आपने अपने आस-पास भी कुछ लोगों को इनकम टैक्स की तरफ से मिलने वाले नोटिस को लेकर परेशान होते देखा या सुना होगा. इस पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इनकम टैक्स विभाग को आदेश दिया कि वे टैक्सपेयर्स को आसान और सरल भाषा में नोटिस भेजे. इस पर सीबीडीटी (CBDT) चेयरमैन रवि अग्रवाल सहयोगी चैनल जी बिजनेस से बातचीत में आयकर विभाग (Income Tax Department) में होने वाले बदलावों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बातचीत के दौरान बताया कि विभाग की तरफ से देश के सिर्फ 0.1% टैक्सपेयर्स को ही टैक्स से जुड़े नोटिस भेजे जाते हैं.
अपने प्रोसेस को बेहतर करने के लिए तैयार
उन्होंने कहा फिर भी विभाग की तरफ से वित्त मंत्री से मिले निर्देशों के अनुसार अपने प्रोसेस को बेहतर करने के लिए तैयार है. इस प्रयास का अहम हिस्सा टैक्स नोटिस में इस्तेमाल की जाने वाली भाषा को लेकर है. अग्रवाल ने कहा, ‘हमने पहले ही टैक्स नोटिस से जुड़ी भाषा को आसान बनाने को लेकर काम शुरू कर दिया है.’ उन्होंने यह भी माना कि इनकम टैक्स एक्ट-1961 के अनुसार वर्तमान कानूनी भाषा काफी हद तक अपरिवर्तित रही है. दअरसल, इसका अधिकांश हिस्सा पुराने कानून के अनुसार ही मिला था.
टैक्स नोटिस को आसान बनाने की कोशिश शामिल
अग्रवाल ने बातचीत के दौरान इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की प्रतिबद्धता पर जोर दिया कि वह टैक्सपेयर्स के अनुकूल दृष्टिकोण अपनाएगा. उन्होंने पुष्टि की कि इनकम टैक्स एक्ट का रिव्यू चल रहा है, जिसमें रोजमर्रा की भाषा का इस्तेमाल करके टैक्स नोटिस को ज्यादा आसान बनाने का प्रयास भी शामिल है. रिव्यू और उसकी जांच के लिए इंटरनल कमेटी का गठन किया गया है. अग्रवाल ने बताया कमेटी ने अपना काम शुरू कर दिया है और हमें उम्मीद है कि अगले छह महीने के अंदर यह रिव्यू पूरा हो जाएगा.
वित्त मंत्री ने क्या कहा था?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आयकर विभाग के अधिकारियों से कहा था कि वे टैक्सपेयर्स को भेजे जाने वाले नोटिस या दस्तावेजों में आसान शब्दों का यूज करें. साथ ही अधिकारियों को अपनी शक्तियों का सही तरीके से यूज करने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि टैक्स नोटिस टैक्सपेयर्स के मन में ‘डर की भावना’ बननी चाहिए. उन्होंने कहा कि टैक्स नोटिस को आसान और साफ भाषा में होना चाहिए.