इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के लिए बीते 24 घंटे किसी बुरे सपने से कम नहीं रहे. एक के बाद एक तीन बड़ी घटनाएं हुईं, जिन्होंने उनकी अंतरराष्ट्रीय साख से लेकर देश की राजनीति तक हिला दी. सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें करारा झटका दिया, ब्रिटेन ने फ्री ट्रेड रोक दिया और फ्रांस-इटली ने खुलेआम डांट लगा दी.
इन तीन झटकों ने साफ कर दिया है कि नेतन्याहू की राजनीतिक जिद और सैन्य कार्रवाइयों ने देश और दुनिया दोनों जगह से भरोसा खोना शुरू कर दिया है. आइए समझते हैं कि आखिर इन 24 घंटों में नेतन्याहू की सियासत पर कैसी बिजली गिरी?
1. जासूसी एजेंसी में दखल की कोशिश पर सुप्रीम कोर्ट की फटकार
इजराइल की खुफिया एजेंसी शिन बेट के प्रमुख रोनेन बार को हटाने की कोशिश नेतन्याहू को भारी पड़ गई. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले को गलत, गैरकानूनी और हितों के टकराव से ग्रस्त बताया. कोर्ट ने सीधे नेतन्याहू पर उंगली उठाई और कहा कि रोनेन बार को हटाने का कोई ठोस आधार नहीं था. सबकुछ मनमाने अंदाज में किया गया. शिन बेट उस समय नेतन्याहू के करीबी सलाहकारों के खिलाफ कतारगेट और डॉक्यूमेंट लीक जैसे गंभीर मामलों की जांच कर रहा था, खुद नेतन्याहू ने सोशल मीडिया पर माना था कि ये जांचें उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश हैं.
इतना ही नहीं, अदालत ने यह भी कहा कि सरकार ने सलाहकार समिति से राय नहीं ली, न ही बार को अपना पक्ष रखने का मौका दिया गया. और जब कोर्ट ने यह देखा कि सिर्फ राजनीति के गुस्से में एक वरिष्ठ अधिकारी को हटाया जा रहा है, तो पूरा फैसला रद्द करने लायक ठहराया. नेतन्याहू फिर भी नहीं माने. कोर्ट के फैसले को ‘शर्मनाक’ बता दिया और कहा कि वो खुद नया प्रमुख नियुक्त करेंगे.
2. ब्रिटेन ने कहा-अब नहीं करेंगे व्यापार
दूसरा बड़ा झटका नेतन्याहू को विदेश से लगा. ब्रिटेन ने इजराइल के साख फ्री ट्रेड एग्रीमेंच की बातचीत पर रोक लगा दी. ब्रिटिश विदेश मंत्री डेविड लैमी ने संसद में साफ साफ कहा कि गाजा में इजराइली सेना की कार्रवाई अब हद से ज्यादा हो चुकी है. पिछले कुछ दिनों में गाजा में भीषण बमबारी भूख और जमीन पर नए हमलों ने अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ा दी है. ब्रिटेन ने वेस्ट बैंक में अवैध यहूदी बस्तियों पर नए प्रतिबंध भी लगाए हैं और इजराइली राजदूत त्सिपी होतोवेली को तलब कर लिया गया है.
3. फ्रांस और इटली ने लगाई फटकार, कहा ये हरकत बर्दाश्त नहीं!
तीसरा झटका आया फ्रांस और इटली की तरफ से. वेस्ट बैंक में यूरोपीय राजनयिकों की यात्रा के दौरान इजराइली सेना ने गोलीबारी की, जिससे वहां मौजूद एक फ्रांसीसी राजनयिक बाल-बाल बचे. इस पर फ्रांस के विदेश मंत्री ने इजराइली राजदूत को तलब करने का एलान किया और कहा कि इस तरह की घटना ‘अस्वीकार्य’ है. इटली ने भी यही रुख अपनाते हुए कहा कि वह भी इस मामले में इजराइल से स्पष्टीकरण मांगेगा. यानी अब यूरोप भी नेतन्याहू सरकार के रवैये से खुलकर नाराज है.
