वक्फ संशोधित कानून के खिलाफ दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई पूरी हो गई। कल दोपहर 2 बजे फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। कपिल सिब्बल ने कोर्ट में कहा कि’वक्फ में गैर-मुस्लिमों को शामिल करना अनुच्छेद 26 का उल्लंघन है’ सीजेआई संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की बेंच इस मामले में दायर याचिकाओं पर सुनवाई की। आइए जानते है कोर्ट में क्या-क्या हुआ…
बुधवार को सुप्रीम कोर्ट वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आज की सुनवाई पूरी हो गई, जिसे इस महीने की शुरुआत में संसद ने पारित किया था। इन याचिकाओं में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अमानतुल्लाह खान की याचिकाएं भी शामिल हैं। गौरतलब है कि अब तक इस मुद्दे पर 10 याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं। सुप्रीम कोर्ट में असदुद्दीन ओवैसी, कपिल सिब्बल और अभिषेक मनुसिंघवी कोर्ट में मौजूद हैं। केद्र सरकार के वकील तुषार मेहता भी कोर्ट में मौजूद है।
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सुप्रीम कोर्ट में क्या हुआ?
- द हिंदू के मुताबिक सीजेआई ने कहा “आमतौर पर, जब कोई कानून पारित होता है तो हम हस्तक्षेप नहीं करते हैं, लेकिन कुछ अपवाद भी हैं। यहां उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ के मामले में, बहुत बड़ी समस्याएं होंगी। उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ 1940 के दशक से है। “हम एक अस्थायी आदेश देना चाहते हैं,”
- सीजेआई ने अंतरिम आदेश में कहा, “अदालत या अन्य किसी माध्यम से वक्फ घोषित की गई कोई भी संपत्ति गैर-अधिसूचित नहीं की जाएगी। निर्वाचक कार्यवाही जारी रख सकते हैं, प्रावधान लागू नहीं किए जाएंगे। परिषद, बोर्ड का गठन, पदेन सदस्यों की नियुक्ति उनकी आस्था की परवाह किए बिना की जाएगी, अन्य सदस्य मुस्लिम आस्था के होंगे।”
- वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि उन्होंने 1995 के वक्फ अधिनियम को चुनौती दी है। पुराने अधिनियम के कई प्रावधान 2025 के संशोधन अधिनियम में परिलक्षित होते हैं। उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट दोनों आयामों को देख सकता है और पूरे मामले को एक या दूसरे तरीके से तय कर सकता है। हाईकोर्ट में याचिकाएं बुलाने की कोई जरूरत नहीं है।”
- सीजेआई खन्ना ने कहा कि तीन विकल्प हैं: “हम फैसला करते हैं, हम आपको एक उच्च न्यायालय में भेजते हैं, हम उन याचिकाओं को यहां बुलाते हैं और फैसला करते हैं।” एसजी मेहता ने कहा कि केंद्र जवाब दाखिल करेगा। शीर्ष अदालत दो सप्ताह में इस पर विचार कर सकती है।
- सीजेआई ने कहा, “अगर सार्वजनिक ट्रस्ट जो 100 साल से अधिक समय से वक्फ हैं, अब नहीं रहेंगे तो समस्या होगी।” “अगर मैं एक मुसलमान हूं और दान करना चाहता हूं, तो मैं वक्फ से बाहर आ सकता हूं। यह एक सक्षम प्रावधान है,”
- एसजी मेहता ने कहा। “आप अतीत को पूर्ववत नहीं कर सकते,” सीजेआई ने जवाब दिया। “अगर ऐसे सार्वजनिक ट्रस्ट हैं जो अल्लाह को दान समर्पित करना चाहते हैं, तो क्या आप इसे पूर्ववत कर सकते हैं?” सीजेआई ने कहा। सीजेआई खन्ना ने कहा कि अदालत केंद्र को नोटिस जारी करेगी। उन्होंने कहा, “केंद्र अपना जवाब दाखिल कर सकता है।”
- सीजेआई ने बताया कि 20 सदस्यों वाली परिषद में केवल 8 [मुस्लिम] ही इस धर्म से हैं। एसजी मेहता ने कहा, “22 में से अधिकतम दो ही गैर-मुस्लिम होंगे। मंत्रालय ने जेपीसी में स्पष्ट किया है।” सीजेआई ने पूछा “तो आप यह बयान दे रहे हैं कि अधिकतम दो और 2 पदेन सदस्य होंगे? सीजेआई ने पूछा। एसजी मेहता ने कहा। “बोर्ड अधिक समावेशी हो गए हैं। शिया जैसे अन्य वर्गों से भी सदस्य लिए जाएंगे। पहले यह केवल सुन्नी या शिया था,”
- सीजेआई खन्ना ने एसजी मेहता से पूछा, “क्या अब आप यह तर्क दे रहे हैं कि जहां तक हिंदू बंदोबस्ती निकायों का सवाल है, आप मुसलमानों को उनका हिस्सा बनने की अनुमति देंगे।” वक्फ परिषद में दो न्यायाधीश मुस्लिम नहीं हो सकते।
- मेहता ने कहा कि तब आपके माननीय इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकते। “यह न्यायनिर्णयन है।सीजेआई ने पलटवार किया। जब हम यहां बैठते हैं तो हम अपना धर्म खो देते हैं। हम पूरी तरह से धर्मनिरपेक्ष हैं। हमारे लिए, एक या दूसरा पक्ष, एक जैसा है। अगर हम किसी धार्मिक मुद्दे से निपट रहे हैं, तो मुद्दे उठेंगे।
- एसजी मेहता ने याचिकाकर्ताओं की इस दलील पर आपत्ति जताई कि केंद्र ने वक्फ परिषद पर कब्ज़ा कर लिया है। उन्होंने कहा, “यह हमेशा केंद्र की पहल रही है। यह केवल एक सलाहकार निकाय था।
वक्फ अधिनियम के खिलाफ जो 10 याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक इन याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार और के.वी. विश्वनाथन की सुप्रीम कोर्ट की पीठ सुनवाई करेगी। वक्फ अधिनियम के खिलाफ जो 10 याचिकाएं सूचीबद्ध की गई हैं। जिनमे एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, आप नेता अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर द प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, अरशद मदनी, समस्त केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और आरजेडी नेता मनोज कुमार झा ने दायर की हैं। जबकि टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा और समाजवादी पार्टी के नेता जिया-उर-रहमान बर्क द्वारा दायर नई याचिकाओं को अभी सूचीबद्ध किया जाना बाकी है।
छह भाजपा शासित राज्यों ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है
इन याचिकाओं के खिलाफ छह भाजपा शासित राज्यों ने अधिनियम की संवैधानिकता का समर्थन करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। इन राज्यों में हरियाणा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और असम – ने अदालत में अलग-अलग याचिकाएं दायर कीं है।
