Unified Pension Scheme: केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए यूनिफाइड पेंशन स्कीम (यूपीएस) को मंजूरी तो दे दी है लेकिन यह भी हकीकत है कि राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) 19 साल बाद भी पूरी तरह से लागू नहीं हो सकी है। ऐसे में यूपीएस के लागू होने को लेकर कर्मचारियों में संशय की स्थिति बनी हुई है। शिक्षा विभाग के अफसरों की लापरवाही का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि प्रयागराज में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में एनपीएस से आच्छादित 9893 शिक्षकों-कर्मचारियों में से 2911 का प्रान (परमानेंट रिटासरमेंट एकाउंट नंबर) आज तक आवंटित नहीं हो सका है।
वहीं जिले के जिन 6982 शिक्षकों-कर्मचारियों के प्रान आवंटित है उनमें से भी 1830 के अंशदान की कटौती शुरू नहीं हो सकी है। यानि 9893 शिक्षकों-कर्मचारियों में से सिर्फ 5152 की ही कटौती हो रही है। इसके अलावा सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में भी सैकड़ों शिक्षकों और कर्मचारियों के प्रान आवंटित नहीं है। कुछ जिलों को छोड़कर एडेड कॉलेजों से संबद्ध प्राइमरी और सहायता प्राप्त संस्कृत विद्यालयों के शिक्षकों-कर्मियों के अंशदान की कटौती आज तक शुरू नहीं हो सकी है। 2017 में शासनादेश जारी होने के सात साल बाद भी एनपीएस के तहत अग्रिम धन निकासी की सुविधा अभी तक नहीं मिल सकी है।
क्या बोले शिक्षक
प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव ने कहा कि एनपीएस का शासनादेश लागू होने के 19 साल बाद भी इसे कर्मचारियों ने पूरी तरह स्वीकार नहीं किया और न ही विभाग उसमें संशोधन कर पाया है। अब नया फॉर्मूला यूपीएस का आ गया है जो एक अप्रैल 2025 से लागू किया जा रहा है। यह सोचने का बिंदु है कि सरकार यदि एनपीएस को बदलकर यूपीएस कर सकती है तो एनपीएस को बदलकर ओपीएस क्यों नहीं कर सकती। कर्मचारियों के लिए केवल और केवल ओपीएस ही हितकारी है।