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December 12, 2024 12:40 am

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अब इस राज्य के डिप्टी सीएम ने दिया बड़ा अपडेट……..’अब नहीं मिलेगा मुफ्त राशन, सरकार ने रद्द कर दिए 22 लाख से अधिक BPL राशन कार्ड!

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कर्नाटक में 22 लाख से अधिक बीपीएल राशन कार्ड को रद्द किए जाने को लेकर सियासी बवाल मचा हुआ है। मामले को लेकर विपक्षी भाजपा ने सरकार को आड़ हाथों लिया है। मामले को लेकर कर्नाटक के खाद्य, नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री के एच मुनियप्पा ने कहा था कि दक्षिणी राज्यों में आमतौर पर 50 प्रतिशत से अधिक आबादी बीपीएल कार्डधारकों की श्रेणी में नहीं आती। वहीं, अब प्रदेश के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार का बड़ा बयान सामने आया है।

मामले को लेकर डीके शिवकुमार ने कहा है कि सरकार पात्र परिवारों को बिजली की रेखा से नीचे (बीपीएल) कार्ड फिर से जारी करेगी, अगर उन्हें गलती से रद्द कर दिया गया है। उपमुख्यमंत्री ने लोगों को आश्वस्त किया कि चिंता की कोई बात नहीं है। उन्होंने कहा, “केंद्र ने बीपीएल परिवारों के लिए कुछ मापदंड स्थापित किए हैं और हमारी सरकार उसी के अनुसार काम कर रही है। अगर कुछ पात्र परिवारों के बीपीएल कार्ड गलती से रद्द हो गए हैं, तो नए कार्ड जारी किए जाएंगे। कुछ क्षेत्रों में विसंगतियां हैं और हम उन्हें दूर करेंगे। अयोग्य लाभार्थियों को हटाने के लिए समीक्षा चल रही है।”

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वहीं, जब उनसे पूछा गया कि रद्द करने की प्रक्रिया के दौरान कोई भौतिक सत्यापन क्यों नहीं किया गया, जैसा कि नए कार्ड जारी करते समय किया जाता है, तो शिवकुमार ने जवाब दिया कि त्रुटियों को सुधारने के लिए सुधारात्मक उपाय लागू किए जाएंगे। उन्होंने कहा, “मुख्यमंत्री ने संबंधित मंत्री को निर्देश दिए हैं। हम रद्द किए गए बीपीएल कार्डों की सूची प्रत्येक विधायक को भेज रहे हैं, जो स्थिति का आकलन करेंगे। गारंटी कार्यान्वयन समिति को घरों का दौरा करने और बीपीएल कार्ड रद्द करने में किसी भी त्रुटि को दूर करने का काम सौंपा जाएगा।”

बता दें कि बीपीएल कार्डधारकों को अन्न भाग्य योजना के तहत परिवार के हर सदस्य के लिए प्रति माह 10 किलोग्राम खाद्यान्न के साथ ही कांग्रेस नीत सरकार की गृह लक्ष्मी योजना के तहत परिवारों की महिला मुखिया को 2,000 रुपये मासिक भत्ता दिया जाता है।

विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस मुद्दे को उठाया और कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार की आलोचना की। विपक्ष के नेता आर अशोक, पूर्व उपमुख्यमंत्री सी एन अश्वथ नारायण और के गोपालैया सहित अन्य नेताओं ने बेंगलुरु में एक मार्च का नेतृत्व किया और प्रभावित बीपीएल परिवारों से मुलाकात की तथा राज्य सरकार के निर्णय के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।

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