंवाने वाले लोगों को ही मुआवजा दिया जाता है।

वीकेआई में गुरुवार को हुए हादसे में मारे गए तीन जनों के परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से एक एक लाख रुपए और प्राकृतिक आपदा के तहत स्टेट डिजास्टर रिलीफ फंड की ओर से भी चार लाख रुपए दिए जाएंगे। प्राकृतिक आपदा में बाढ़, आकाशीय बिजली गिरने, भूस्खलन और अत्यधिक बारिश से होने वाली कैजुअलिटी को शामिल किया जाता है। कुछ मामलों में अगर लगता है कि यह प्राकृतिक आपदा के दायरे में आता है तो हम मुख्यमंत्री से अनुमति भी लेते हैं।

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