केंद्र सरकार ने यूनीफाइड पेंशन स्कीम यानी यूपीएस को लांच करने की घोषणा की है, जो कि पहली अप्रैल से लागू हो जाएगी। अब कर्मचारियों में इस बात को लेकर टेंशन है कि आखिर यूपीएस है क्या और इसका विकल्प चुनते हैं, तो उन्हें क्या लाभ होगा, क्या उनके परिवार का भविष्य सुरक्षित रहेगा। रिटायरमेंट के बाद कितनी पेंशन लगेगी। यह कुछ बातें हैं, जिन्हें लेकर कर्मचारियों के जहन में सवाल उठ रहे हैं। ऐसे में उनके पास क्या विकल्प हैं और क्या यूपीएस एक बेहतरीन ऑप्शन हो सकता है, तो आज हम आपको बताएंगे कि आखिर यूपीएस है क्या और इसके क्या बेनेफिट्स कर्मचारियों को मिलने वाले हैं।
इतने साल नौकरी पर इतनी पेंशन
केंद्र सरकार ने एनपीएस की जगह यूपीएस शुरू की है, जिसकी घोषणा 24 जनवरी को की गई थी। अब पहली अप्रैल से इसे लागू कर दिया जाएगा। यूपीएस सिर्फ सरकारी कर्मचारियों को ही लगेगी। हालांकि सरकार ने एक विकल्प भी रखा है कि या तो एनपीएस लो या फिर यूपीएस। यूनीफाइड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को रिटायर होने पर एक तय पेंशन दी जाएगी। इसके लिए अंतिम 12 महीने की बेसिक सैलरी को देखा जाएगा और उसी के आधार पर 50 फीसदी सैलरी दी जाएगी। हालांकि इसके लिए सबसे पहले यह देखा जाएगा कि कर्मचारी ने 25 साल तक नौकरी की है या नहीं। यानी यूपीएस के लिए 25 साल की सर्विस होना अनिवार्य है।
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न्यूनतम पेंशन 10 हजार
कर्मचारियों को मिनिमम एश्योर्ड पेंशन भी दी जाएगी। यानी कि अगर आप 10 साल सरकारी नौकरी करते हैं, तो आपको मिनिम दस हजार रुपए मासिक पेंशन मिलेगी। यही नहीं, अगर किसी कर्मचारी की सर्विस के दौरान मृत्यु हो जाती है, तो भी परिवार को पेंशन लगेगी, लेकिन यह पेंशन कर्मचारी को मिलने वाली पेंशन का 60 फीसदी होगा।
बढ़ती रहेगी पेंशन
ऐसा नहीं है कि यूपीएस के तहत कर्मचारी को एक निश्चित पेंशन मिला करेगी। समय-समय पर इसमें इजाफा भी होता रहेगा और इसका कनेक्शन सीधा महंगाई से है। यानी कि जैसे-जैसे महंगाई बढ़ेगी, पेंशन भी बढ़ती जाएगी।
इन कर्मचारियों को लाभ
यूपीएस उन्हीं कर्मचारियों को दी जाएगी, जो एनपीएस के दायरे में आते हैं और यूपीएस का विकल्प चुनते हैं। यूपीएस चुनने वाले कर्मचारी किसी अन्य पॉलिसी रियायत, पॉलिसी चेंज और फानांशियल बेनेफिट के हकदार नहीं होंगे।
एनपीएस और यूपीएस में अंतर
एनपीएस चुनने वाले कर्मचारियों को अपनी बेसिक सैलरी का 10 परसेंट कंट्रीब्यूट करना होता है, जबकि सरकार इसमें 14 प्रतिशत का सहयोग करती है। यूपीएस की खास बात यह है कि सरकार इसमें 18.5 फीसदी का कंट्रीब्यूट करेगी। इससे सरकारी खजाने पर तो बोझ पड़ेगा, लेकिन कर्मचारियों को इसका लाभ होगा।
