दिल्ली देश की राजधानी है. यहां पर संसद है जहां देश भर की जनता के चुने हुए प्रतिनिधि आते हैं. यहां सुप्रीम कोर्ट है, यहां भारतीय संप्रभुता का प्रतीक लाल किला है. पर किसान आंदोलनकारियों की राजधानी में एंट्री न हो इसके लिए बैरिकेड के रूप में लोहे के गर्डर लगाए गए तो देश में कुछ लोगों को लगा कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार तानाशाह हो गई है. बहुत सारे लोगों का तर्क था कि भारतीय लोकतंत्र में सबको अपनी आवाज उठाने का हक है, सरकार किसानों को अपनी आवाज उठाने से रोक रही है.
भारतीय लोकतंत्र की दुहाई देने वालों में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी पार्टी के कई और नेता भी थे. 2020 वाले किसान आंदोलन को तो समर्थन दिया ही गया था अभी इस साल जून महीने में पंजाब से दिल्ली आने वाले हाइवे को रोके बैठे किसानों को समर्थन देने ममता बनर्जी अपने पांच सांसदों के साथ पहुंची थीं. उन्हें आश्वासन देकर आईं थीं कि आप लोग रास्ता रोके रखिए हम आपके साथ हैं. पर दुर्भाग्य ये है कि आज कोलकाता में डॉक्टर बिटिया की आवाज उठाने वालों के समर्थन में इस तरह की आवाज उठाने वाले गायब दिख रहे हैं. मंगलवार को कोलकाता में कोलकाता रेप केस के विरोध में स्टूडेंट्स का NABBANNA प्रोटेस्ट को गैरकानूनी बताते हुए हावड़ा ब्रिज को लोहे के गर्डर से ब्लॉकेज किया गया है.
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किसान आंदोलन को रोकना असंवैधानिक, डॉक्टर बिटिया के लिए न्याय मांगना गैरकानूनी कैसे?
पूरे देश के संविधान प्रेमी, संविधान बचाओ का नारा देने वालों को नहीं दिखाई दे रहा है कि एक बेटी से हुए रेप और उसकी हत्या के दोषियों का पता लगाने और न्याय की मांग करना गैरकानूनी हो गया है. अब कोई भी आगे आकर नहीं कह रहा है कि क्या आंदोलनकारी स्टूडेंट आतंकवादी हैं? जबकि कोलकाता में न्याय की गुहार लगाने वालों के पास तो बख्तरबंद तोपों की तरह डिजाइन किए गए ट्रैक्टर भी नहीं हैं. पर दिल्ली से ज्यादा कोलकाता की सुरक्षा जरूरी हो गई है. छह हजार पुलिसकर्मी कोलकाता की सड़कों पर उतार दिये गए हैं. कोलकाता में स्टूटेंट्स आंदोलनकारियों को रोकने के लिए जो दीवारें बनाईं गईं हैं वो किसी भी सूरत में दिल्ली को किसानों से बचाने के लिए बनाई गई बैरिकेड्स से कम नहीं हैं.
डॉक्टर बिटिया के लिए न ग्रेटा, रिहाना और मियां खलीफा आईं और न ही किसी स्वरा के स्वर निकले!
यह कितनी शर्मिंदगी की बात है अब देश में न्याय और हक की मांग सबके लिए अलग अलग हो चुका है. पूरे देश में बीजेपी के लिए न्याय का मतलब अलग है तो कांग्रेस और टीएमसी जैसे दलों को लिए अलग है. किसानों का न्याय न्याय है, डॉक्टर बिटिया का न्याय बीजेपी षडयंत्र है. किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए टूल किट के जरिए अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने की साजिश की गई. अंतरराष्ट्रीय पॉप सिंगर रिहाना, पॉर्न स्टार मिया खलीफा और पर्यावरणविद ग्रेटा थनबर्ग का किसान आंदोलन को समर्थन दिया जाना इसी साजिश का हिस्सा था.अगर इनका समर्थन किसी साजिश के तहत नहीं था आज स्टूडेंट के हक में किसी भी हस्ती का समर्थन क्यों नजर नहीं आ रहा है. विदेशी सेलेब्रेटीज को छोड़िए स्वरा भास्कर जैसी नेत्रियों की आवाज भी मंद पड़ गई है. वो सारी आवाजें आज चुप बैठी हुईं हैं जो किसान आंदोलन के समय सक्रिय हुआ करतीं थीं.
किसान आंदोलन को खालिस्तानी कहना अपमानजनक, बिटिया के लिए न्याय मांगना संघी मानसिकता?
किसान आंदोलन के समय दिल्ली में धरने पर बैठे कुछ ऐसे संगठन देखे गए थे जिन पर खालिस्तान के प्रति सॉफ्ट कॉर्नर रखने का आरोप लगता रहा है. यही कारण है कुछ लोगों ने इस आंदोलन को खालिस्तानियों का आंदोलन बता दिया था. हालांकि यह भी सही है कि सभी किसान संगठन ऐसे नहीं थे. इस आधार पर सभी को खालिस्तानी कहने कहीं से उचित नहीं कहा जा सकता. पर सोचने वाली बात यह है कि जिस तरह किसान आंदोलनकारियों को खालिस्तानी कहने पर बुरा लग सकता है तो क्या जो स्टूडेंट रेप पीड़िता परिवार के न्याय की मांग कर रहे हैं उनको संघी, आरएएसएस वाला या भाजपाई कहना क्या अपमानजनक नहीं है. टीएमसी प्रवक्ता ऋजु दत्ता खुलेआम कह रहे हैं कि आंदोलनकारी संघी और भाजपाई हैं.
टीएमसी नेता कुणाल घोष कहते हैं कि भाजपा, CPM, कांग्रेस सब एक ही जैसे हैं. भाजपा नबन्ना अभियान कर रही है, कांग्रेस उसका समर्थन कर रही है. CPM जो भी कहे, लेकिन वे सभी विरोध मंच पर जाने की बात कर रहे हैंय राम-वाम सभी TMC के खिलाफ अराजकता पैदा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं.
नबन्ना अभियान को दबाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है पुलिस
कोलकाता पुलिस किसी भी लेवल पर जाकर नबन्ना अभियान को असफल करने के लिए कम र कस ली है. प्रदर्शनकारियों पर वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल किया जा रहा है, पुलिस ने हल्का लाठी चार्ज भी किया है. ये तब है जब कि मुख्य सड़कों को कंटेनरों से ब्लॉक कर दिया गया है.कुल 19 पॉइंट पर बैरिकेड लगाए गए हैं.नबन्ना भवन के बाहर कोलकाता पुलिस और हावड़ा सिटी पुलिस का 3 लेयर सुरक्षा घेरा है. अलग,अलग महत्वपूर्ण जगहों पर 5 जगहों पर एल्युमीनियम बैरिकेड बनाए गए हैं. कोलकाता पुलिस ने बताया कि ‘नबन्ना अभियान’ को देखते हुए शहर में 6000 से अधिक पुलिसकर्मी तैनात किए जाएंगे.हाबडा ब्रिज को सील कर दिया गया है. ब्रिज पर लोहे की दीवार खड़ी की गई है और उसे मोबिल से चिकना कर दिया गया है ताकि कोई उसपर चढ़ न सके.