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May 17, 2025 1:51 am

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Jaipur News: डीएम को लगाई फटकार, जनसुनवाई के दिए निर्देश…….’बड़े जिलों के कलेक्टरों की खराब परफॉर्मेंस से नाराज मुख्य सचिव……

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Jaipur News: मुख्य सचिव सुधांत पंत ने बड़े जिलों के कलेक्टर्स की खराब परफॉर्मेंस पर नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि जिला स्तरीय जनसुनवाई को जिला कलेक्टर्स कैजुअली ले रहे हैं। उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जिला कलेक्टर्स से पूछा कि जनसुनवाई में आने के बाद केवल 30 फीसदी लोग ही संतुष्ट क्यों हैं?

मुख्य सचिव ने कहा कि मंथली जिला स्तरीय जनसुनवाई को रूटीन बना दिया गया है, जिसके कारण सिर्फ 30 फीसदी ही लोग जनसुनवाई में आने के बाद संतुष्ट हैं। जबकि संपर्क की 62 फीसदी सेटिस्फाइड रेट है। उन्होंने कहा कि सुनवाई में फॉर्मेलिटी बनाकर सरकार में काम नहीं चलेगा। ¹

राजसमंद, जयपुर, जैसलमेर, ब्यावर, अजमेर, अलवर, फलौदी, सीकर, भीलवाडा, और जोधपुर जैसे जिलों में 19 से 27 फीसदी ही लोग सेटिस्फाइड हैं। मुख्य सचिव ने जिला कलेक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि वे जनसुनवाई को गंभीरता से लें और परिवेदनाओं का गुणवत्तापूर्ण और समयबद्ध निस्तारण करें।

ग्राम पंचायत से लेकर उपखंड और जिला स्तरीय जनसुनवाई में बडी संख्या में अपनी समस्या का समाधान के लिए बडी उम्मीद लेकर फरियादी पहुंच रहे हैं..और आंकडों में जनसुनवाई में आने वाले प्रकरणों का निस्तारण का आंकडा भी बेहतर बताया जा रहा है, लेकिन जनसुनवाई के बाद समस्या के निस्तारण से सेटिस्फाइड रेट सिर्फ 30 फीसदी हैं. इसको लेकर मुख्य सचिव सुधांश पंत ने कलेक्टर्स से पूछा आखिर ऐसा क्यो?

जिला स्तर पर हर माह तीसरे गुरूवार को होने वाली त्रिस्तरीय जनसुनवाई को जिला कलेक्टर्स गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. ना ही जनसुनवाई में आने वाले फरियादी संतुष्ट नजर आ रहे हैं. जनसुनवाई में आने वाले प्रकरणों को जिला कलेक्टर्स संबंधित डिपार्टमेंट को भेजकर इतश्री कर रहे हैं और उसे डिस्पोजल में दिखा रहे हैं, जबकि 30 फीसदी ही फरियादी समस्या के निस्तारण के बाद संतुष्ट हैं. सबसे खराब परफॉर्मेंस बडे जिलों की देखी जा रही हैं. जयपुर, जोधपुर, बीकानेर और अजमेर जिले की सबसे पुअर परफॉर्मेंस हैं.

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जब बडे जिले वाले कलेक्टर्स से पूछा जाता है की जनसुनवाई में आने वाले लोगों की संतुष्टि का आंकडा इतना कम क्यों है तो जबाव मिलता है की बडा जिला हैं बहुत काम होते हैं.मुख्य सचिव पंत ने कहा की बडा जिला है तो बडे जिले की जिम्मेदारी भी तो आप ही को दे रखी हैं. इसलिए तो नहीं दी गई. जिला स्तरीय मंथली जनसुनवाई को रूटीन बना दिया तो फिर इसका कोई फायदा नही हैं, जब राजस्थान संपर्क का संतुष्टि का आंकडा 62 फीसदी है तो फिर जिला स्तर पर होने वाली जनसुनवाई का संतुष्टि का आंकडा तीस फीसदी ही क्यों हैं.

मुख्य सचिव सुधांत पंत ने आज जिला स्तरीय जनसुनवाई के दौरान सभी जिला कलेक्टर्स और जिला स्तरीय अधिकारियों को दो टूक कहा की जनसुनवाई में फॉर्मेलिटी बनाकर सरकार में काम नहीं चलेगा. आपको पीडित को वास्तव में रिलीफ देना हैं. आप आंकडों में बता देते हैं की इतने प्रकरण आए और इतने प्रकरणों का निस्तारण हो गया, लेकिन एक व्यक्ति जब समस्या लेकर बडी उम्मीद से आता है की उसे न्याय मिलेगा..लेकिन आप उसकी चिठ्ठी को संबंधित डिपार्टमेंट को मार्क कर देते हैं..और उसे डिस्पोजल में दिखा देते हैं.लेकिन उस परिवादी को 100 से 200 दिन तक एड्रेस तक नहीं करते हैं..सभी शॉर्टकट काम कर रहे हैं इसलिए संतुष्टि का आंकडा कम हैं…कुछ कलेक्टर्स को मंथली जनसुनवाई को ज्वाइन ही नहीं करते हैं…उन्होने अजमेर कलेक्टर लोकबंधु का नाम लेते हुए कहा की आज जनसुनवाई में 12.45 बजे बाद ज्वाइन हुए हैं…जनसुनवाई को सीरियस नहीं लिया जा रहा है

इन जिलों में सेटिस्फाइड दर 30 प्रतिशत से कम

जिला:::::::::::::::::::::::::::::::सेटिस्फाइड दर
राजसमंद:::::::::::::::::::::::::::::18.59 प्रतिशत
जयपुर::::::::::::::::::::::::::::::21.1 प्रतिशत
जैसलमेर::::::::::::::::::::::::::::::23.64 प्रतिशत
ब्यावर::::::::::::::::::::::::::::::24.49 प्रतिशत
अजमेर::::::::::::::::::::::::::::::24.65 प्रतिशत
अलवर::::::::::::::::::::::::::::::24.65 प्रतिशत
फलौदी::::::::::::::::::::::::::::::25 प्रतिशत
सीकर::::::::::::::::::::::::::::::26.59 प्रतिशत
भीलवाडा::::::::::::::::::::::::::::::26.6 प्रतिशत
जोधपुर::::::::::::::::::::::::::::::26.88 प्रतिशत
::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::
इन जिलों में 30 प्रतिशत से ज्यादा सेटिस्फाइड दर

जिला:::::::::::::::::::::::::::::::सेटिस्फाइड दर

चित्तौडगढ:::::::::::::54.21 प्रतिशत

डूंगरपुर::::::::::::::::::::::::::::::47.58 प्रतिशत

सलूंबर::::::::::::::::::::::::::::::45.65 प्रतिशत

डीग::::::::::::::::::::::::::::::40 प्रतिशत

प्रतापगढ::::::::::::::::::::::::::::::38.67 प्रतिशत

बासंवाडा::::::::::::::::::::::::::::::38.6 प्रतिशत

करौली::::::::::::::::::::::::::::::38.39प्रतिशत

झालावाड:::::::::::::::::::::::::::36.76 प्रतिशत
बारां::::::::::::::::::::::::::::::35.12 प्रतिशत
दौसा::::::::::::::::::::::::::::::34.78 प्रतिशत

प्रदेश में 1 मई 2022 से थ्री-टियर जनसुनवाई की शुरूआत हुई..जिसमें ग्राम पंचायत, उपखंड स्तर और जिला स्तर पर जनसुनवाई की जाती हैं..अब तक 6 लाख 87 हजार 683 में से 6 लाख 86 हजार 574 प्रकरणों का डिस्पोजल हो चुका हैं और 1 हजार 109 प्रकरण अभी अलग अलग स्तर पर लंबित हैं.लेकिन आंकडों में तो डिस्पोजल का आंकडा बेहतर हैं, लेकिन सेटिस्फाइड रेट बहुत कम हैं.

ग्राम पंचायत स्तर पर सेटिस्फाइड रेट 82फीसदी हैं, उपखंड स्तर पर 64 फीसदी सेटिस्फाइड रेट और जिला स्तर पर सिर्फ 32 फीसदी ही सेटिस्फाइड रेट हैं. मुख्य सचिव सुधांत पंत ने जब कलेक्टर्स से सेटिस्फाइड रेट कम होने का कारण पूछा तो जयपुर कलेक्टर डॉक्टर जितेन्द्र सोनी ने कहा की कोर्ट के मैटर सबसे ज्यादा आते हैं. राजस्व से जुडे प्रकरण भी आते हैं. कोशिश करते हैं की उनकी समस्या का निस्तारण हो, लेकिन कोर्ट के मैटर का डिस्पोजल कोर्ट में ही हो सकता हैं. इसी तरह जोधपुर और बीकानेर, सीकर, अजमेर कलेक्टर्स ने भी अपना जबाव दिया.

बहरहाल, सवाल ये है की क्या जनसुनवाई को अब अफसर भी फॉर्मेलिटी समझ रहे हैं. कुछ तो जिला स्तर के अधिकारी इन जनसुनवाई में जाते तक नही हैं. या फिर अपने अधीनस्थ को भेज देते हैं..ऐसे में जनसुनवाई में जो समस्या लेकर लोग पहुंचते हैं उनका निस्तारण समय पर नहीं हो पाता है. या फिर जनसुनवाई में कह दिया जाता है संबंधित अधिकारी से पूछकर इसका समाधान करवाया जाएगा. यहीं कारण है जब परिवादी की समस्या का समाधान नहीं होता है तो लोग सेटिस्फाइड नहीं होते हैं.

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