Donald Trump Iran Nuclear Deal: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान के साथ परमाणु कार्यक्रम रोकने के लिए बेताब है और अमेरिकी राष्ट्रपति परमाणु कार्यक्रम समझौते के लिए कूटनीतिक तरीके अपनाने जा रहे हैं. ट्रंप को उम्मीद है कि अब ईरान इतनी मुश्किल स्थिति में है कि वह परमाणु बम बनाने का इरादा छोड़ सकता है. आज यानी 12 अप्रैल को ओमान की राजधानी मस्कट में अमेरिका और ईरान के अधिकारी आपस में परमाणु कार्यक्रम समझौते को लेकर बातचीत करेंगे. अमेरिका की तरफ से स्टीव विटकॉफ और ईरान की तरफ से अब्बास अरकची इस बातचीत में शामिल होंगे.
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ट्रंप ने दी धमकी
ट्रंप चाहते हैं कि ईरान कभी भी परमाणु हथियार न बना सके. उन्होंने कहा है कि अगर ईरान उनकी शर्तें नहीं मानता, तो उसे “भारी नुकसान” उठाना पड़ सकता है. इससे पहले भी ट्रंप ईरान को धमकी दे चुके हैं कि अगर अमेरिका के साथ ईरान परमाणु समझौता नहीं करता है तो वह ईरान पर भारी बमबारी करेंगे और परमाणु ठिकानों को नष्ट कर देंगे.
क्या ईरान हो गया है कमजोर?
गाजा युद्ध होने के बाद से मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर है. इस दौरान ईरान की प्रॉक्सी टीम हिजबुल्लाह ने इजरायल पर हमला किया, जिसके बाद नेतन्याहू की सेना ने हमास और हिजबुल्लाह जैसे ईरान समर्थित संगठनों को भारी नुकसान पहुंचाया है. वहीं, अमेरिका ने यमन में ईरान से जुड़े हूती लड़ाकों पर बमबारी की है. साथ ही सीरिया में बशर अल-असद की सरकार खत्म हो गई है. इसके अलावा आर्थिक हालत भी खराब है और अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों के कारण देश के आम लोग परेशान हैं.
डायरेक्ट बातचीत करना चाहते हैं डोनाल्ड ट्रंप
डोनाल्ड ट्रंप ईरान से उसके परमाणु कार्यक्रम को रोकने के लिए बातचीत की कोशिश कर रहे हैं. हालांकि ट्रंप ने कहा है कि अमेरिका और ईरान के बीच सीधी बातचीत (Direct Talks) होगी, लेकिन ईरान ने इसे खारिज करते हुए कहा है कि बातचीत परोक्ष (Indirect) होगी. इसका मतलब है कि अमेरिका और ईरान के प्रतिनिधि अलग-अलग कमरों में रहेंगे और ओमान के अधिकारी उनके बीच संदेश का आदान-प्रदान करेंगे. यह बैठक ओमान की राजधानी मस्कट में होगी. ट्रंप प्रशासन को उम्मीद है कि ईरान पर बढ़ते दबाव के कारण वह समझौते के लिए तैयार हो सकता है.
ईरान के राष्ट्रपति ने क्या कहा था?
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियन ने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि उनका देश परमाणु बम नहीं बनाना चाहता. उन्होंने यह भी संकेत दिया कि अगर अमेरिका के साथ कोई नया परमाणु समझौता होता है, तो ईरान अमेरिकी कंपनियों को निवेश की इजाजत दे सकता है. यह बयान ऐसे वक्त आया है जब अमेरिका और ईरान के बीच ओमान में अहम बातचीत होने वाली है. पेजेश्कियन की यह टिप्पणी बताती है कि ईरान कूटनीतिक समाधान के लिए तैयार है, बशर्ते उसकी शर्तों का सम्मान हो और उस पर सैन्य दबाव न डाला जाए.
