अखिलेश यादव ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि‘इलेक्शन’ को ‘करप्शन’ का पर्याय बनानेवालों के हथकंडे तस्वीरों में क़ैद होकर दुनिया के सामने उजागर हो चुके हैं. दुनिया से लेकर देश और उत्तर प्रदेश ने इस उपचुनाव में चुनावी राजनीति का सबसे विकृत रूप देखा. असत्य का समय हो सकता है लेकिन युग नहीं.अब तो असली संघर्ष शुरू हुआ है… बाँधो मुट्ठी, तानो मुट्ठी और पीडीए का करो उद्घोष ‘जुड़ेंगे तो जीतेंगे!’
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एक अन्य पोस्ट में अखिलेश यादव ने लिखा है कि कुंदरकी में जिन लोगों को सरेआम वोट डालने से रोका गया या जिनके वोट किसी और ने डाल दिये वो सब लोग अपनी व्यथा बताने के लिए लखनऊ आ रहे थे, क्योंकि वहां स्थानीय स्तर पर कोई सुनवाई नहीं हो रही थी. इससे भाजपा के चुनावी घपले का भंडाफोड़ हो जाता, इसीलिए बीच रास्ते में उनको सीतापुर में उप्र पुलिस द्वारा निरुद्ध किया गया है. हम महामना राष्ट्रपति महोदय, माननीय सर्वोच्च न्यायालय, चुनाव आयोग, मानवाधिकार आयोग, माननीय राज्यपाल व देश के सभी समाचार पत्रों और न्यूज़ चैनलों से आग्रह करते हैं कि इस मामले का तुंरत संज्ञान लें और ये सुनिश्चित करें कि अपने वोट के अधिकार के लिए जो आवाज़ उठाना चाहते हैं, उनके साथ उप्र की भाजपा सरकार कोई अन्याय या अत्याचार न कर सके.
जब तक फर्जी मतदान पर रोक नहीं लगेगी बसपा नहीं लड़ेगी उपचुनाव: मायावती
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख एवं उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने राज्य की नौ सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी को करारी शिकस्त मिलने के एक दिन बाद रविवार को चुनाव में धांधली का आरोप लगाया और कहा कि अब उनकी पार्टी कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी. उत्तर प्रदेश में नौ सीट पर हुए उपचुनाव में बसपा के उम्मीदवार सात क्षेत्रों में तीसरे स्थान पर रहे, जबकि दो सीट पर वे आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और एआईएमआईएम के उम्मीदवारों से भी पीछे पांचवें स्थान पर रहे.
बसपा प्रमुख मायावती ने रविवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा , ‘‘ हमारी पार्टी ने यह फैसला किया है कि जब तक देश में फर्जी वोट डालने से रोकने के लिए देश के चुनाव आयोग द्वारा कोई सख्त कदम नहीं उठाये जाते तब तक हमारी पार्टी देश में कोई उपचुनाव नहीं लड़ेगी.” उन्होंने कहा , ‘‘ जबकि आम चुनाव में इस मामले में थोड़ा बचाव जरूर हो जाता है. क्योंकि सरकारी मशीनरी सत्ता परिवर्तन के डर से घबराती हैं.” इससे पहले मायावती ने कहा,‘‘ इस बार जो वोट पड़े और जो नतीजे आए उसको लेकर लोगों में आम चर्चा है कि पहले देश में जब बैलेट पेपर के जरिये चुनाव होते थे तो सत्ता का दुरुपयोग करके फर्जी वोट डाले जाते थे और अब तो ईवीएम के जरिये भी यह कार्य किया जा रहा है.”