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इंदौर, 17 अप्रैल। जिम्मी एंड जनक मगिलिगन फाउंडेशन फॉर सस्टेनेबल डेवेलपमेंट द्वारा दिवंगत पर्यावरणविद् श्री जिम्मी मगिलिगन की स्मृति में आयोजित “सस्टेनेबल डेवलपमेंट सप्ताह” के छठे दिन “सोलर ड्रायर से सस्टेनेबल सोलर फूड प्रोसेसिंग द्वारा भारत के किसानों को समृद्ध बनाने” विषय पर एक कार्यशाला का आयोजन किया गया।
यह आयोजन इंदौर के रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग परिसर में किया गया। संस्था की निदेशिका पद्मश्री डॉ. (श्रीमती) जनक पलटा मगिलिगन और रहेजा सोलर फूड प्रोसेसिंग की निदेशक श्रीमती बबीता रहेजा की उपस्थिति में यह कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
जिम्मी मगिलिगन की विरासत से प्रेरित वरुण रहेजा की सौर यात्रा
इस अवसर पर श्रीमती बबीता रहेजा ने बताया कि उनके पुत्र, वरुण रहेजा, ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान डॉ. जनक पलटा मगिलिगन के मार्गदर्शन में इंटर्नशिप की। इस दौरान उन्होंने श्री जिम्मी मगिलिगन द्वारा बनाए गए सोलर टनल ड्रायर को समझा, सीखा और आज उसे एक राष्ट्रिय स्तर के नवाचार आंदोलन में बदल दिया है।
वरुण ने खेतों में फसल की बर्बादी और किसानों की आय में कमी को ध्यान में रखते हुए, दुनिया का पहला पोर्टेबल सोलर ड्रायर विकसित किया। उनके प्रयासों से अब तक:
- 70,000+ किसान सशक्त हुए
- औसतन 30% आय वृद्धि
- ₹10.5 करोड़ खाद्य अपशिष्ट की बचत
- 26,850 मीट्रिक टन कार्बन फुटप्रिंट में कमी
- 7000+ विकेंद्रीकृत सोलर ड्रायर स्थापित किए जा चुके हैं
यह परियोजना शार्क टैंक इंडिया में भी सराही जा चुकी है।
कृषि से फैशन की ओर : अपशिष्ट से समृद्धि
खुशबू मखीजा और निहार शर्मा ने भी बताया कि वरुण अब केले की फसल के पश्चात कृषि अपशिष्ट से सस्टेनेबल फैशन उत्पाद तैयार कर रहे हैं — जैसे डेनिम, टी-शर्ट और अन्य जीवनशैली उत्पाद। इससे किसानों को फल के साथ-साथ पेड़ से भी आय हो रही है।
जिम्मी मगिलिगन: सेवा, सरलता और सतत विकास की प्रतीक प्रेरणा
कार्यक्रम में डॉ. जनक पलटा मगिलिगन ने अपने दिवंगत पति श्री जिम्मी मगिलिगन के जीवन, दर्शन और कार्यों को भावुक स्वर में साझा किया। उन्होंने बताया कि कैसे उत्तरी आयरलैंड से आए श्री जिम्मी ने 1985 से 2011 तक भारत में बरली ग्रामीण महिला विकास संस्थान में सेवा की, हजारों आदिवासी महिलाओं को सशक्त बनाया और अपने जीवन को सोलर कुकर, ड्रायर और स्वच्छ ऊर्जा उपकरणों को बनाने में समर्पित किया।
उनका विश्वास था — “प्रभाव डालने के लिए पैसे की नहीं, इरादे की ज़रूरत होती है।” उनके निधन के बाद डॉ. जनक ने जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट की स्थापना की, जो आज भी उनके विचारों को जीवंत रखे हुए है।
विरासत पर रिसर्च: युवा की दृष्टि से
स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के छात्र सिद्धार्थ लोधी, जो डॉ. जनक पलटा के इंटर्न हैं, ने श्री जिम्मी मगिलिगन की विरासत पर एक शोध प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि कैसे श्री जिम्मी ने मध्य भारत का पहला सोलर ड्रायर बनाया, महाराष्ट्र के कोंकण में किसानों को प्रशिक्षित किया, और भूटान में भी अपनी तकनीक साझा की। सिद्धार्थ ने यह भी बताया कि वरुण रहेजा आज उस विरासत को आगे बढ़ाते हुए 65,000 से अधिक किसानों को सशक्त बना चुके हैं।
यह कार्यशाला न केवल एक तकनीकी नवाचार का प्रदर्शन थी, बल्कि यह प्रेम, संकल्प, और सतत विकास की प्रेरणादायक कहानी भी थी। यह कार्यक्रम दर्शाता है कि कैसे एक व्यक्ति की सोच, संकल्प और सेवा का भाव आने वाली पीढ़ियों को दिशा दे सकता है।
