कोविड की एस्ट्राजेनेका वैक्सीन से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर दुनियाभर में चर्चा हो रही है। अप्रैल के आखिरी सप्ताह में वैक्सीन निर्माता कंपनी ने ब्रिटेन की कोर्ट में स्वीकार किया था कि टीकों के कारण दुर्लभ स्थितियों में थ्रोम्बोसिस विद थ्रोम्बोसाइटोपेनिया सिंड्रोम (टीटीएस) होने का जोखिम हो सकता है। टीटीएस के कारण रक्त के थक्के बनने और खून में प्लेटलेट्स की मात्रा कम होने जैसी समस्याओं का जोखिम रहता है। इन दुष्प्रभावों को लेकर भारत में एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन कोविशील्ड ले चुके लोगों में कई तरह का डर देखा जा रहा है। हालांकि स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने स्पष्ट किया है ये दुष्प्रभाव काफी दुर्लभ हैं, इससे डरने की आवश्यकता नहीं है। 10 लाख में से 6-10 लोगों में इस तरह के जोखिम हो सकते हैं।
वैक्सीन के साइड-इफेक्ट्स की खबरों के बीच डॉक्टरों के एक समूह ने गुरुवार को कोविशील्ड वैक्सीन की सुरक्षा पर गहरी चिंता व्यक्त की। डॉक्टरों की टीम ने सरकार से सभी कोविड वैक्सीन के पीछे के वैज्ञानिक तथ्यों की समीक्षा करने और इसके व्यावसायीकरण का दोबारा ऑडिट करने की मांग की है।
भारत में कोविशील्ड वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए एस्ट्राजेनेका की साझेदार सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) ने बताया कि उसने दिसंबर 2021 में ही वैक्सीन का उत्पादन बंद कर दिया है। इतना ही नहीं कंपनी ने ये भी कहा है कि हमने 2021 में ही टीकों से होने वाले दुष्प्रभावों को खुलासा कर दिया था।
टीकों के दुष्प्रभावों को लेकर पहले ही कर दिया था आगाह
एसआईआई के एक प्रवक्ता ने कहा कि हमने 2021 में ही पैकेजिंग इंसर्ट में वैक्सीन के कारण होने वाले टीटीएस सहित अन्य सभी दुष्प्रभावों के बारे में आगाह कर दिया था। साल 2021 के बाद से कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन भी बंद कर दिया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स में एस्ट्राजेनेका के प्रवक्ता ने बताया चूंकि कोरोना महामारी के दौरान कई प्रकार के कोविड-19 टीके विकसित किए गए और वायरस में म्यूटेशन के साथ इसको भी अपेडट किया गया है। नए टीकों के बाजार में आने के कारण पुरानी वैक्सीन की मांग में गिरावट आई है, जिस वजह से अब इनकी निर्माण या आपूर्ति नहीं की जा रही है।
भारत में 79% लोगों ने ली कोविड वैक्सीन
भारत में कोविड वैक्सीनेशन पर नजर डालें तो पता चलता है कि टीकाकरण अभियान के दौरान भारत में दी गई 220 करोड़ खुराकों में से 79% से अधिक कोविशील्ड की थीं। सरकारी आंकड़ों से पता चलता है कि वैक्सीनेशन के कारण देश में टीटीएस के 36 ज्ञात मामले सामने आए और 18 लोगों की मौत हो गई थी। टीटीएस के लगभग सभी मामले 2021 से संबंधित हैं, जो भारत में टीकाकरण का पहला वर्ष था।
7 मई, 2024 तक भारत में लोगों को टीके की 220 करोड़ से अधिक डोज दी जा चुकी हैं। देश में जो टीके दिए गए हैं उनमें कोविशील्ड, कोवैक्सिन, स्पुतनिक वी, जेमकोवैक, कॉर्बेवैक्स, कोवोवैक्स और इनकोवैक शामिल हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 174 करोड़ से ज्यादा टीके के डोज कोविशील्ड के लगे हैं। दूसरे स्थान पर कोवैक्सिन है जिसके 36.39 करोड़ से ज्यादा टीके के डोज के लगे हैं। तीसरे स्थान पर कॉर्बेवैक्स है, जिसके 7.38 करोड़ से ज्यादा टीके के डोज के लगे हैं।
कोविशील्ड वैक्सीन ले चुके लोग डरें नहीं
कोविशील्ड वैक्सीन के कारण होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर स्वास्थ्य विशेषज्ञों का स्पष्ट कहना है कि वैक्सीन से होने वाले दुष्प्रभाव काफी दुर्लभ हैं, 10 लाख लोगों में 7-10 में इस तरह के दुष्प्रभाव हो सकते हैं इसलिए टीकाकरण करा चुके लोगों को डरने या घबराने की जरूरत नहीं है। टीकाकरण और दवाओं से होने वाले दुष्प्रभाव आमतौर पर कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों में ही दिखने लगते हैं। चूंकि ज्यादातर लोगों को वैक्सीन ले चुके दो साल से अधिक का समय बीत चुका है, ऐसे में अब टीके से होने वाले दुष्प्रभावों को लेकर चिंतित होने का जरूरत नहीं है।
इस बारे में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि बिना डॉक्टरी सलाह के ब्लड थिनर जैसी दवाएं गंभीर समस्याकारक हो सकती हैं। अगर आप खुद से या बिना डॉक्टरी सलाह के रक्त को पतला करने वाली दवाएं ले रहे हैं तो इसके कई गंभीर दुष्प्रभाव हो सकते हैं। ये गंभीर रक्तस्राव का कारण बन सकती है।