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June 13, 2025 12:35 am

रेट कट के बाद क्या करें निवेशक…….’क्या अब FD से अब कम हो जाएगी आपकी कमाई……

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 6 जून को हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में बड़ा फैसला लेते हुए रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है. इस कटौती के बाद रेपो रेट अब घटकर 5.5% हो गया है. इस साल फरवरी और अप्रैल में भी दो बार 25-25 bps की कटौती हो चुकी है, जिससे अब यह लगातार तीसरी कटौती है.

रेपो रेट में यह गिरावट FD निवेशकों के लिए चेतावनी है, खासकर उन लोगों के लिए जो फिक्स्ड डिपॉजिट को सुरक्षित और बेहतर रिटर्न देने वाला विकल्प मानते हैं.

क्या-क्या बदला RBI ने?
  • रेपो रेट: 50 bps घटकर अब 5.5%
  • CRR (कैश रिजर्व रेशियो): 1% की कटौती
  • मौद्रिक नीति रुख: Accommodative से बदलकर अब Neutral कर दिया गया

इन बदलावों के चलते बैंकों की फंडिंग लागत कम हो रही है और इसी कारण बैंक तेजी से FD और सेविंग अकाउंट्स पर ब्याज दरें घटा रहे हैं.

SBI रिपोर्ट का क्या कहना है?

रेपो रेट में हुई इस कटौती से जहां एक तरफ लोन लेने वाले लोगों को फायदा होगा. वहीं दूसरी तरफ RBI के इस फैसले से एफडी में निवेश करने वाले निवेशकों को अब अपनी एफडी में कम ब्याज दर से रिटर्न मिलेगा। SBI की रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2025 से अब तक FD की ब्याज दरों में 30 से 70 बेसिस पॉइंट की कटौती हो चुकी है. सेविंग अकाउंट्स पर भी ब्याज घटकर न्यूनतम 2.70% तक आ चुका है. ऐसे में एफडी में निवेश किए गए पैसों पर अब कम रिटर्न मिल रहा है. इतना ही नहीं एफडी के साथ साथ अलग अलग बैंक अपने सेविंग अकाउंट की ब्याज दरों को भी कम कर रहे हैं.

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क्या आगे और गिर सकते हैं रेट्स

SBI का मानना है कि FY26 के दौरान RBI रेपो रेट में और 100 bps तक की कटौती कर सकता है. अगर खुदरा महंगाई (CPI) 4% से नीचे बनी रहती है और क्रेडिट ग्रोथ कमजोर रहता है, तो आगामी नीतिगत बैठक में भी कटौती की पूरी संभावना है.

FD निवेशकों को क्या करना चाहिए?
  1. अभी के लिए मौका: कई बैंक अभी भी 7% से 8.25% के बीच ब्याज दे रहे हैं, खासकर छोटे और स्मॉल फाइनेंस बैंक. हालांकि, इन बैंकों में जोखिम अधिक होता है, इसलिए ₹5 लाख डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा में ही निवेश करें.
  2. लॉन्ग टर्म FD चुनें: चूंकि ब्याज दरों का चक्र अब गिरावट की ओर है, इसलिए 2 से 5 साल की अवधि वाली FD में अभी निवेश करना फायदेमंद हो सकता है.
  3. लैडरिंग अपनाएं: निवेश को एक साथ एक अवधि में न डालें, अलग-अलग अवधि की FD बनाएं ताकि फ्लेक्सिबिलिटी बनी रहे.

अभी कई बैंक 7 फीसदी से 8.25 फीसदी तक की दर पर FD दे रहे हैं, खासकर छोटे और स्मॉल फाइनेंस बैंकों में. हालांकि, इन बैंकों में जोखिम ज्यादा होता है, इसलिए निवेश की राशि डिपॉजिट इंश्योरेंस की सीमा के भीतर रखें. इससे इतर, चूंकि ब्याज दरों का चक्र अब नीचे की ओर जा रहा है, इसलिए 2-5 साल की FD में निवेश करना फायदेमंद हो सकता है. यानी कुल मिलाकर, अगले आरबीआई कटौती से पहले एफडी निवेशकों को अपने पैसों को बैंकों में डाल देना चाहिए.

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