“हे स्वामी, गरिमामय हो तेरा नाम ! मैं किसकी शरण में जाऊँगा जबकि सच में, तू ही मेरा ईश्वर है और मेरा प्रिय है, मैं किसकी शरण माँगूगा जबकि तू ही मेरा स्वामी, मेरा मालिक है, मैं किसकी तरफ भागूँगा जबकि वास्तव में तू ही मेरा प्रभु और मेरी शरण—स्थली है।”
———— दिव्यात्मा बाब

Author: Sanjeevni Today
ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप