KYC से जुड़े नियमों में सरकार ने बड़ा बदलाव किया है. अब कस्टमर का डाटा कहीं ज्यादा सेफ होगा. नए नियम के तहत बैंकों और वित्तीय संस्थानों को हर बार केवाईसी वैरिफिकेशन के लिए कस्टमर से ओटीपी के जरिए परमिशन लेनी होगी. अभी डाटा लेते वक्त कस्टमर को केवल मैसेज मिलता है, नई व्यवस्था उसकी परमिशन भी जरूरी होगी. इसका उद्देश्य वित्तीय जोखिम को कम करना है और कहीं ज्यादा सेफ्टी देना है. सरकार ने बैंकों से सी-KYC रजिस्ट्री को कस्टमर वेरिफिकेशन के लिए प्राइमरी डेटा सोर्स के रूप में उपयोग करने को कहा है. वित्त मंत्रालय के अधिकारियों और बैंकों के बीच हुई दो-दिन की बैठक में यह आदेश जारी किया गया है कि जहां KYC रिकॉर्ड से मेल खाता हो, वहां कस्टमर से बार-बार KYC डेटा न मांगा जाए. नया नियम 9 मई से लागू होगा.
सी-KYC के लिए OTP जरूरी
इस नए नियम के लागू होने से सरकार को उम्मीद है कि सी-KYC रजिस्ट्री एक भरोसेमंद डेटा वेरिफिकेशन प्लेटफॉर्म बन जाएगा. इन नियमों के तहत वित्तीय संस्थानों को ग्राहकों से KYC डेटा डाउनलोड करने के लिए OTP के माध्यम से सहमति लेनी होगी. सरकार का कहना है कि इससे सुरक्षा बढ़ेगी, जबकि वित्तीय सेवा देने वाली संस्थाओं का कहना है कि इससे जानकारी के फ्लो में रुकावट आ सकती है और ग्राहकों की ऑनबोर्डिंग और सेवाएं प्रदान करने में समस्याएं हो सकती हैं.
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अभी क्या है नियम
अभी जब भी हमारी KYC जानकारी ली जाती है, तो इसका एक मैसेज आता है कि फलां बैंक और संस्था ने आपकी जानकारी मांगी है. लेकिन नए नियम लागू होने के बाद अब OTP जरूरी होगी. अगर ग्राहक OTP शेयर नहीं करेंगी को कंपनी को डेटा का एक्सेस नहीं मिल पाएगा.
क्यों परेशान हैं फिनटेक कंपनियां
इस नए नियम से फिनटेक कंपनियां परेशान हैं. उनका कहना है कि इसका डिजिटल लेंडिंग पर बड़ा असर पड़ेगा. कई फिनटेक स्टार्टअप्स और बैंकों के अधिकारियों का कहना है कि OTP सिस्टम लागू करने के लिए उन्हें अलग से एक वेब पेज बनाना होगा, जहां पर ग्राहकOTP डाल सकें. इसके अलावा, अगर ग्राहक मौके पर OTP के लिए उपलब्ध नहीं होंगे, तो पूरी KYC प्रक्रिया विफल हो जाएगी. इसके साथ ही, OTP डिलीवरी में असफलता और ग्राहकों द्वारा उपयोग किए गए नंबर के साथ मेल न खाने जैसी समस्याएं पैदा हो सकती हैं.
डेडलाइन भी परेशानी का कारण
सरकार ने इस नए नियम को लागू करने के लिए 9 मई की डेडलाइन दी है. इसके बाद पुराना सिस्टम काम करना बंद कर देगा. इसके लिए कई कंपनियों का कहना है कि इतनी जल्दी में बदलाव करना संभव नहीं है.
