Rupee Performance in 2024: साल 2024 में अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले भारतीय करेंसी रुपया 3 प्रतिशत कमजोर हुआ है। अर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुस्ती और वैश्विक बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से रुपया प्रभावित हुआ है। हालांकि, दुनिया की अन्य करेंसी से तुलना करें, तो भारतीय रुपये में उतार-चढ़ाव काफी कम रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आगामी वर्ष में रुपये की स्थिति कुछ बेहतर रहेगी। वर्ष 2024 के अंत में रुपया अपने नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर आ गया। डॉलर में सुधार का असर उभरते बाजारों की करेंसीज पर पड़ा है।
घटनाक्रमों से भरपूर रहे 2024 ने रुपये की एक्सचेंज रेट को काफी प्रभावित किया। रूस-यूक्रेन युद्ध, पश्चिम एशिया में संकट, लाल सागर के जरिए ट्रेड में अड़चनों और दुनिया के कई देशों में चुनावों ने रुपये के सेंटिमेंट पर असर डाला। दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकों की ओर से उठाए गए कदमों और अन्य ग्लोबल फैक्टर्स ने न केवल रुपये-डॉलर के स्तर को प्रभावित किया है, बल्कि इसने सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में करेंसीज की एक्सचेंज रेट्स पर भी असर डाला है।
एलकेपी सिक्योरिटीज के वाइस प्रेसिडेंट रिसर्च एनालिस्ट- कमोडिटी एंड करेंसी, जतिन त्रिवेदी ने कहा कि रुपये में सबसे बड़ी कमजोरी 2024 के आखिरी के 6 महीनों में देखी गई, विशेष रूप से अक्टूबर और दिसंबर के बीच, जब विदेशी संस्थागत निवेशकों ने बड़े पैमाने पर निकासी की। उन्होंने कहा कि इस दौरान भारतीय शेयर बाजारों में एफआईआई की ओर से करीब 1.70 लाख करोड़ रुपये की निकासी हुई। इससे रुपये के प्रदर्शन पर भारी असर पड़ा।
27 दिसंबर को 85.80 प्रति डॉलर के रिकॉर्ड लो तक चला गया रुपया
प्रमुख मुद्राओं की तुलना में रुपये की डेली एक्सचेंज के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल 1 जनवरी के 83.19 प्रति डॉलर के स्तर की तुलना में 27 दिसंबर तक रुपया 3 प्रतिशत टूटा है। 27 दिसंबर को रुपया 85.59 प्रति डॉलर के निचले स्तर पर था। पिछले 2 महीनों में डॉलर के मुकाबले भारतीय मुद्रा में 2 रुपये की रिकॉर्ड गिरावट आई है।
बीते 10 अक्टूबर को रुपये ने 84 प्रति डॉलर के महत्वपूर्ण स्तर को पार किया। 19 दिसंबर को यह और कमजोर होकर 85 प्रतिशत डॉलर के निचले स्तर पर आ गया। 27 दिसंबर को दिन में कारोबार के दौरान रुपया 85.80 प्रति डॉलर के अपने रिकॉर्ड निचले स्तर तक गया। उस दिन रुपये ने 2 साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट देखी।
यूरो और जापानी येन की तुलना में रुपया मजबूत
हालांकि डॉलर के मुकाबले अन्य करेंसीज में आई गिरावट की तुलना में रुपये में गिरावट कम रही है। यूरो और जापानी येन की तुलना में रुपया फायदे में रहा है। येन के मुकाबले रुपया 8.7 प्रतिशत मजबूत हुआ है। यह 1 जनवरी के 58.99 रुपये प्रति 100 येन से बढ़कर 27 दिसंबर को 54.26 रुपये प्रति 100 येन हो गया। इसी तरह रुपये में यूरो के मुकाबले 27 अगस्त के बाद 5 प्रतिशत का सुधार हुआ है। 27 अगस्त को यह 93.75 रुपये प्रति यूरो पर था और 27 दिसंबर को 89.11 रुपये प्रति यूरो रह गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में बेहतर मैक्रोइकोनॉमिक फैक्टर्स के कारण डॉलर में अभूतपूर्व तेजी आई है। यही वजह है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती को कम करने का संकेत दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के नए चुने गए राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयात पर शुल्क बढ़ाने की मंशा जताई है। इस वजह से भी दुनियाभर के मुद्रा कारोबारियों के बीच डॉलर की मांग बढ़ी है।
रुपये की गिरावट थामने के लिए RBI लगा रहा पूरा जोर
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर शक्तिकांत दास ने दिसंबर की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में कहा था कि उभरते बाजारों की करेंसीज की तुलना में भारतीय रुपये में कम अस्थिरता रही है। हालांकि, इसके बावजूद केंद्रीय बैंक रुपये-डॉलर की दर को स्थिर करने के लिए अधिक सक्रिय प्रयास कर रहा है। कच्चे तेल के आयात पर भारत की निर्भरता और बढ़ते व्यापार घाटे की वजह से अमेरिकी डॉलर की मांग बढ़ी है। न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, आनंद राठी शेयर्स एंड स्टॉक ब्रोकर्स के डायरेक्टर- कमोडिटीज और करेंसीज, नवीन माथुर ने कहा, ‘‘RBI ने रुपये में तेज गिरावट को रोकने के लिए सक्रिय रूप से हस्तक्षेप किया है।’’
भारत की बाहरी चुनौतियां तेज हो गई हैं क्योंकि चीन की GDP ग्रोथ धीमी होकर 4.8 प्रतिशत रह गई है। इससे भारतीय निर्यात की मांग कम हो गई है। इसके अलावा पश्चिम एशिया में तनाव और लाल सागर संकट के कारण सप्लाई चेन में पैदा हुई रुकावट ने भारत सहित कई देशों के ट्रेड बैलेंस को प्रभावित किया है।
2025 में कैसी रहेगी रुपये की चाल
रेलिगेयर ब्रोकिंग लिमिटेड के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट (रिसर्च) अजीत मिश्रा ने कहा कि अगले साल इंडियन करेंसी का आउटलुक अपेक्षाकृत स्थिर है और डॉलर के मुकाबले इसके 82 से 87 के बीच रहने का अनुमान है। मिश्रा ने कहा, “सरकारी नीतिगत उपायों और घरेलू आर्थिक वृद्धि में सुधार से रुपये में संभावित सुधार को सपोर्ट मिल सकता है।” 2025 में कई वैश्विक घटनाओं से मुद्रा बाजार के रुझान प्रभावित होने का अनुमान है। सबसे महत्वपूर्ण संकेत अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दर में बदलाव और राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार उपायों से आने की उम्मीद है, जिससे चीनी आयात महंगा हो सकता है। इससे अमेरिका में महंगाई बढ़ सकती है।
भारत की आर्थिक वृद्धि 2025 के लिए 6.5-7.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है। यह रुपये को सपोर्ट दे सकती है, जबकि विकास को प्रोत्साहित करने के लिए RBI की ओर से मौद्रिक ढील देने से मुद्रा पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है। मिराए एसेट शेयरखान में रिसर्च एनालिस्ट के अनुज चौधरी ने कहा, “2025 के लिए हमें उम्मीद है कि रुपया गिरकर 87 रुपये/डॉलर पर आ जाएगा। बढ़त 83 रुपये तक सीमित हो सकती है।”