टैक्स चोरी करने वाले लोगों की अब खैर नहीं है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के कुछ अफसरों ने सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) को एक रिपोर्ट सौंपी है। इसमें ब्लैक मनी से जुड़े कानूनों के इस्तेमाल में सख्ती, विदेश में संपत्ति की जानकारी छुपाने पर पेनाल्टी के नियमों में बदलाव और टैक्स-चोरी के बड़े मामलों के निपटारे पर फोकस बढ़ाने को कहा गया है। एक सरकारी अधिकारी ने इस रिपोर्ट के बारे में मनीकंट्रोल को बताया है। अगर इस रिपोर्ट में बताई गई बातों पर अमल होता है तो टैक्स चोरी करने वाले लोगों के लिए बड़ी मुश्किल पैदा हो सकती है।
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टैक्स-चोरी के मामलों की प्रायरिटी तय करने की सलाह
अधिकारी ने बताया कि रिपोर्ट में टैक्स-चोरी (Tax Evasion) के मामलों की प्रायरिटी तय करने की भी जरूरत बताई गई है। इनकम टैक्स (Income Tax) अफसरों का मानना है कि पेनाल्टी से जुड़े नियमों को स्पष्ट बनाना होगा। साथ ही एक ही गलती के लिए एक से ज्यादा बार पेनाल्टी लगाने से बचना होगा। अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा, “अभी अगर विदेशी में किसी संपत्ति के बारे में पहले साल बताया जाता है लेकिन बाद के सालों में उसकी जानकारी डिसक्लोज नहीं की जाती है तो नॉन-डिसक्लोजर के हर साल के लिए पेनाल्टी लगाई जाती है। रिपोर्ट में इस नियम में बदलाव करने की जरूरत बताई गई है।”
एक ही गलती के लिए बार-बार पेनाल्टी लगाना ठीक नहीं
अभी इनकम टैक्स का जो नियम है, उसके मुताबिक हर साल के इनकम टैक्स रिटर्न को नई जानकारी के तौर पर लिया जाता है। इसलिए अगर किसी एक फॉरेन एसेट के बारे में बाद के सालों में इनकम टैक्स रिटर्न में नहीं बताया जाता है तो नॉन-डिसक्लोजर के हर साल के हिसाब से पेनाल्टी लगती है। इसके चलते जब तक यह साबित नहीं हो जाए कि जानकारी जानबूझकर नहीं छिपाई गई, हर साल पेनाल्टी लगती रहती है। अधिकारी ने कहा कि रिपोर्ट में कहा गया है कि इस बारे में विचार करने की जरूरत है कि क्या एक ही गलती के लिए हर साल पेनाल्टी लगाई जानी चाहिए।
कुछ नियमों पर स्पष्टीकरण की जरूरत
इस रिपोर्ट में ब्लैक मनी और टैक्स एक्ट, 2015 के इस्तेमाल के बारे में भी बताया गया है। ऐसे मामलों का उल्लेख किया गया है, जिसमें टैक्सपेयर अपने इनकम टैक्स रिटर्न में इनकम या एसेट्स को डिसक्लोज तो करता है, लेकिन वह ‘शिड्यूल ऑफ फॉरेन एसेट्स’ के तहत उसके बारे में बताना भूल जाता है। इस गलती के लिए उस पर पेनाल्टी लगाई जाती है। अधिकारी ने कहा, “अगर किसी व्यक्ति ने इनकम टैक्स रिटर्न में डिसक्लोजर दिया है लेकिन शिड्यूल में उसके बारे में नहीं बताया है तो उस पर पेनाल्टी लगती है।” रिपोर्ट में इस मसले पर स्पष्टीकरण की जरूरत बताई गई है।
टैक्स-चोरी के बड़े मामलों पर फोकस बढ़ाने की सलाह
इनकम टैक्स के अधिकारियों की इस रिपोर्ट में नियम और कानून को लागू करने में फोकस बढ़ाने की जरूरत बताई गई है। अधिकारी ने कहा, “अनडिसक्लोज्ड एसेट्स के बारे में जानकारियां पहले से उपलब्ध होने पर उन मामलों पर फोकस बढ़ाने की जरूरत है, जो गंभीर किस्म के हैं। एक अफसर के पास काफी ज्यादा मामले होने पर बड़े मामलों पर फोकस करना मुश्किल हो जाता है। अधिकारी का फोकस टैक्स चोरी के बड़े मामलों और बड़े एसेट्स पर होना चाहिए।”
संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल की सलाह
इस रिपोर्ट में अहम मामलों को प्राथमिकता में शामिल करने की जरूरत बताई गई है। अगर टैक्स चोरी के बड़े मामलों या बड़े एसेट्स से जुड़े मामलों पर फोकस बढ़ाया जाता है तो इससे संसाधनों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकेगा। इस साल की शुरुआत में फॉरेन एसेट्स के डिसक्लोजर के लिए सीमा 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई थी। इसका मकसद छोटे टैक्सपेयर्स पर कंप्लायंस का बोझ घटाना था।