भारत में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (UPI) ने पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल लेन-देन के क्षेत्र में क्रांति ला दी है. इसके बढ़ते उपयोग से देश में पहली बार लोन लेने वाले लोगों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हुई है.
UPI का प्रभाव
2016 में लॉन्च होने के बाद से UPI ने भारतीय वित्तीय क्षेत्र को पूरी तरह से बदल दिया. आज, 30 करोड़ से अधिक लोग और 5 करोड़ से ज्यादा मर्चेंट्स UPI से जुड़े हुए हैं. भारत में होने वाले कुल रिटेल डिजिटल लेनदेन में से 75 प्रतिशत UPI के माध्यम से हो रहे हैं. यह एक बड़ा आंकड़ा है, जो दर्शाता है कि कैसे UPI ने लोगों के बीच वित्तीय लेन-देन को सरल और सुलभ बनाया है.
पहली बार लोन लेने वालों की संख्या में इजाफा
हाल ही में आई एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, UPI की बढ़ती पहुंच से पहली बार लोन लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है. यह रिपोर्ट आईआईएम और आईएसबी के प्रोफेसरों द्वारा तैयार की गई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन क्षेत्रों में UPI की पहुंच अधिक है, वहां पहली बार लोन लेने वाले लोगों की संख्या में 4 प्रतिशत और सबप्राइम उधारकर्ताओं की संख्या में 8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है.
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वित्तीय सेवाओं का विस्तार
UPI ने न केवल बड़े शहरों, बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी वित्तीय सेवाओं की पहुंच को बढ़ाया है. अब छोटे व्यापारी, रेहड़ी-पटरी वाले, और छोटे उधारकर्ता भी इस सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं. फिनटेक कंपनियों ने UPI के माध्यम से तेजी से विस्तार किया है, जिसके परिणामस्वरूप उनके लोन वॉल्यूम में 77 गुना वृद्धि हुई है. ये कंपनियां पारंपरिक बैंकों से कहीं आगे निकल चुकी हैं, विशेष रूप से छोटे उधारकर्ताओं को लोन देने के मामले में.
बेहतर बॉरोअर वैल्यूएशन
UPI लेनदेन से जुड़े डेटा ने फिनटेक कंपनियों को उधारकर्ताओं का बेहतर मूल्यांकन करने में मदद की है. इससे उधारकर्ताओं के लिए लोन की उपलब्धता बढ़ी है, और साथ ही डिफॉल्ट रेट में भी कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. यह UPI की सफलता को साबित करता है, जो न केवल लोन की पहुंच बढ़ाने में मदद कर रहा है, बल्कि जिम्मेदारी से लोन देने में भी सहायक है.
इंटरनेट की भूमिका
UPI के तेजी से प्रसार में सस्ते और सुलभ इंटरनेट की भी अहम भूमिका है. किफायती इंटरनेट के कारण अधिक लोग UPI का उपयोग कर पा रहे हैं, जिससे यह सिस्टम और भी प्रभावी हो गया है.
इस प्रकार, UPI ने न केवल डिजिटल भुगतान को बढ़ावा दिया है, बल्कि देश में वित्तीय समावेशन को भी नई दिशा दी है.