जिले में लगभग इसी समय होने वाले पंचायतीराज चुनाव भले नहीं हो पा रहे हैं पर गांवों में इन दिनों इसी से जुड़ी हलचल तेज है। वजह- पंचायतीराज संस्थाओं के पुनर्गठन व नव सृजन की प्रक्रिया। राज्य सरकार द्वारा तय टाइमफ्रेम अनुसार इसका काम शुरू हो चुका है। हालांकि नई ग्राम पंचायतों व पंस की अधिकृत घोषणा में कम से कम 3 महीने और लगेंगे पर सरकार द्वारा तय मानदंड के आधार पर भास्कर एनालिसिस अनुसार जिले में कम से कम 1 पंस और 65 से 70 ग्राम पंचायतें बढ़ने के आसार है। जो किसी एक चुनाव के अंतराल में अब तक की सबसे बड़ी बढ़ोतरी होगी।
नई पंचायत समिति के मानदंड पर बस्सी फीट है। जो अभी तहसील मुख्यालय होने के बावजूद चित्तौड़गढ़ पंस के अधीन ग्राम पंचायत है। वर्तमान में जिले में सर्वाधिक 40 ग्राम पंचायतें भी चित्तौड़गढ़ पंस में ही है। सरकार के निर्देश अनुसार 40 या इससे अधिक पंचायतों वाली और 2 लाख या इससे अधिक आबादी वाली पंस को पुनर्गठित किया जाएं। परिसीमांकन प्रक्रिया में जनसंख्या आधार 2011 की जनगणना को रखा है। इसमें चित्तौड़गढ़ पंस क्षेत्र की आबादी लगभग1.96 लाख यानी 2 लाख से कुछ ही कम है। वर्ष 2021 की जनगणना लंबित है, वर्ना इस पंस की मौजूदा अनुमानित आबादी 2 लाख से कहीं अधिक है। ऐसे में बस्सी के लिए ग्राम पंचायतों की संख्या व कई अन्य कारणों के साथ आबादी का नॉमस भी स्वीकार किया जा सकता है। बस्सी आबादी के लिहाज से अभी जिले की दूसरी सबसे बड़ी ग्राम पंचायत भी है। वर्तमान में कुल 11 पंचायत समितियां है। बस्सी नई पंस बनाने पर अगले चुनाव में 12 प्रधान हो जाएंगे।
सरकार ने हर पंस में न्यूनतम 25 ग्राम पंचायतें रखने को कहा है। बस्सी के लिए इस मानदंड को पूरा करने में भी कोई समस्या नहीं आ रही। अकेले चित्तौड़गढ़ पंस में ही न्यूनतम से 15 अधिक ग्राम पंचायतें है। यदि बस्सी क्षेत्र से लगती चित्तौड़गढ़ की सभी अतिरिक्त 15 पंचायतों को बस्सी में दे दें तो उसे 10 पंचायतें ही और चाहिए। इसकी पूर्ति बेगूं व निम्बाहेड़ा पंस से हो सकती है। अभी निम्बाहेड़ा में 37 और बेगूं में 31 ग्राम पंचायतें है। यानी दोनों में न्यूनतम आवश्यकता 25 से क्रमश: 12 व 6 अधिक है। बस्सी का दावा इसलिए भी मजबूत है कि यह क्षेत्र अधिक ग्राम पंचायतों वाली इन दोनों पंस का सीमावर्ती क्षेत्र है। निम्बाहेड़ा का कनेरा घाटा चित्तौड़गढ़ के विजयपुर घाटा से जुड़ा है।
विजयपुर घाटा की पंचायतें अभी राजस्व दृष्टि से बस्सी तहसील में ही है। कुल मिलाकर मौजूदा 3 पंस चित्तौड़गढ़, बेगूं व निम्बाहेड़ा की कुल अतिरिक्त 33 ग्राम पंचायतों में से नई पंस के लिए बस्सी की निकटतम 25 पंचायतों को ही चुनना है। इसके लिए कलेक्टर को प्रशासनिक दृष्टिकोण से उचित फैसला करना है। वैसे सरकार ने गाइडलाइन में यहां तक भी कहा है कि बहुत अधिक भौगोलिक या प्रशासनिक पेचीदगी होने पर नवसृजित पंस में 25 से कम पंचायतें भी रखी जा सकती है।
