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January 18, 2025 1:25 pm

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अब क्या विकल्प…….’एकनाथ शिंदे खुद डिप्टी बनना नहीं चाहते और बेटे का प्रमोशन मुश्किल…….

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महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे सतारा से वापस लौट आए हैं। आज अजित पवार, देवेंद्र फडणवीस और एकनाथ शिंदे की मीटिंग होने वाली है। इसके अलावा भाजपा विधायक दल की मीटिंग भी प्रस्तावित है और उसके बाद तय हो जाएगा कि महाराष्ट्र का सीएम कौन होगा। एकनाथ शिंदे की नाराजगी कायम रहने की खबरें थीं, लेकिन उन्होंने सतारा से लौटकर फिर कहा है कि पीएम नरेंद्र मोदी और अमित शाह जो फैसला लेंगे, वह उन्हें स्वीकार होगा। ऐसे में कयास लग रहे हैं कि नई सरकार में एकनाथ शिंदे को क्या जिम्मेदारी मिलेगी। शिवसेना के नेता ही कह चुके हैं कि वह डिप्टी सीएम नहीं बनना चाहते क्योंकि मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

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इसके चलते यह चर्चाएं तेज हो गई हैं कि क्या उनके बेटे श्रीकांत शिंदे राज्य के उपमुख्यमंत्री बनेंगे, जो फिलहाल लोकसभा सांसद हैं। इस पर एकनाथ शिंदे से भी रविवार को सवाल पूछा गया तो उन्होंने खुलकर कुछ नहीं कहा बल्कि यही बोला कि सारे कयास पत्रकारों की उपज हैं। अभी कोई फैसला नहीं हुआ है और बैठकर बात की जाएगी, जिससे सारी चीजें निकलेंगी। उन्होंने खुद को लेकर भी कुछ नहीं कहा है। माना जा रहा है कि होम मिनिस्ट्री को लेकर एकनाथ शिंदे की शिवसेना की दावेदारी बरकरार है और भाजपा इस पर राजी नहीं है। यही दोनों दलों के बीच गतिरोध का विषय बन चुका है।

वहीं डिप्टी सीएम को लेकर एकनाथ शिंदे की शिवसेना में खुद ही चर्चाओं का दौर जारी है। ऐसा इसलिए क्योंकि एकनाथ शिंदे खुद डिप्टी सीएम नहीं बनना चाहते, लेकिन वह होम मिनिस्ट्री जैसा कोई अहम मंत्रालय संभालते हुए सरकार का हिस्सा रहना चाहते हैं। ऐसे में बेटे श्रीकांत शिंदे को डिप्टी सीएम बनाने की चर्चा है, लेकिन वह ऐसा भी शायद न करें। इसकी वजह यह है कि इससे नैरेटिव खराब होगा और भाजपा भी ऐसा नहीं चाहती। एकनाथ शिंदे ने 2022 में बागी होते हुए उद्धव ठाकरे पर आरोप लगाया था कि वह बेटे को आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन बाकी सबको और विचारधारा को दरकिनार कर रहे हैं।

इसलिए अब यदि एकनाथ शिंदे ने बेटे को डिप्टी सीएम के तौर पर आगे बढ़ाया तो वही आरोप उन पर भी चस्पा होगा, जो वह उद्धव ठाकरे पर लगा रहे थे। ऐसे में माना जा रहा है कि वह अपने किसी करीबी को यह दर्जा दिला सकते हैं और खुद एक ताकतवर मंत्री के तौर पर कैबिनेट का हिस्सा होंगे। फिलहाल शिवसेना का जोर इस बात पर है कि वित्त मंत्रालय के अलावा शहरी विकास, उद्योग मंत्रालय और कृषि मंत्रालय उन्हें मिल जाए।

 

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