उत्तर प्रदेश सरकार ने पशुपालकों की आय दोगुनी करने के उद्देश्य से कई योजनाएं शुरू की हैं. वहीं दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने एवं गौ-पालकों को सशक्त बनाने के लिए योगी सरकार ने 25 अक्टूबर 2024 को ‘मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना’ लॉन्च किया था. इस योजना के तहत किसानों से 30 नवंबर 2024 तक आवेदन मांगे गए थे. जहां बड़ी तदद में किसानों और पशुपालकों के आवेदन प्राप्त हुए है.
इस बीच उप्र पशुपालन विभाग के निदेशक डॉ. पीएन सिंह ने इंडिया टुडे के किसान तक से बातचीत में बताया कि 30 नवंबर का फार्म जमा करने की अंतिम तारीख थी. 10 दिसंबर 2024 तक आवेदन का सत्यापन कराया जाएगा. उसके बाद ई- लॉटरी सिस्टम के तहत लाभार्थियों का चयन किया जाएगा. उन्होंने बताया कि प्रदेश के समस्त सीडीओ और सीवीओ चयन प्रक्रिया के तहत आगे की कार्रवाई करेंगे. डॉ. पीएन सिंह का कहना हैं कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह तक चयन प्रक्रिया पूरी तक ली जाएगी.
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उच्च गुणवत्ता वाली स्वदेशी नस्लों की गायों का चयन
उत्तर प्रदेश देश के प्रमुख दुग्ध उत्पादक राज्यों में से एक है, लेकिन प्रति पशु दुग्ध उत्पादन की दृष्टि से राज्य राष्ट्रीय औसत से पीछे है. राज्य में वर्तमान में प्रति गाय औसतन 3.78 लीटर दूध का उत्पादन होता है, जो कि राष्ट्रीय औसत से कम है. वहीं, योजना के तहत योगी सरकार ने उच्च गुणवत्ता वाली स्वदेशी नस्लों की गायों का चयन कर हाइटेक डेयरी इकाइयों की स्थापना का निर्णय लिया है.
10 गायों की हाइटेक डेयरी के मिलेगा अनुदान
मिनी नंदिनी कृषक समृद्धि योजना के जरिये 10 गायों की क्षमता वाली हाइटेक डेयरी इकाइयों की स्थापना की जाएगी. हर इकाई पर लगभग 23.60 लाख का खर्च आएगा, जिसमें सरकार और लाभार्थी दोनों का योगदान होगा. इन इकाइयों में केवल गिर, थारपारकर और साहीवाल जैसी उच्च गुणवत्ता वाली देसी नस्लों की गाय खरीदी जाएंगी, जिनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता अधिक होती है. योजना के तहत चुनी गई गायों की नस्ल का मूल्यांकन उनकी उत्पादन क्षमता और गुणवत्ता के आधार पर किया जाएगा, जिससे अधिक दुग्ध उत्पादन सुनिश्चित हो सके.
छोटे किसानों को मिलेगा बड़ा फायदा
गौ पालन में तीन वर्ष का अनुभव रखने वाले योग्य किसानों का चयन किया जाएगा ताकि योजना का लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंच सके. योजना से छोटे और सीमांत किसानों को सीधा लाभ होगा. साथ ही किसानों को वैज्ञानिक पद्धतियों से परिचित कराया जाएगा. इससे कम लागत में अधिक उत्पादन की संभावना बढ़ेगी. यह योजना सिर्फ दुग्ध उत्पादन बढ़ाने तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका उद्देश्य ग्रामीण समाज में सकारात्मक बदलाव भी लाना है.