Explore

Search
Close this search box.

Search

October 9, 2024 10:21 am

लेटेस्ट न्यूज़

World Thalassemia Day 2024: थैलेसीमिया की चपेट में बच्‍चे अधिक आते हैं, यह है विशेषज्ञों की राय…

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

 तीन माह से 10-12 साल की उम्र यूं तो पढ़ने-लिखने की मानी जाती है, लेकिन 115 बच्चे पढ़ाई का नहीं बल्कि रोज अपनी जिंदगी की परीक्षा देते हैं। इनके लिए जिंदगी हर दिन किसी परीक्षा से कम नहीं होती। हम बात कर रहे हैं थैलेसीमिया बीमारी से पीड़ित बच्चों की।

इनकी जिंदगी जाने-अनजाने लोगों के रक्तदान पर टिकी है। इनको हर दो से तीन हफ्तों में खून की जरूरत पड़ जाती है। तब शुरू होती है स्वजनों की मुश्किलें। अपने जिगर के टुकड़ों के लिए उन्हें संबंधित ग्रुप के रक्त का तत्काल इंतजाम करना पड़ता है। समय पर पीडि़तों को रक्त मिल गया तो ठीक नहीं तो मुश्किल भयावह रूप धारण कर लेती है।

जेएएच के कमलाराजा अस्पताल में इनके प्रारंभिक इलाज की व्यवस्था है। यहां पीड़ितों को रक्त चढ़ाने के लिए भर्ती किया जाता है। थैलेसीमिया वार्ड बना है जिससे स्वजनों को परेशानी का सामना नहीं करना पड़ता। स्वजनों का कहना है कि अलग से वार्ड होने के कारण दिक्कत नहीं होती। चिकित्सक के अनुसार रक्त की भारी कमी होने के कारण रोगी के शरीर में बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता है। रक्त की कमी से हीमोग्लोबिन नहीं बन पाता है एवं बार-बार रक्त चढ़ाने के कारण रोगी के शरीर में अतिरिक्त लौह तत्व जमा होने लगता है, जो हृदय, लिवर और फेफड़ों में पहुंचकर जानलेवा होता है।

Paper Leak : लीक हो गया नीट का पेपर! बिहार से राजस्थान तक हंगामा, FIR दर्ज, जानें NTA ने क्या कहा

थैलेसीमिया है अनुवांशिक बीमारी

थैलेसीमिया नामक बीमारी आनुवांशिक होती है। इस बीमारी का मुख्य कारण रक्त दोष होता है। यह बीमारी बच्चों को अधिकतर अपनी चपेट में लेती है। यानि इस बीमारी से बच्चे अधिक ग्रसित होते है। समय पर इलाज न होने से बच्चे की मौत तक हो सकती है। इस बीमारी के प्रति लोगों में जागरुकता कम होती है। जिसके चलते समय रहते लोग बीमारी को नहीं पकड़ पाते।

यह बोले एक्सपर्ट

शिशु एवं बाल रोग विशेषज्ञ डा. घनश्याम दास का कहना है कि थैलेसीमिया पीड़ित दो लोगों को आपस में शादी नहीं करनी चाहिए। बेहतर यही होगा कि शादी से पहले लड़के व लड़की को अपना ब्लड टेस्ट करा लेना चाहिए। खून में हीमोग्लोबिन दो तरह के प्रोटीन से बनता है। अल्फा प्रोटीन और बीटा ग्लोबिन थैलेसीमिया इन प्रोटीन में ग्लोबिन निर्माण की प्रक्रिया में गड़बड़ी से होता है। इससे रेड ब्लड सेल्स तेजी से नष्ट होते हैं और खून की कमी होने लगती है। रक्त की अधिक कमी होने पर रोगी को खून चढ़ाना पड़ता है।

Sanjeevni Today
Author: Sanjeevni Today

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर