Explore

Search
Close this search box.

Search

June 26, 2024 5:30 am

Our Social Media:

लेटेस्ट न्यूज़

Uttar Pradesh News: आंकड़ों की जुबानी देखिए बड़ी कहानी; यूपी में योगी-मोदी पर कैसे भारी पड़ा अखिलेश का PDA फैक्टर!

WhatsApp
Facebook
Twitter
Email

एक जून को शाम सात बजे लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण का मतदान खत्म होते ही एग्ज़िट पोल्स आए तो ऐसा लग रहा था कि उत्तर प्रदेश में लड़ाई एकतरफा है. सभी एग्जिट पोल ने भाजपा गठबंधन को उत्तर प्रदेश में 60 से अधिक सीट दे रहे थे. लेकिन 4 जून को नतीजों वाले दिन का आलम ये था कि भाजपा ने 33 सीटों पर सिमट गई. अकेले यूपी में उसे 29 सीटों का नुकसान हुआ. जिस अयोध्या में राम मंदिर को लेकर बीजेपी ने इतना प्रचार-प्रसार किया, वहां से तीन बार के सांसद रहे बीजेपी के लल्लू सिंह को भी हार का सामना करना पड़ा.

उत्तर प्रदेश में पार्टी की हार का जो सबसे बड़ा कारण सामने आया है, वह है पार्टी को दलित वोटों में कमी आना और ओबीसी वोटों में थोड़ा खिसकाव होना. अखिलेश यादव का पीडीए का नारा और राहुल गांधी का संविधान हाथ में लेकर रैलियां करना सबसे बड़ा गेमचेंजर इस चुनाव में साबित हुआ. इंडिया गठबंधन इस बार बड़ी तादाद में दलित वोटर अपनी तरफ़ खींचने में तो कामयाब रहा ही साथ ही ओबीसी  वोटरों का झुकाव भी इस तरफ देखने को मिला.
कामयाब रहा सपा का पीडीए
समाजवादी पार्टी ने इस बार टिकट बंटवारे में भी सभी जातियों का ध्यान रखा. इस बार अखिलेश यादव ने गठबंधन में अपने हिस्से आईं 62 में से सिर्फ़ 5 सीटों पर यादव और 4 सीटों पर मुसलमान उम्मीदवार उतारे. जबकि 17 दलित प्रत्याशियों को मैदान में उतारा. उन्होंने 9 सवर्ण और कुल 30 ओबीसी उम्मीदवारों को टिकट दिया. वहीं  चार जून को आए नतीजों में  सपा के सारे मुस्लिम और यादव प्रत्याशियों ने जीत हासिल की.  वहीं सपा के 20 ओबीसी और 8 दलित प्रत्याशियों ने जीत हासिल की.

2024 में किसे मिले कितने वोट
कास्ट सपा+कांग्रेस भाजपा+ बसपा
अपर कास्ट 16 %  79 % 1%
यादव 82 % 15% 2%
कुर्मी – कोइरी 34% 64 % 2 %
अन्य ओबीसी 34 % 59 % 3%
जाटव 25 % 24 % 44%
नॉन जाटव 56 % 29 % 15 %
मुस्लिम 92 %  2 % 5 %
दलित वोटर हुए शिफ्ट
यूपी में लोकसभा चुनावों में दलित वोट किस तरह शिफ्ट हुए हैं ये सीएसडीएस के डेटा से पता चलता है. सीएसडीएस का सर्वे बताता है कि 92 प्रतिशत मुसलमानों और 82 प्रतिशत यादवों ने इंडिया ब्लॉक को तो वोट दिया, जबकि गैर-जाटव दलित वोटों का 56 प्रतिशत वोट भी गठबंधन ने हासिल किया. यही नहीं 25 प्रतिशत जाटव दलितों ने गठबंघन को वोट दिया है. 2019 में यूपी की 17 सुरक्षित सीटों में से 15 भाजपा को मिली थीं, लेकिन इस बार 8 सीटें ही उसकी झोली में आईं. वहीं समाजवादी पार्टी ने 7 सीटें झटक लीं जबकि आजाद समाज पार्टी और कांग्रेस को 1-1 सीट मिलीं हैं.
अखिलेश यादव के पीडीए की चाल का सबसे सफल प्रयोग अयोध्या में देखने को मिला. अखिलेश यादव ने फैजाबाद (अयोध्या) के सामान्य सीट पर दलित प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को उतारा और उन्होंने बीजेपी के लल्लू सिंह को 54 हजार से अधिक मतों से पराजित किया. वहीं मेरठ के सामान्य सीट पर भी दलित प्रत्याशी सुनीता वर्मा पर सपा ने दांव चला. हालांकि
रामायण के ‘राम’ बीजेपी प्रत्याशी अरुण गोविल से वह थोड़े ही अंतर यानी केवल 10 हजार से कुछ अधिक वोटों से हार गईं.
2019 में किसे मिले थे कितने वोट
कास्ट सपा+बसपा भाजपा+ कांग्रेस
अपर कास्ट 7 77.2 5.2
यादव 60 23 5
कुर्मी-कोइरी 14 80 5
जाटव 17 75 1
नॉन जाटव 42 48 7
यूपी में ओबीसी राजनीति का गणित
दरअसल, पिछले एक दशक में उत्तर प्रदेश की सियासत ओबीसी समुदाय के इर्द-गिर्द घूमती नजर आ रही हैं. सूबे की सभी पार्टियां ओबीसी को केंद्र में रखते हुए अपनी राजनीति एजेंडा सेट कर रही हैं. यूपी में सबसे बड़ा वोटबैंक पिछड़ा वर्ग का है. सूबे में 52 फीसदी पिछड़े वर्ग की आबादी है, जिसमें 43 फीसदी गैर-यादव यानि जातियों को अतिपिछड़े वर्ग के तौर पर माना जाता है. ओबीसी की 79 जातियां हैं, जिनमें सबसे ज्यादा यादव और दूसरे नंबर कुर्मी समुदाय की है.

पढ़ें अहम बातें: सुप्रीम कोर्ट ने क्या-क्या कहा? 23 जून को दोबारा परीक्षा; NEET में दिए गए ग्रेस मार्क रद्द….

लोकनीति-सीएसडीएस के सर्वे के मुताबिक पिछले एक दशक में बीजेपी ने ओबीसी वोटरों में जबरदस्त पैठ बनाई है. 2014 में बीजेपी को 34 फीसदी ओबीसी वोट मिले और 2019 में 44 फीसदी ओबीसी ने बीजेपी को वोट दिया. 2022 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा और बाकी क्षेत्रीय दल सिर्फ 27 फीसदी वोट पा सके. वहीं 2017 के यूपी विधानसभा चुनाव में केवल 10 फीसदी यादव मतदाताओं ने, 57 फीसदी कोइरी-कुर्मी मतदाताओं और 61 फीसदी अन्य ओबीसी मतदाताओं ने बीजेपी और उसके सहयोगी दलों को वोट किया था. अगर सीटों की बात करें तो 2022 विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दलों ने 315 सीटें हासिल की तो वहीं 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 65 सीटें हासिल की थी.

2014 के बाद से वोट के इस गणित में बदलाव आया. चुनाव यूपी का हो या केंद्र का, पिछड़ा वोट बहुतायत में बीजेपी के पास एकमुश्त आने लगा. वहीं इस लोकसभी चुनाव में ओबीसी वोट क्षेत्रीय दलों की तरफ जाता दिखा है. वहीं यूपी में एक बार फिर राजनीति ओबीसी वोटों के आस पास घुमता नजर आने लगा है.

ताजा खबरों के लिए एक क्लिक पर ज्वाइन करे व्हाट्सएप ग्रुप

Leave a Comment

Digitalconvey.com digitalgriot.com buzzopen.com buzz4ai.com marketmystique.com

Advertisement
लाइव क्रिकेट स्कोर