शेयर बाजार में पिछले हफ्ते तीन दिन ही कारोबार हुआ. लेकिन इन तीन दिनों में मार्केट में रौनक देखने को मिली. मार्केट ने अपनी चाल बदली. ट्रंप की टैरिफ से जो शेयर बाजार सुस्त हो गया था. वह रिकवरी की ओर बढ़ा. इसके पीछे का एक अहम कारण रहा विदेशी निवेशकों का साथ. जी हां. फॉरेन इंवेस्टर्स यानी विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने पिछले सप्ताह घरेलू शेयर बाजारों में करीब 8,500 करोड़ रुपये डाले हैं. इस माह की शुरुआत में एफपीआई ने घरेलू बाजार में बिकवाली की थी. मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था से निवेशकों का भरोसा बढ़ा है.
डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, कम कारोबारी सत्रों वाले18 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान एफपीआई ने शेयरों में शुद्ध रूप से 8,472 करोड़ रुपये का निवेश किया है. इसमें 15 अप्रैल को 2,352 करोड़ रुपये की निकासी भी शामिल है. हालांकि, इसके अगले दो सत्रों में उन्होंने 10,824 करोड़ रुपये का निवेश किया.
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मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि एफपीआई गतिविधियों में हालिया तेजी से धारणा में संभावित बदलाव का संकेत मिलता है. सप्ताह के दौरान 15 से 17 अप्रैल तक सिर्फ तीन दिन मंगलवार, बुधवार और बृहस्पतिवार को कारोबार हुआ. अंबेडकर जयंती और गुड फ्राइडे के कारण सोमवार और शुक्रवार को शेयर बाजार बंद रहे.
इतनी की है कुल निकासी
एफपीआई ने अप्रैल में अबतक शेयरों से 23,103 करोड़ रुपये निकाले हैं. इससे 2025 की शुरुआत से उनकी कुल निकासी 1.4 लाख करोड़ रुपये हो गई है. श्रीवास्तव ने कहा कि महीने के शुरुआती हिस्से में एफपीआई ने आक्रामक तरीके से बिकवाली की थी. यह मुख्य रूप से अमेरिका द्वारा दुनिया के विभिन्न देशों पर लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ की वजह से थी. भारत की मजबूत घरेलू अर्थव्यवस्था, वैश्विक व्यापार व्यवधानों से कुछ राहत और भारतीय शेयर बाजारों में हालिया करेक्शन की वजह से आकर्षक मूल्यांकन के चलते एफपीआई की धारणा में सुधार हुआ है.
शेयर बाजार के लिए अच्छे संकेत
जियोजीत इन्वेस्टमेंट के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि सबसे पहले डॉलर इंडेक्स में 100 के स्तर तक की गिरावट और डॉलर में और कमजोरी की वजह से एफपीआई अमेरिका से हटकर भारत जैसे उभरते बाजारों का रुख कर रहे हैं. इसके अलावा अमेरिका और चीन दोनों देशों में इस साल धीमी वृद्धि दर्ज होने की संभावना है, जबकि भारत में प्रतिकूल वैश्विक माहौल के बावजूद वित्त वर्ष 2025-26 में वृद्धि दर छह प्रतिशत रहने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि वृद्धि के मोर्चे पर भारत का बेहतर प्रदर्शन शेयर बाजारों के लिए भी अच्छा रहेगा.
इससे पहले मार्च में एफपीआई ने शेयरों से 3,973 करोड़ रुपये निकाले थे. फरवरी में उनकी निकासी 34,574 करोड़ रुपये रही थी. वहीं, जनवरी 2025 में विदेशी निवेशकों ने 78,027 करोड़ रुपये की भयंकर बिकवाली की थी.
