विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने संसदीय पैनल को बताया कि पाकिस्तान के साथ भारत का नवीनतम संघर्ष पूरी तरह से पारंपरिक क्षेत्र में था और इसमें दूसरी तरफ से कोई परमाणु हमले की धमकी दी गई थी, और न ही संघर्ष रोकने में अमेरिका की कोई भूमिका रही है। विदेश सचिव ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के वीच सैन्य संघर्ष हमेशा पारंपरिक दायरे में रहा है। भारत की ओर से भी किसी पाकिस्तानी एटमी ठिकाने पर कोई हमला नहीं किया गया। उन्होंने सरकार के रुख को दोहराया कि सैन्य कार्रवाई रोकने का फैसला भारत और पाक के वीच द्विपक्षीय स्तर पर लिया गया था।
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भारत-पाक 10 मई को सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमत हुए थे। ट्रंप ने हाल में दावा किया था कि उन्होंने सीजफायर कराया और संभावित न्यूक्लियर वॉर को रोका। इसे लेकर समिति के कई सदस्यों के मन में सवाल थे। सूत्रों के मुताविक, विदेश सचिव ने संसदीय समिति को वताया कि पहलगाम हमले की जांच से पता चला है कि आतंकवादियों ने पाकिस्तान में बैठे मास्टरमाइंड से संपर्क किया था। कुछ सांसदों ने पूछा कि क्या पाकिस्तान ने इस संघर्ष में चीनी सैन्य प्लैटफॉर्म (मिसाइलों और विमानों) का इस्तेमाल किया है। मिस्री ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि भारत ने पाकिस्तानी एयर वेस को तवाह कर दिया। तुर्किये के भारत विरोधी रुख के बारे में सवाल पर मिस्री ने कहा कि यह देश परंपरागत रूप से भारत का समर्थक नहीं रहा है।
सेना ने साफ किया कि पाकिस्तान ने ड्रोन-मिसाइल से अमृतसर में स्वर्ण मंदिर को भी निशाना बनाने की कोशिश की थी, लेकिन एयर डिफेंस सिस्टम ने उनके इरादों को नाकाम कर दिया। सेना की 15 इंफ्रेंट्री डिविजन के जीओसी मेजर जनरल कार्तिक सी. शेषाद्री ने बताया कि 8 मई की सुबह अंधेरे में पाकिस्तान ने हवाई हमला शुरू किया। ड्रोन और लॉन्ग रेंज मिसाइल से स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन हमारे सतर्क एयर डिफेंस गनर्स ने पाक के सभी ड्रोन और मिसाइल नष्ट कर दिए।
