ओल में एंटी-ऑक्सीडेंट, विटामिन-सी और बीटा कैरोटीन पाए जाते हैं, जो कैंसर पैदा करने वाले फ्री-रेडिकल्स से लड़ने में मदद करते हैं. इसमें मौजूद एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुणों के कारण यह गठिया और अस्थमा रोगियों के लिए भी अच्छा माना जाता है. ओल में पाए जाने वाले कॉपर और आयरन लाल रक्त कोशिकाओं की वृद्धि में मदद करते हैं और शरीर में ब्लड के प्रवाह को दुरुस्त रखते हैं.
आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. पंकज कुमार (अनुभव- 25 वर्ष) ने Local18 को बताया बहुत सारे रोगों में ओल का प्रयोग औषधि के रूप में किया जाता है. जितने भी कंद हम आहार के रूप में लेते हैं या सब्जियों में मिलाकर खाते हैं, उनमें सबसे श्रेष्ठ कंद ओल है.
ओल का शास्त्रों में भी वर्णन किया गया है, इसके पीछे के कई कारण हैं. मूल रूप से ओल का प्रयोग आयुर्वेद में औषधि के रूप में किया जाता रहा है. यह बहुत अच्छा पाचक है, जो मल को विसर्जित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
कई बार सूरन को कच्चा या सब्जी के रूप में खाने पर गले में खुजली शुरू हो जाती है. ऐसे में इसको कम करने के लिए नींबू की 1 स्लाइस मुंह में रख लें. इससे तुरंत राहत मिलेगी. ओल बहुत सारे रोगों के लिए रामबाण है.
याददाश्त बढ़ाने, ध्यान को एकाग्र करने में मदद करने, बवासीर, श्वास रोग, खांसी, कृमि रोग के साथ ही जिन लोगों को लिवर संबंधी कोई समस्या है, उनके लिए भी यह कारगर है. महिलाओं में पीरियड्स को लेकर होने वाली दिक्कतों में भी इसका सेवन फायदेमंद माना गया है. हालांकि, यदि किसी को चर्म रोग, कसैला, खुजली हो तो उन्हें ओल नहीं खाना चाहिए. गर्भवती को भी इसका सेवन नहीं करना चाहिए.