“जिज्ञासु को सदैव प्रभु में विश्वास रखना चाहिये, संसार के लोगों से मोह त्याग कर धूल-सरीखे संसार से अनासक्त होकर, स्वामियों के स्वामी से प्रेम करना चाहिये। उसे कभी भी अपने को दूसरे से बड़ा नहीं समझना चाहिये। उसे अपने हृदयपटल से मिथ्याभिमान और दम्भ के हर निशान को मिटा देना चाहिये, उसे धैर्य और संतोष से काम लेना चाहिये।”
———- बहाउल्लाह
Author: Sanjeevni Today
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